Friday, September 24, 2010

आयोध्या पर फैसला टालने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण

आयोध्या पर फैसला टालने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण

नई दिल्ली। (visakeo) - सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अयोध्या फैसले को टाले जाने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विश्व हिंदू परिषद की संत उच्चाधिकार समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में सभी संतों ने सर्वसम्मति से शीघ्र फैसला सुनाए जाने की मांग करते हुए श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अपने अभियान को जारी रखने संकल्प व्यक्त किया है।

बैठक में मंदिर निर्माण से संबंधित एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है। जिसमे साफ तौर पर कहा गया है कि परिसर का विभाजन किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रस्ताव में सोमनाथ की तर्ज पर अयोध्या में मंदिर निर्माण की बात भी कही गई है।

बैठक के उपरान्त आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा- “सन्त उच्चाधिकार समिति दो टूक शब्दों में स्पष्ट करना चाहती है कि श्रीराम जन्मभूमि का तथाकथित विवादित 90 ग 130 वर्गफुट भूखण्ड सहित सम्पूर्ण 70 एकड़ अधिग्रहीत परिसर अविभाज्य रूप से विराजमान श्रीरामलला का जन्म, लीला एवं क्रीड़ा स्थल है। इसलिए इस परिसर का विभाजन और इसमें किसी अन्य मत-मजहब का पूजा स्थल नहीं बनेगा।”

श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा- “समिति का दृढ़ विश्वास है कि भगवान श्रीराम भारत राष्ट्र की संस्कृति, परम्परा, पौरुष, पराक्रम, एकता एवं अखण्डता तथा सामाजिक सौहार्द के प्रतीक एवं आस्था के केन्द्र हैं। जबकि दूसरी तरफ इतिहास का यह भी कड़वा सत्य है कि बाबर एक विदेशी आक्रांता था, जिसने भारतीय स्वाभिमान एवं अस्मिता के मानमर्दन हेतु श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर को ध्वस्त कर मस्जिद जैसा ढांचा निर्माण कराया।”

महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वदेवानन्द ने कहा- “राम हिन्दू समाज के आराध्य हैं और उनकी जन्मभूमि में हिन्दू समाज की आत्मा निवास करती है। अत: उस समय से लेकर आज तक हमारी अनेक पीढ़ियाँ अपने स्वाभिमान एवं मानबिन्दु की रक्षा हेतु संघर्ष करते हुए प्राणोत्सर्ग करती आ रही हैं। अब समय आ गया है कि राजनीतिक दलों के लोगों को इस सत्य को स्वीकार करना चाहिए कि भगवान राम इस भारत राष्ट्र के सर्वस्व हैं, राम के बिना भारत की कल्पना असंभव है। कोटि-कोटि हिन्दुओं के रहते हुए श्रीरामलला टाट के मन्दिर में रहें, यह हिन्दू समाज सहित सभी के लिए अपमान एवं पीड़ा का विषय है। अत: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण के प्रश्न पर स्पष्ट नीति अपनाना ही इस देश के हित में होगा।”

आचार्य सभा के महामंत्री स्वामी परमात्मानन्द ने कहा- “सन्त उच्चाधिकार समिति आह्वान करती है कि सभी दलों के सांसद एकमत होकर सोमनाथ मन्दिर की तरह संसद में कानून बनाकर श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करें। साथ ही रामभक्त, राष्ट्रभक्त हिन्दू समाज का आह्वान करते हैं कि लोकतांत्रिक पद्धति से श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण के लिए सभी प्रकार से तैयार रहें। यदि किसी प्रकार से श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर परिसर में मस्जिद बनाने का प्रस्ताव आता है तो सम्पूर्ण सामर्थ्य के साथ उसका विरोध कर उस षड्यंत्र को विफल करें।”

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल
ने कहा कि उच्च न्यायालय के निर्णय को लटकाए जाने के पीछे कहीं न कहीं राजनीति की गंध आती है। विशेष रूप से जबकि वादी पक्ष द्वारा किसी भी पàA

No comments: