Saturday, September 28, 2013

'राइट टू रिजेक्ट' के अधिकार पर देश में व्यापक बहस की जरूरत - अभाविप आगामी लोकसभा चुनावों से पहले सुप्रीम कोर्ट ने वोटरों को 'राइट टू रिजेक्ट' के अधिकार का जो फैसला आज दिया उस पर अभाविप के महामंत्री श्री उमेश दत्त ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की चुनाव सुधार की पहल स्वागत योग्य है लेकिन इस विषय पर देश में व्यापक बहस की  जरूरत है । आज सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश में कहा है कि इस बार ईवीएम मशीन में 'कोई नहीं' का बटन भी हो। विदित हो कि अखिल  भारतीय विद्यार्थी  परिषद् कई  वर्षों  से  व्यवस्था  परिवर्तन के  विषय  को  उठा  रही  है  ।  इस  विषय  में  "यूथ  अगेंस्ट  करप्शन"  के  माध्यम  से  भी लगातार  प्रबोधन, कार्यक्रम द्वारा प्रयास किये जा रहे है । "यूथ अगेंस्ट करप्शन" के राष्ट्रीय संयोजक और अभाविप के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री सुनील बंसल ने बताया कि लोकतंत्र को और सुदृढ़ करने की दृष्टी से यहां 100%  लोग मतदान  करें यह पहले सुनिश्चित किया जाना चाहिए। लोगों की उदासीनता को छोड़ कर उन्हें मतदान  केंद्र  तक  लाने  के  लिए  व्यापक प्रबोधन  की आज आवश्यकता  है  ।  अत: चुनाव सुधार के विषय में हमारे देश में "राईट टू इलेक्ट" की ज्यादा जरूरत है । इसके बाद देश भर में बहस हो और फिर "राईट टू रिजेक्ट" के विषय को आगे बढाया जा सकता है । लेकिन उन्होंने इस बात का स्वागत भी किया की कई वर्षों से जो व्यवस्था सुधारों की बात  हम कह रहे है उसमें कम से कम सुप्रीम कोर्ट ने तो पहल की । आनेवाले दिनों में पुलिस,  प्रशासनिक,  न्यायिक  तथा  शैक्षिक  सुधारों  के  विषय  में  भी  काम  करने  की  आवश्यकता  उन्होंने जताई। श्री सुनील बंसल ने बताया  कि अ. भा. विद्यार्थी परिषद् व्यवस्था सुधार  के विषय में प्रतिबद्ध है और इस विषय में लगातार प्रयास करेगी।

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