Sunday, October 14, 2012

क्यों हिंदी सीख रहे हैं ब्रितानी कूटनीतिज्ञ?

क्यों हिंदी सीख रहे हैं ब्रितानी कूटनीतिज्ञ?

Source: VSK- JODHPUR      Date: 10/13/2012 2:56:34 PM
नई दिल्ली, 13 अक्तूबर 2012 : भारत में ब्रिटेन के कूटनीतिज्ञों को हिंदी भाषा सीखने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. दिल्ली में ब्रिटेन के दूतावास के अनुसार हिंदी सीखने से उन्हें भारतीय व्यापारियों और नेताओं के साथ नज़दीकी सम्बन्ध बनाने में मदद मिलेगी.

दूतावास के एक प्रवक्ता मार्कस विन्ज्ली ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने अपना पद संभालने के बाद सबसे पहले जिन मुद्दों पर ध्यान देना शुरू किया था उनमें देश के कूटनीतिज्ञों को उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों में स्थानीय भाषाओं को जल्द सीखने का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण है.

मार्कस विन्ज्ली ने कहा,"हमारे विदेश मंत्री ने ये महसूस किया कि स्थानीय भाषाओं को सीखने की परंपरा कमज़ोर होती जा रही थी. इसलिए उन्होंने आदेश दिया है कि कूटनीतिज्ञों को वो भाषा सीखनी चाहिए जहाँ वो काम करने जा रहे हैं." वे कहते हैं कि हिंदी सीखना उनके लिए ज़रूरी है और हिंदी सीखना हमारी प्राथमिकता है.

हिंग्लिश
"भारत में अंग्रेजी बोलने के बीच लोग हिंदी के शब्दों का भी आम तौर से इस्तेमाल करते हैं या कुछ लोग हिंदी में ही बोलते हैं जिसे हमें समझने में दिक्क़त होती है"

मार्कस विन्ज्ली, ब्रितानी दूतावास के प्रवक्ता हैं. उन्होंने कहा कि भारत में अंग्रेजी बोलने वालों की कमी नहीं है लेकिन इन दिनों टीवी चैनलों पर या अखबारों और बोलीवुड की फिल्मों में अंग्रेजी और हिंदी के मिले-जुले इस्तेमाल का रिवाज है, जिसे हिंग्लिश का नाम दिया गया है.

वो कहते हैं, "भारत में अंग्रेजी बोलने के बीच लोग हिंदी के शब्दों का भी आम तौर से इस्तेमाल करते हैं या कुछ लोग हिंदी में ही बोलते हैं जिसे हमें समझने में दिक्क़त होती है. "

ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय के अनुसार हिंदी सीखने से कूटनीतिज्ञों के बीच भारत की समझ बेहतर होगी और व्यापार के अवसर तलाशने में आसानी होगी. भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक सम्बन्ध काफी बेहतर हैं. भारत की 350 से अधिक कंपनियों ने ब्रिटेन में निवेश कर रखा है. ब्रिटेन की कम्पनियां भी भारत में व्यापार कर रही हैं.

मार्कस ने कहा, "इस सम्बन्ध को और मज़बूत करने के लिए हिंदी और उर्दू जैसी भाषाओं को सीखना ज़रूरी है". अंग्रेजों के ज़माने में ब्रिटेन के कूटनीतिज्ञों के लिए भारत में आने से पहले हिंदी सीखना अनिवार्य होता था. लेकिन धीरे धीरे ये परंपरा ख़त्म हो गई और अब ब्रिटेन से आये कूटनीतिज्ञों में से केवल एक को अच्छी हिंदी आती है.

मार्कस कहते हैं, "हमारी कोशिश है कि दूतावास के सभी ब्रितानी कूटनीतिज्ञों को जल्द ही हिंदी बोलनी आ जाए."

source:http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2012/10/121011_
diplomats_hinglish_sm.shtml

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