Friday, March 13, 2015

कोल्‍ड ड्रिंक्‍स के करीब एक-तिहाई सैंपल में कचरा-फंगस, कांच की बोतल खतरनाक

चैत्र कृष्णपक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११६
जयपुर – राजस्थान के जयपुर में खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए चलाए गए अभियान में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। चिकित्सा विभाग की ओर से राजस्थान में एक साल (जनवरी २०१४ से २० फरवरी २०१५) तक कोल्ड ड्रिंक्स के लिए गए ३८९ सैंपल्स में १२० (३०.८४ प्रतिशत) मिलावटी पाए गए। जांच में कोल्ड ड्रिंक्स में ३० फीसदी तक मिलावट पाई गई। यही नहीं, यहां बेचे जाने वाली कोल्ड ड्रिंक्स में फंगस, स्टेफाइलोकोकाई बैक्टीरिया, कीड़े, पॉलिथीन के टुकड़े एवं कचरा मिला है।
कांच की बोतल में ज्यादा खतरा
विशेषज्ञों के अनुसार, कांच की बोतल को दोबारा इस्तेमाल करने के चक्कर में कई बार ठीक तरह से सफाई नहीं होने से बैक्टीरिया, फंगस पनपने का खतरा बना रहता है, जबकि प्लास्टिक की बोतल को काम में लेने के बाद फेंक दिया जाता है।
सीएमएचओ जयपुर (प्रथम) के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की ओर से लिए गए ३६ सैंपल्स में ८ अनसेफ पाए गए हैं। विधायक राजेन्द्र सिंह यादव की ओर से किए गए प्रश्न के जवाब में सरकार ने विधानसभा में इसकी जानकारी दी। प्रदेश में गत एक साल में विभिन्न खाद्य पदार्थों के ६ हजार ८८९ सैंपल लिए गए हैं।
फर्म मालिक के खिलाफ कार्रवाई करेगी सरकार
सीएमएचओ जयपुर (प्रथम) डॉ. नरोत्तम शर्मा ने बताया कि लिए गए सैंपल्स की जयपुर की केंद्रीय जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला में जांच कराई गई। इसके बाद सैंपल्स को गाजियाबाद स्थित रेफरल लैब में जांच के लिए भेजा गया। जहां जयपुर में लिए गए सैंपल्स में आठ सैंपल अनसेफ मिले। अब फर्म के मालिक के खिलाफ चालान पेश किया जाएगा। मैसर्स वरुण ब्रीवरेज के कोल्ड ड्रिंक्स में मिलावट पाई गई है।
चार साल बाद भी नहीं हुआ ट्रिब्यूनल का गठन
अगस्त २०११ में फूड सेफ्टी एक्ट लागू होने के बाद करीब चार साल होने को आए, लेकिन अभी तक ट्रिब्यूनल कोर्ट का गठन नहीं हुआ है, जिससे मिलावटखोर सक्रिय हो रहे हैं। विभाग की लापरवाही के चलते न तो मीट और न ही फल-सब्जी के सैंपल लिए जा रहे हैं। एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी को एक माह में १२ सैंपल लेना व २० निरीक्षण करना अनिवार्य है। अधिकारियों का कहना है कि गाड़ी नहीं होने से सैंपल लेने में दिक्कत हो रही है।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

No comments: