सेवा भावना का प्रचार आवश्यक
मेरठ. देश में 38 हजार सेवा कार्य चलाने वाली संस्था ‘सेवा भारती’ कुछ पत्रिकाओं के प्रकाशन द्वारा समाज में सेवाभाव बढ़ाने का प्रयास भी करती है. इन्हीं में से एक पत्रिका ‘सेवा प्रसून’ जो पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड में वितरित होती है, की वार्षिक समीक्षा यहाँ केशव भवन में की गयी. इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-सेवा प्रमुख अजीत महापात्रा तथा दैनिक हिन्दुस्तान मेरठ के संपादक सूर्यकांत व्दिवेदी भी सम्मिलित हुये.
महापात्र ने कई महापुरुषों के जीवन में किये गये निस्वार्थ सेवा कार्यों का उल्लेख किया और कहा कि इन्हें ‘सेवा प्रसून’ में देते रहना चाहिये. उन्होंने सेवा भाव को ईश्वरीय गुण बताया और इससे प्रेरित व्यक्ति के सतत आध्यात्मिक उत्थान की बात कही.
‘हिन्दुस्तान’ के संपादक सूर्यकांत व्दिवेदी ने ‘सेवा प्रसून’ की भूरि-भूरि प्रशंसा की और सुझाव दिया कि इसे और उपयोगी बनाने के लिये इसमें विज्ञान, इतिहास व सामान्य ज्ञान के पृष्ठ भी जोड़े जायें.
पत्रिका के संपादक रामगोपाल कुश ने सुझावों का स्वागत किया और कहा कि इनके कारण पत्रिका का स्वरुप निखरेगा.
पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सेवा प्रमुख गंगाराम ने कहा कि पत्रिका की प्रसार संख्या वर्तमान 3500 से बढ़कर 10,000 करने का निश्चय शीघ्र ही पूर्ण होगा.
‘राष्ट्रदेव’ संपादक अजय मित्तल ने भी विचार रखे. इस अवसर पर उत्तराखण्ड व प. उ.प्र. के चालीस से अधिक पत्रिका प्रतिनिधि व संपादक मण्डल सदस्य उपस्थित थे.
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