शिमला (विसंकें). भगवान बाल्मीकि के प्रकटोत्सव पर डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति शिमला द्वारा ऐतिहासिक रिज मैदान पर रक्त गट (ब्लड ग्रुप) जांच एवं रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. शिविर का शुभारंभ राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने किया. शिविर में 200 लोगों ने रक्तदान किया.
राज्यपाल ने कहा कि वेदों में लिखा है कि जो लोग दूसरों के दुःख को अपना दुःख अनुभव करते हैं और इस विवेक से काम करते हैं, वही सच्चे अर्थों में मानवता का भला कर सकते हैं. रक्तदान से बढ़कर कोई दान नहीं है क्योंकि रक्त के कणों से किसी के जीवन को बचाया जा सकता है. बाल्मीकि जी के प्रकटोत्सव पर कहा कि महर्षि ने जो राम का आदर्श और हमेशा प्रासंगिक रहने वाला चरित्र समाज को दिया, वह आज भी जीवंत है और हर युग में प्रासंगिक है. राम जैसा कोई बेटा, पिता, पति और राष्ट्रभक्त हो नहीं सकता. भगवान राम के आदर्श को बिना बाल्मीकि जी की लेखनी के नहीं समझा जा सकता था. समरसता का जिक्र करते हुए कहा कि आज यह दुर्भाग्य की बात है कि समाज की रचना में परिवर्तन आया है और ऊंच-नीच की प्रवृतियां समाज में फैली हैं, जिससे समाज में वर्ग संघर्ष पैदा हुआ है. वेदों के उदाहरण प्रस्तुत करते कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में ऊंच-नीच की मानसिकता के लिए कोई जगह नहीं है. वेदों में भी कर्म के आधार पर ही वर्ण व्यवस्था का वर्णन है न कि जन्म के आधार पर. भ्रूणहत्या पर आचार्य देवव्रत जी ने कहा कि आज समाज में बेटी और बेटे में अंतर के कारण भ्रूण हत्या जैसी प्रवृति को पैर पसारने का मौका मिला है और बाद में जाकर यह दहेज जैसी बुराई में तब्दील हो जाती है. ऐसे में आज हर मंच पर बेटे और बेटी को एकसमान मानकर समाज के चिंतन में बदलाव की जरूरत है ताकि यह असमानता दूर हो सके. इस अवसर पर हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष बोधराज शर्मा जी ने सभी का धन्यवाद किया. शिविर के संचालन के लिए आईजीएमसी शिमला से आये डॉ. संदीप मल्होत्रा, तकनीकी सहायक राजेश भारद्वाज, रोहित और नर्सिंग स्टाफ से प्रतिमा और निशिता ने भाग लिया. रक्त गट जांच में भारत विकास परिषद ने सहयोग किया. इस अवसर पर सह प्रांत संघचालक डॉ. वीरसिंह रांगड़ा जी और बाल्मीकि सभा के सदस्य जसवंत राय, समिति के सचिव मनोज कपूर, सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे.
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