Sunday, March 17, 2013

RSS ABPS: प्रस्ताव-1: बंगलादेश और पाकिस्तान के उत्पीड़ित हिन्दुओं की समस्याओं का निराकरण करें


RSS ABPS: प्रस्ताव-1: बंगलादेश और पाकिस्तान के उत्पीड़ित हिन्दुओं की समस्याओं का निराकरण करें

प्रस्ताव
बंगलादेश और पाकिस्तान के उत्पीड़ित हिन्दुओं की समस्याओं का निराकरण करें
Delegates
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है कि पाकिस्तान और बंगलादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अन्तहीन अत्याचारों के परिणामस्वरूप वे लगातार बड़ी संख्या में शरणार्थी बनकर भारत में आ रहे हैं। यह बहुत ही लज्जा एवम् दुःख का विषय है कि इन असहाय हिन्दुओं को अपने अपने मूल स्थान और भारत दोनों में ही अत्यंत दयनीय जीवन बिताने को विवश होना पड़ रहा है।
अ. भा. प्र. सभा बंगलादेश के बौद्धों सहित समस्त हिन्दुओं एवं उनके पूजास्थलों पर वहाँ की हिंदु विरोधी तथा भारत विरोधी कुख्यात जमाते इस्लामी सहित विभिन्न कट्टरपंथी संगठनों द्वारा हाल ही में किये गए हमलों की तीव्र निंदा करती है। यह घटनाक्रम बंगलादेश में पिछले कई दशकों से लगातार जारी है। वहाँ के हिंदु और अन्य अल्पसंख्यक उनकी कुछ भी गलती न होते हुए भी इस्लामिक आक्रामकता की आग में झुलस रहे हैं। इस उत्पीडन से असहाय होकर हजारों लोग अपनी जान और इज्ज़त बचाने के लिए पलायन कर भारत में आने के लिए बाध्य हो रहे हैं। प. बंगाल और आसाम में ऐसे हजारों बंगलादेशी हिंदु तथा चकमा कई दशकों से शरणार्थी बनकर रह रहे हैं और जब भी बंगलादेश में हिंसाचार होता है तो इनमें और नए लोग आकर जुड़ते रहे हैं।
अ. भा. प्र. सभा पाकिस्तान के हिन्दुओं की दुर्दशा पर भी राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करना चाहती है। सभी उपलब्ध सूचनाओं से यही प्रकट हो रहा है कि पाकिस्तान के हिंदु सुरक्षा, सम्मान और मानवाधिकारों से वंचित निम्न स्तर का जीवन बिता रहे हैं। सिक्खों सहित समस्त हिन्दुओं पर नित्य हमले एक आम बात है। बलपूर्वक मतान्तरण, अपहरण, बलात्कार, जबरन विवाह, हत्या और धर्मस्थलों को विनष्ट करना वहाँ के हिन्दुओं के प्रतिदिन के उत्पीड़ित जीवन का भाग हो गये हैं। पाकिस्तान की कोई भी संवैधानिक संस्था उनकी सहायता के लिए आगे नहीं आती है। परिणामस्वरूप पाकिस्तान के हिंदु भी पलायन कर भारत में शरण मांगने को विवश हो रहे हैं।
अ. भा. प्र. सभा भारत के राजनैतिक, बौद्धिक एवं सामाजिक नेतृत्व तथा केन्द्रीय सरकार को यह स्मरण दिलाना चाहती है कि ये असहाय हिंदु अपने स्वयं के किसी कृत्य के कारण इस इस्लामी उत्पीड़न का शिकार नहीं हुए हैं। १९४७ में हुए मातृभूमि के दुःखद और विवेकहीन विभाजन के परिणामस्वरूप ही वे इस स्थिति में आये हैं। पाकिस्तान और बंगलादेश के इन निरपराध हिन्दुओं पर राजनैतिक नेतृत्व द्वारा विभाजन थोपा गया था। एक ही रात्रि में अचानक उनके लिए उनकी अपनी ही मातृभूमि पराई हो गयी। वास्तव में यह एक विडम्बना ही है कि ये अभागे हिंदु अपने पूर्व के नेताओं की जोड़ तोड़ की राजनीति की गलतियों की कीमत अपने जीवन से चुका रहे हैं।
अ. भा. प्र. सभा भारत सरकार को आवाहन करती है कि पाकिस्तान और बंगलादेश के हिन्दुओं की स्थिति और वहाँ से आये हुए शरणार्थियों के पूरे विषय पर पुनर्विचार करे। सरकार यह कह कर बच नहीं सकती कि यह उन देशों का आन्तरिक विषय है। १९५० के नेहरु-लियाकत समझौते में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दोनों देशों में अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा और नागरिकता के अधिकार प्रदान किये जायेंगे। भारत में हर संवैधानिक प्रावधान का उपयोग तथाकथित अल्पसंख्यकों को न केवल सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया गया अपितु उनको तुष्टिकरण की सीमा तक जानेवाले विशेष प्रावधान भी दिए गए। वे आज भारत में जनसांख्यिकी, आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक सभी दृष्टि से सुस्थापित हैं।
इसके विपरीत, पाकिस्तान और बंगलादेश के हिंदु लगातार उत्पीडन के परिणामस्वरूप घटती जनसंख्या, असीम गरीबी, मानवाधिकारों के हनन और विस्थापन की समस्याओं से ग्रस्त है। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान में विभाजन के समय हिन्दुओं की जनसंख्या क्रमश: २८% और ११% थी तथा खंडित भारत में ८% मुस्लिम थे। आज जब भारत की मुस्लिम आबादी १४% तक बढ़ गयी है वहीं बंगलादेश में हिंदु घटकर १०% से कम रह गए है और पाकिस्तान में वे २% प्रतिशत से भी कम है।
अ. भा. प्र. सभा का यह सुनिश्चित मत है कि नेहरू-लियाकत समझौते के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान और बंगलादेश की सरकारों को चुनौती देना भारत सरकार का दायित्व है। लाखों हिन्दुओं के विलुप्त होने को केवल उन देशों की संप्रभुता का विषय मानकर उपेक्षित नहीं किया जा सकता। इन दोनों देशों को, भारत में लगातार आ रहे हिंदु शरणार्थियों के बारे में कटघरे में खड़ा करना चाहिए। भारत के तथाकथित अल्पसंख्यक समुदाय से एक भी व्यक्ति इन देशों में शरणार्थी बन कर नहीं गया है जबकि लाखों लोग वहाँ से यहाँ आए हैं और आ रहे हैं।
इस हृदयविदारक दृश्य को देखते हुए अ. भा. प्र. सभा भारत सरकार से यह अनुरोध करती है कि इन दोनों देशों में रहनेवाले हिन्दुओं के प्रश्न पर नए दृष्टिकोण से देखे, क्योंकि उनकी स्थिति अन्य देशों में रहनेवाले हिन्दुओं से पूर्णतया अलग है।
अ. भा. प्र. सभा भारत सरकार से आग्रह करती है कि:
  1. बंगलादेश और पाकिस्तान की सरकारों पर वहाँ के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाए।
  2. राष्ट्रीय शरणार्थी एवं पुनर्वास नीति बनाकर इन दोनों देशों से आनेवाले हिन्दुओं के सम्मानजनक जीवन यापन की व्यवस्था भारत में तब तक करें जब तक कि उनकी सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी की स्थिति नहीं बनती।
  3. बंगलादेश और पाकिस्तान से विस्थापित होनेवाले हिन्दुओं के लिए दोनों देशों से उचित क्षतिपूर्ति की मांग करे।
  4. संयुक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थी तथा मानवाधिकार से सम्बंधित संस्थाओं [UNHCR, UNHRC] से यह मांग करे कि हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व सम्मान की रक्षा के लिए वे अपनी भूमिका का निर्वाह करे।
अ. भा. प्र. सभा यह कहने को बाध्य है कि हमारी सरकार का इन लोगों के प्रति उदासीन रवैया केवल इसलिए ही है क्योंकि वे हिंदु हैं। सभी देशवासियों को सरकार के इस संवेदनहीन और गैरजिम्मेदार व्यवहार के विरुद्ध खुलकर आगे आना चाहिए। पाकिस्तान और बंगलादेश के वहाँ रहनेवाले तथा शरणार्थी बनकर भारत में आए हुए हिन्दुओं की सुरक्षा एवं जीवन यापन के अधिकार की रक्षा के लिए समूचे देश को उनके साथ खड़े रहने की आवश्यकता है।

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