विश्व हिन्दू परिषद-केन्द्रीय प्रबंध समिति बैठक
राम मंदिर व गोवंश रक्षा के लिए केन्द्र सरकार अविलम्ब कानून लाए – विहिप
गुजरात. अल्पसंख्यक आयोग व अल्पसंख्यक मंत्रालय की अवधारणा ही अलगाववादी मानसिकता को पुष्ट करती है. वडताल (गुजरात) में 24-25 जून, 2017 को आयोजित विश्व हिन्दू परिषद की प्रबंध समिति की बैठक में पारित एक प्रस्ताव में यह आरोप लगाते हुए केन्द्र सरकार से मांग की गई कि इन दोनों को अविलम्ब समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार आयोग पर्याप्त है. प्रस्ताव में कहा गया कि अल्पसंख्यक आयोग इस प्रकार का वातावरण बनाता है जैसे मानो भारत में मुस्लिम व ईसाई समाज पीडि़त हैं. वास्तव में ये न केवल हिन्दू समाज अपितु अन्य अल्पसंख्यकों जैसे बौद्ध व सिख समाज पर भी बर्बर अत्याचार करते हैं. इसलिए जेहादी व मिशनरी पीड़ित नहीं अत्याचारी हैं. ये अल्पसंख्यक आयोग जैसी संस्थाओं का लाभ लेकर अपने लिए सहानुभूति अर्जित करते हैं, जिससे ये अपने हिन्दू विरोधी व देश विरोधी षड़यंत्रों को निर्बाध रूप से चलाते रहें.
हरिद्वार में आयोजित संतों के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में पारित प्रस्तावों को स्वीकार करते हुए सरदार पटेल की जन्मभूमि पर आयोजित प्रबंध समिति की बैठक ने केन्द्र सरकार से पुरजोर मांग की कि संसद में अविलम्ब कानून लाकर राम मंदिर की दिशा में सार्थक कदम उठाएँ. सोमनाथ मंदिर का निर्माण करने वाले लौहपुरुष सरदार पटेल ने यह दिशा उसी समय स्पष्ट कर दी थी. अयोध्या के लिए कानून बनाकर ही सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि भी दी जा सकती है.
राजनीतिक कारणों से देश के कुछ प्रांतों में गोमांस पार्टियां मनाने व गौमाता की बर्बर हत्या करने का एक कुप्रचलन चल पड़ा है. जल्लीकट्टू पर शोर मचाने वाले पशुप्रेमी संगठनों की इस विषय पर चुप्पी रहस्यजनक है. विश्व हिन्दू परिषद ने स्पष्ट चेतावनी दी कि इस प्रकार के क्रूर कृत्यों से वे गौरक्षक हिन्दू समाज की आस्थाओं को अपमानित कर रहे हैं. प्रबंध समिति ने इन तत्वों को चुनौती दी कि वे कभी किसी भी विधानसभा में सुअर के मांस भोज का आयोजन करके दिखाएं. उनके इन दुष्टतापूर्ण व्यवहारों से हिन्दू समाज का आक्रोश बढ़ रहा है, जिसके दुष्परिणाम इन तत्वों को अवश्य भोगने पड़ेंगे. इसी प्रकार गौरक्षकों को अपमानित करने के षड़यंत्र को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विश्व हिन्दू परिषद ने कहा कि गौरक्षक अपमान के नहीं सम्मान के पात्र हैं. गौरक्षा कानून को लागू करने में पुलिस के विफल रहने पर ही इनको सड़कों पर उतरना पड़ता है. वे कानून को हाथ में नहीं लेते, अपितु उसकी रक्षा करते हैं. पुलिस प्रशासन कानून के पालन करने में अपनी नाकामी छिपाने के लिए गौरक्षकों पर झूठे केस बनाते हैं. गौरक्षकों का अपमान और गौहत्यारों का सम्मान हिन्दू समाज सहन नहीं करेगा.
विश्व हिन्दू परिषद की प्रबंध समिति ने अद्भुत शौर्यपूर्ण जागरण के लिए बंगाल के समाज का अभिनन्दन किया. कई दशकों से जेहादियों, वामपंथियों और तृणमूल द्वारा अत्याचार सहने वाले हिन्दू समाज ने अपनी रक्षा करने का स्वयं संकल्प लिया है. रामनवमी के कार्यक्रमों में लाखों की संख्या में भाग लेकर उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अब वे किसी भी प्रकार का अत्याचार सहन नहीं करेंगे. यदि ममता सरकार जेहादियों को संरक्षण देती रहेगी तो हिन्दू समाज स्वयं प्रतिकार के लिए आगे बढ़ेगा. हिन्दू समाज के अस्तित्व की रक्षा के इस संघर्ष में विश्व हिन्दू परिषद ने हर प्रकार के समर्थन का भरोसा दिलाया.
केन्द्र सरकार द्वारा तिरुपति जैसे बड़े मंदिरों के प्रसादम् पर लगाए गए जीएसटी कर के बारे में विश्व हिन्दू परिषद ने चिंता व्यक्त की. इसी प्रकार हिन्दू पूजन सामग्री जैसे धूप, अगरबत्ती, देवमूर्ति, गोघृत आदि पर लगाए गए टैक्स के कारण हिन्दू समाज में व्यापक असंतोष है. इसीलिए विहिप ने भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर धार्मिक उपयोग की सामग्रियों पर लगाए गए करों को अविलम्ब हटाने का आग्रह किया है.
देश के सभी प्रांतों से आए 250 प्रतिनिधियों ने विहिप तथा उनके विभिन्न कार्य विभाग जैसे बजरंग दल, दुर्गावाहिनी, एकल अभियान, सेवा, धर्मप्रसार आदि के कार्यों की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और भविष्य में आने वाली चुनौतियों को देखते हुए कार्य का विकास और तेजी से करने का निर्णय लिया.
No comments:
Post a Comment