लातूर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि स्व. सुरेशराव का जीवन यानी संपूर्ण समर्पण. सुरेशराव जी आज हमारे बीच नहीं रहे, पर उनके होने का एहसास जब तक रहेगा तब तक वह हमारे बीच रहेंगे. उनके स्वभाव विशेष के कारण वो अपनी अलग छाप छोड़ जाते थे. सरसंघचालक जी ने लातूर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये. सुरेश राव केतकर अपने अंतिम दिनों में लातूर में ही रह रहे थे.
सरसंघचालक जी ने कहा कि वह अत्यंत कर्तव्य कठोर व नियमों का पालन करने वाले स्वयंसेवक थे. वह बौद्धिक से पूर्व उसके लिये बिन्दुशः पूरी तैयारी करते थे. अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख रहते हुए पूर्णता पर जोर देते थे, 55 वर्ष की आयु में उन्होंने 15 किमी की मेराथन दौड़ में भाग लिया और उसे सफलता से पूर्ण भी किया.
सुरेश जी पहले कार्य को पूर्ण करते थे, उसके पश्चात इसके संबंध में सबको बताते थे. अखिल भारतीय पदाधिकारी होते हुए भी सुरेश जी किसी स्वयंसेवक से माफी मांगने में संकोच नहीं करते थे, न ही ऐसा करने में कभी हीन भावना आई. सुरेश जी अपने अंतिम समय में बहुत कुछ भूले, मगर संघ की प्रार्थना नहीं भूले, संघ की शाखा नहीं भूले, आज्ञा नहीं भूले, अंतिम समय मे भी उनको बौद्धिक बिन्दुशः कंठस्थ थे. सुरेश जी अपने तन मन से जो जो त्याग कर सकते थे, वह किया और जो त्याग नहीं कर सकते थे, उसका संघ कार्य के लिये उपयोग किया.
उनके जीवन का चिंतन करके उनके जैसे जीवन जीने का हम प्रयास करें, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. कार्यक्रम में विभाग संघचालक व्यंकट सिंह चौहान जी,पूजा केतकर जी, उदय लातुरे जी, देवगिरी प्रांत कार्यवाह हरीश भाऊ कुलकर्णी जी,किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश जी कुलकर्णी, तथा सुरेश जी अंतिम समय में सुश्रुषा करने वाले विनोद खरे जी ने अपने अनुभव बताए. श्रद्धांजलि सभा में नगर के स्वयंसेवकों सहित गणमान्यजन उपस्थित थे. शांति मंत्र के साथ सभा का समापन हुआ.
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