Friday, March 13, 2015

टॉप १०० यूनिवर्सिटी में इंडिया से एक भी नहीं

चैत्र कृष्णपक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (फाइल फोटो)
मुंबई – इंडिया की एक भी यूनिवर्सिटी दुनिया की टॉप १०० में जगह नहीं बना पाई है। टाइम्स हायर एजुकेशन (THE) मैगजीन के २०१५ वर्ल्ड रेप्युटेशन रैकिंग में किसी भी इंडियन यूनिवर्सिटी को जगह नहीं मिली है। देश की सबसे हाईएस्ट-रैंकिंग इंस्टीट्यूशन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IIS) है, लेकिन यह भी टॉप १०० में नहीं है। इस लिस्ट में २१ देशों की यूनिवर्सिटीज शामिल हैं। लिस्ट में सबसे ऊपर अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज दूसरे नंबर पर है। तीसरे नंबर पर यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफर्ड है।
अमेरिकी यूनिवर्सिटीज चार्ट में लगातार अपनी जगह बनाने में कामयाब रही हैं। टॉप १० में से ८ अमेरिकी यूनिवर्सिटी हैं। टॉप १०० की बात करें तो अमेरिका की ४३ यूनिवर्सिटीज इसमें शामिल हैं। लिस्ट में ब्रिटेन की १२ यूनिवर्सिटीज को जगह मिली है। इससे पहले २०१४ में १० ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज लिस्ट में शामिल थीं। तीसरे नंबर पर जर्मनी है। टॉप १०० यूनिवर्सिटीज में इसकी ६ संस्थाएं शामिल हैं।
आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर भास्कर राममूर्ति ने इस बारे में कहा, ‘इन सर्वे की कुछ सीमाएं होती हैं। ये ऐसी ग्लोबल यूनिवर्सिटीज के लिए ठीक हैं, जिनका बड़ा इंटरनैशनल क्लाइंटेल है और जिनके फॉर्मर स्टूडेंट्स दुनिया भर में हैं।’ वर्ल्ड रेप्युटेशन रैकिंग दुनिया भर के एकेडेमिक एक्सपर्ट के ओपिनियन पर आधारित है। बात जब एकेडेमिक रेप्युटेशन की होती है तो यह यूनिवर्सिटीज के ग्लोबल स्टैडिंग को दर्शाता है।
ईटी के एक सवाल के जवाब में टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग के एडिटर फिल ने कहा, ‘यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि आखिरकार क्यों ये एकेडेमिक्स इंडियन इंस्टीट्यूशंस को नॉमिनेट नहीं करते हैं।’ हालांकि, वर्ल्ड रेप्युटेशन रैंकिंग में जगह नहीं पाने वाले कई इंस्टीट्यूशंस को टाइम्स हायर एजुकेशन के मेन वर्ल्ड यूनिवर्सिटीज रैंकिंग में इंटरनैशनल आउटलुक के लिए बहुत कम स्कोर हासिल हुआ है। यह १३ परफॉर्मेंस पैरामीटर पर आधारित है।
उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब है कि वे इंटरनैशनल स्टूडेंट्स और स्टाफ को अट्रैक्ट नहीं कर पा रही हैं। वे विदेशी यूनिवर्सिटीज के साथ कोलैबोरेशन या इंग्लिश में पर्याप्त रिसर्च पेपर पब्लिश नहीं कर रही हैं।’ फिल ने यह भी कहा कि इनका किसी बी यूनिवर्सिटी के रेप्युटेशन पर पड़ता है। इसलिए मुमकिन है कि इंटरनैशनल आउटलुक सुधारकर इंडियन इंस्टीट्यूशंस न सिर्फ ग्लोबली बेस्ट प्रैक्टिस को अपना सकते हैं बल्कि इंटरनैशनल टैलंट पूल को भी आकर्षित कर सकते हैं। इसके साथ ही वे ग्लोबल एकेडेमिक कम्युनिटी के बीच अपनी छवि भी सुधार सकते हैं। उन्होंने कहा कि टाइम्स हायर एजुकेशन भारत सरकार के साथ मिलकर काम करती रहती है और हमने इंडियन यूनिवर्सिटीज के बढ़ते योगदान को भी देखा है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

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