Sunday, November 24, 2013

सर्वांग सुंदर, स्वतंत्र, समर्पित तथा स्वस्थ व्यवस्था उत्पन्न करने हेतु सर्वंकष धर्मक्रांति आवश्यक ! - शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज

सर्वांग सुंदर, स्वतंत्र, समर्पित तथा स्वस्थ व्यवस्था उत्पन्न करने हेतु सर्वंकष धर्मक्रांति आवश्यक ! - शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज

November 24, 2013    

रामनाथी :  देशका कोई भी राजकीय पक्ष हिंदुओंके पक्षमें नहीं । सभी सत्ता तथा विकास हेतु सब स्तरोंपर हिंदुओंको नीचा दिखा रहे हैं; क्योंकि हिंदू किसी भी स्थितिमें विरोध नहीं करते । विदेशी शक्तियोंने देशके राजकीय पक्ष तथा नेताओंको भ्रष्ट किया है । हिंदुओंमें फूट डालकर देश तथा धर्म नष्ट करनेका प्रयास उन्होंने आरंभ किया है । यह रोककर देश तथा धर्मको गतवैभव प्राप्त करानेके साथ सर्वांग सुंदर, स्वतंत्र, समर्पित तथा स्वस्थ (समाधानकारक) व्यवस्था उत्पन्न करने हेतु सर्वंकष धर्मक्रांति करना आवश्यक है । अत: हिंदू स्वयंमें प्रखर राष्ट्र एवं धर्म प्रेम उत्पन्न करें, पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज ने ऐसा मार्गदर्शन किया ।
सनातन संस्थाके रामनाथी स्थित आश्रममें २३ नवंबरको गोवाके हिंदू संगठन,  प्रतिष्ठित उद्योगपति एवं क्रियाशील हिंदुओं हेतु जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराजका मार्गदर्शन हुआ । मार्गदर्शनके पश्चात आद्य शंकराचार्य परंपराप्राप्त पादुकाओंका दर्शन समारोह संपन्न हुआ ।

मठ एवं मंदिरोंमें अन्य धर्मियोंका आचरण हिंदुओंकी दिशाहीनता तथा आध्यात्मिक परतंत्रताका निदर्शक !

वर्तमानमें मठ तथा मंदिरोंमें इफ्तार प्रीतिभोजका आयोजन किया जाता है । क्या यह उचित है ?, एक प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा पूछे गए इस प्रश्नपर जगद्गुरु शंकराचार्य जीने कहा, कि भारतीय शासनकर्ता तथा राजनीतिके माध्यमसे विदेशी शक्तियोंका कार्य आरंभ है । उनके माध्यमसे मठ एवं मंदिरोंमें षड्यंत्रका अंतर्भाव हुआ है । यह दिशाहीनता तथा आध्यात्मिक परतंत्रताका निदर्शक है । हिंदू धर्म नष्ट करनेका यह षड्यंत्र है । अन्यधर्मीय अपने धर्मस्थलोंमें अन्य धर्मियोंका आचरण नहीं करते । अन्यधर्मियोंको हम राष्ट्रहितके विषयमें समा सकते हैं । शिक्षा, सेवा, राष्ट्र तथा धर्मप्रेम के विषयमें ज्ञान देनेवाले मठ, मंदिर अपने आध्यात्मिक दुर्ग हैं । उदारताके नामपर अपनी धर्मपरंपरा खंडित करना उचित नहीं ।

बलपूर्वक किए गए धर्मांतरसे धर्म परिवर्तन नहीं !

धर्मांतरके विषयमें एक प्रश्नपर मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने कहा, हिंदू धर्म जैसा सर्वश्रेष्ठ धर्म नहीं । इस धर्ममें केवल मानव नहीं, अपितु सारे प्राणियोंके कल्याणका विचार किया गया है । अत: कोई भी धर्म का त्याग न करे । बलपूर्वक धर्मांतर करनेसे धर्म परिवर्तन नहीं होता, ऐसा मनुस्मृतिमें बताया गया है । अत: बलपूर्वक धर्मांतरित व्यक्ति स्वधर्मका ही आचरण करें । धर्मांतर न हों, इस हेतु प्रयास करनेके साथ ही बडी संख्यामें धर्मांतरित हिंदू पुन: स्वधर्म स्वीकारें, ऐसे प्रयास करने चाहिए ।

क्षणिकाएं

१. सनातन संस्थाके संस्थापक परात्परगुरु प.पू. डा. आठवलेजीकी वंदनीय उपस्थिति प्राप्त हुई ।
२. गोवंश रक्षाका कार्य करनेवाले श्री. हनुमंत परबने शंकराचार्यजीको हार अर्पण किया उन्होंने पुन: श्री. परबके गलेमें डालकर उन्हें प्रसाद दिया ।
३. इस अवसरपर कार्यक्रममें सेनादलके ६ टीटीआर, फोंडा स्थित कुछ अधिकारी उपस्थित थे ।

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