Tuesday, September 12, 2017

कट्टरपंथी विचारधाराओं से बचने के लिए सब पंथों का सम्मान जरूरी – विहिप

शिमला (विसंकें). आज अगर हम अन्य लोगों की परम्पराओं का सम्मान नहीं करेंगे तो इससे कट्टरपंथ बढ़ता चला जाएगा. भारत में सर्वधर्म समभाव का दर्शन रहा है. ऐसे में आज भी हमें स्वामी विवेकानंद जी के आदर्शों को नहीं भूलना चाहिए. स्वामी विवेकानंद जी द्वारा शिकागो के धर्म सम्मेलन में दिये उनके व्याख्यान के 125 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विवेकानंद केंद्र और विश्व हिन्दू परिषद् ने सम्मिलित रूप से कार्यक्रम का आयोजन किया.
विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री नीरज दुनेरिया जी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने विश्व को धर्म के वास्तविक स्वरूप से अवगत करवाया, जो विश्वभर के देश कपड़ों के आधार पर धार्मिक शिक्षकों को सम्मान देने वाले थे. वे विचारशील और ज्ञानवान को प्राथमिकता देने वाले बन गए. बजरंग दल के प्रांत संयोजक राजेश शर्मा जी ने कहा कि जब देश को विश्व मानचित्र में प्रमुख देश के रूप में नहीं माना जाता था और देश पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था. उस समय में विश्व में स्वामी विवेकानंद जी ने भारत की प्रतिष्ठा स्थापित की. वर्ष 1893 में उनके उद्बोधन के चमत्कार को कौन नहीं जानता, पूरे विश्व में उनके और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान की लहर दौड़ पड़ी थी. आज विवेकानंद के आदर्शों को अपनाकर ही हम विश्व गुरू बन सकते हैं. जिलाधीश कार्यालय के समक्ष आयोजित कार्यक्रम में काफी संख्या में गणमान्यजनों ने स्वामी विवेकानंद जी के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की.

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