Thursday, April 29, 2010

6 दिसंबर को अयोध्या में कारसेवा और दर्शन की इजाजत थी

6 दिसंबर को अयोध्या में कारसेवा और दर्शन की इजाजत थी
रायबरेली ।। विवादित ढांचे को नुकसान पहुंचाए जाने की आशंकाओं के बावजूद छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में क
ारसेवकों को कारसेवा और श्रद्धालुओं को राम जन्म भूमि मंदिर में दर्शन की इजाजत थी। यह जानकारी गुरुवार को यहां फैजाबाद की एएसपी अंजू गुप्ता ने रायबरेली की विशेष अदालत में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के सवालों के जवाब में दी। बाबरी विध्वंस के दिन अंजू बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की सुरक्षा और एस्कॉर्ट डयूटी में तैनात थीं।

अंजू ने 26 मार्च को मामले में सीबीआई के नौंवे गवाह के रूप में अपने बयान दर्ज कराए थे। उनके बयान पर जिरह के दौरान बचाव पक्ष के वकील हरिदत्त शर्मा ने गुप्ता से पूछा था कि पांच दिसम्बर 1992 को फैजाबाद के तत्कालीन आईजी ए के सरन की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में क्या यह निर्देश दिए गए थे कि छह दिसम्बर को कारसेवकों को कारसेवा और श्रद्धालुओं को रोज की तरह राम मंदिर में दर्शन की अनुमति रहेगी।

इसके जवाब में अंजू ने अदालत को बताया, हमें यह पहले से मालूम था कि छह दिसम्बर को कारसेवकों को कारसेवा करने और श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति रहेगी और सुरक्षा बलों को सतर्कता बरतते रहना है।

बाबरी विध्वंस मामले में अहम गवाह मानी जा रही अंजू आज इस सिलसिले में तीसरी बार अदालत में पेश हुईं। लगभग तीन घंटे तक चली जिरह में शर्मा ने अंजू से अदालत में दिए गए उनके बयान में बताई गई बहुत सी बातों में से कई का पूर्व में इसी संबंध में सीबीसीआईडी को दिए बयान में उल्लेख न होने और पांच दिसम्बर 92 को आईजी सरन की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में सवाल जवाब किए।

इसके बाद मुख्य दंडाधिकारी गुलाब सिंह ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 मई की तारीख लगा दी।
शर्मा ने अंजू से गुरुवार को फिर यह जानना चाहा कि क्या आईजी, पुलिस सरन की समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई थी कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट अयोध्या पहुंच कर जनसमूह में मिल गए है और उनकी योजना विस्फोट आदि करके विवादित ढांचे को नुकसान पहुंचाने की है, ताकि देश में अशांति और कानून व्यवस्था का खतरा पैदा हो।

इसके जवाब में अंजू ने कहा, मैं बता चुकी हूं कि आईजी सरन ने खुफिया एजेसियों से विवादित ढांचे को नुकसान पहुंचाने संबंधी खतरों की जानकारियां मिलने का जिक्र किया था। इसमें आईएसआई एजेंटों और कारसेवकों से होने वाले खतरे का भी उल्लेख था। चूंकि, पांच दिसम्बर को इसके अलावा भी सुरक्षा संबंधी बैठकें हुई थी जिनमें हुई चर्चाओं के बारे में मुजानकारी नहीं थी। जनसमूह में और कारसेवको में कश्मीरी आतंकवादियों या आईएसआई के लोगों के शामिल होने के बारे में गुप्ता ने किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया।

बचाव पक्ष के इस सवाल पर कि क्या आईएसआई अथवा कश्मीरी आतंकी संगठनों के खतरे को देखते हुए ही विवादित ढांचे की तीन घेरे वाली सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, अंजू ने कहा कि वहां यह सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही लागू थी।

एक अन्य सवाल के जवाब में अंजू ने बताया कि आडवाणी की पूरी अयोध्या यात्रा के दौरान उन्हें उनकी एस्कॉर्ट ड्यूटी में तैनात किया गया था, लेकिन छह दिसम्बर की शाम को उनकी ड्यूटी दंगा नियंत्रित करने के लिए लगा दी गई, जिसके बाद वह छह साढे़ छह बजे के बीच मंच के पास से चली गई थीं।

अदालत में दिए उनके बयान में बताई गई कुछ बातों का सीबीसीआईडी को दिए बयान में जिक्र न होने के बारे में पूछे जाने पर, अंजू ने अदालत को बताया कि उन्होंने सारी बातें सीबीसीआईडी के विवेचना अधिकारी को दिए बयान में बतायी थीं, यदि उनका उल्लेख नहीं है तो इस बारे में वह कुछ नही कह सकतीं।

गुप्ता ने मामले में पहली बार 26 मार्च को गवाही दी थी और इससे पहले 23 अप्रैल को बचाव पक्ष ने उनसे जिरह की थी। जिरह आज भी अधूरी रही और अदालत ने अगली जिरह के लिए 15 मई की तारीख लगा दी है। इस मामले में आडवाणी के अलावा मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और संघ परिवार के अन्य नेता आरोपी हैं।
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5873031.cms

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