Friday, September 17, 2010

सोनिया ने सरकार को नपुंसक बना

सोनिया ने सरकार को नपुंसक बना
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Reply |Azad SK
show details Sep 16 (2 days ago)


चाय के एक प्याले के बहाने जयललिता से गुफ्तगू कर वाजपेयी सरकार को गिराने को लेकर विख्यात डॉं. सुब्रमण्यन स्वामी आजकल रामसेतु मुद्दे

के कारण चर्चा में हैं। आरएसएस से उनकी बढ़ती नज़दीकी और सोनिया गांधी के प्रति उनकी कड़वाहट जगज़ाहिर है। चीन पर गहरी समझ रखने वाले डॉ. स्वामी आज़ाद भारत के शायद अकेले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने एक राज्यसभा सीट के बल पर अपनी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी बनाई। इमर्जन्सी में कांग्रेस सरकार को छकाने वाले डॉ. स्वामी को हमारे संवाददाताअभिषेक मेहरोत्रा ने सवालों के चक्रव्यूह में घेरा...

आप हमेशा विवादों से जुड़े रहते हैं। अब रामसेतु मुद्दे से आप क्यों जुड़े?

देखिए, मेरा स्पष्ट मानना है कि इस देश में हिंदुओं के साथ भेदभाव होता है। उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। कांची शंकराचार्यजी की गिरफ्तारी मेरी बात को सही साबित करती है। मैंने देश में हिंदुओं की स्थिति के बारे में अपनी किताब 'हिंदू अंडर अ सीज़: अ वे आउट' में साफ-साफ लिखा है।

यूपीए सरकार के इस रुख पर कि सेतु तो भगवान राम ने स्वयं ही तोड़ दिया था, क्या प्रतिक्रिया है?
सरकार का यह पक्ष अधूरा है। सरकार को कम से कम विख्यात साधुओं जैसे श्रृंगेरी शंकराचार्य, स्वामी दयानंद सरस्वती पर तो विश्वास करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में मैंने सरकार द्वारा पेश व्याख्या पढ़ी। भगवान राम ने सिर्फ हवा में ही रेखा खींची थी।

इस मुद्दे पर पर्यावरणविद् आर. के. पचौरी की अगुवाई में बनी समिति को आप किस तरह देखते हैं?
समिति की रिपोर्ट को आने दीजिए। वैसे कोर्ट स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि सरकार को लागों की आस्था का सम्मान करना चाहिए। अगर इस ईकनॉमिक डिवेलपमंट प्रॉजेक्ट के कोई वैकल्पिक ऑप्शन है, तो उस पर ध्यान देने की ज़रूरत है।

रामसेतु मुद्दे से तमिल राजनीति किस तरह प्रभावित होगी?
इस मुद्दे के कारण साठ सालों से जड़ जमाए बैठे रामास्वामी नाइकर और करुणास्वामी की नास्तिक सोच की हार हुई है। जनता ने उन्हें पछाड़ने का मन बना लिया है। अगर आगामी चुनावों में एआईडीएमके और जनती पार्टी का अलाइन्स होता है, तो निश्चय ही हिंदुओं के वोट हमें ही मिलेंगे।

क्या बीजेपी के साथ आपके मतभेद सुलझ गए हैं? आम चुनाव में बीजेपी से किसी तरह के गठबंधन की संभावना है?

वर्तमान परिस्थितियों में बीजेपी जनता पार्टी के साथ किसी तरह का संबंध नहीं चाहती।

आरएसएस के साथ आपकी बहुत नज़दीकियां बढ़ रही हैं?
संघ और विहिप हिंदुओं के लिए समर्पित हैं और वे हमेशा उस शख्स का समर्थन करते हैं, जो हिंदू हित के लिए लड़ता है। इसी कारण उन्होंने अपने आलोचक जेपी का भी सपोर्ट किया था। मेरा संघ से कोई मतभेद नहीं है। हां, मैं बीजेपी के कुछ नेताओं से सहमत नहीं हूं। वैसे, मैं जनसंघ का प्रॉडक्ट हूं।

रामसेतु पर जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान किया है, क्या आपको नहीं लगता कि अयोध्या मुद्दा भी इसी सम्मान का हकदार है?
इस समय राम जन्म भूमि मुद्दा कोर्ट का विषय है। एक बार पचौरी समिति की रिपोर्ट आ जाए। फिर मैं कुछ नए तथ्य पेश करूंगा।

चीन और भारत के संबंध पर क्या सोच रखते है?
चीन के साथ अपने रिश्ते गहरे करने से पहले हमें ईकनॉमिक और डिफेंस लेवल पर उसके बराबर होना चाहिए। लेकिन सबसे पहले यह ज़रूरी है कि चीन-पाक के गठजोड़ का हमें मुंहतोड़ जवाब देना होगा। इसके लिए हमें साम-दाम-दंड-भेद नीति अपनानी होगी।

इमर्जन्सी के दौरान आप काफी चर्चा मे रहे थे?
उस समय मेरे लिए अरेस्ट वॉरंट निकला था, मुझे फरार घोषित कर दिया गया था। लेकिन मैं विदेश से आया, लोकसभा गया, वहां एक मिनट का भाषण दिया और विदेश चला गया। पूरे देश की पुलिस देखती रह गई। बाद में मुझसे इंदिरा गांधी ने कहा था कि तुम्हारी घटना ने मुझे अहसास दिलाया कि देश मेरे कंट्रोल में नहीं है और फिर मैंने चुनाव कराने का निर्णय लिया।

सोनिया गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस को लेकर आपकी सोच में कोई बदलाव आया है?
सोनिया इस देश के लिए अच्छी नहीं हैं। राजीव की विधवा को उनके हत्यारों की मदद करने वालों से मिलने में बिल्कुल शर्म नहीं आती है। राजीव मेरे मित्र थे। मनमोहन और मैं एक ही प्रफेशन (ईकनॉमिक प्रफेसर) में होने के कारण 40 साल से एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। नरसिंह रॉव मेरे परम मित्र थे।

मनमोहन गवर्नमंट को कैसे आंकते हैं?
यह एक नपुंसक सरकार है। सोनिया ने सरकार को नपुंसक बना दिया है।

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