Friday, August 19, 2011

तिहाड़ जेल से निकले अन्ना


तिहाड़ जेल से निकले अन्ना



नई दिल्ली। प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर मंगलवार से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे शुक्रवार सुबह 68 घंटों बाद तिहाड़

ल से बाहर आए और अपने समर्थकों का हाथ जोड़ अभिवादन किया। यहां उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधन किया और कहा, अन्ना रहे न रहे जब तक लोकपाल न मिले यह मशाल जलती रहनी चाहिए। यहां से वे अनशन स्थल रामलीला मैदान के लिए रवाना होंगे। वह पहले राजघाट भी जाएंगे।

अन्ना के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार सुबह बताया कि पुलिस ने उनको राजघाट और रामलीला मैदान ले जाने के लिए मार्ग तय कर लिया है। वह बिल्कुल स्वस्थ है।

केजरीवाल ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेता को अन्ना के मंच पर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हां, यदि कोई हमारे समर्थन में आता है तो उसका स्वागत है।

केजरीवाल से यह पूछे जाने पर कि भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] के कार्यकर्ता इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे है, तो उन्होंने कहा कि हम किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता को मना नहीं कर रहे उनका स्वागत है। वे यहां आकर अन्य समर्थकों के बीच बैठ सकते है।

केजरीवाल से जब यह पूछा गया कि सरकार आरोप लगा रही है कि आप अन्ना हजारे को बरगला रहे है, तो उन्होंने कहा कि अन्ना कोई बच्चा नहीं है, जो मैं उन्हे बरगला रहा हूं। वह वर्षो से समाजसेवा कर रहे है और मैं तो पिछले पांच साल से ही उनके संपर्क में हूं। मुझसे पहले उन्हे कौन बरगला रहा था। सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। वह अपने अनशन के बल पर सात कानून पास करवा चुके है।

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने हमें आश्वस्त किया है कि यदि जरूरत पड़ी तो वह नियत समयसीमा को बढ़ा सकती है।

रामलीला मैदान की सुरक्षा व्यवस्था अभूतपूर्व

-रामलीला मैदान में शुक्रवार से प्रस्तावित अन्ना के अनशन कार्यक्रम के लिए बुधवार रात को ही दिल्ली पुलिस ने मैदान को अपने कब्जे में ले लिया। काफी भीड़ की आशंका के मद्देनजर करीब चार हजार पुलिसकर्मी [महिला-पुरुष] को मंगवा लिया गया है। हालांकि पार्क के तैयार न हो पाने के कारण अभी उनकी तैनाती नहीं की गई है। बड़ी संख्या में सादे कपड़ों में खुफिया विभाग, आइबी, स्पेशल सेल व अपराध शाखा के लोग मैदान के अंदर-बाहर व आसपास अपनी पैनी नजर रखेंगे। संभवत: शुक्रवार सुबह अन्ना के कार्यक्रम के हिसाब से पुलिस बल तैनात किया जाएगा। रामलीला मैदान की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करने के लिए बुधवार रात से बृहस्पतिवार दिन भर तमाम आला अधिकारियों की बैठक में रणनीति तय की जाती रही।

मैदान के प्रवेश द्वारों, अंदर व चारों तरफ दीवारों से सटे तैनात पुलिसकर्मियों की डीलिंग लोगों से होगी। ये सभी पुलिसकर्मी बिना हथियारों व लाठियों के होंगे। इसके अलावा कवरिंग यानी चारों तरफ के एरिया, रुट्स, पिकेट, मचान व मोर्चा [रेत की बोरियों वाले] आदि पर तैनात पुलिसकर्मी अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगे। ताकि जरूरत पड़ने पर वे मोर्चा संभाल सके। सुरक्षा व्यवस्था में कितने पुलिसकर्मी तैनात होंगे, इसका ब्यौरा नहीं दिया जा रहा है। दिल्ली पुलिस प्रवक्ता राजन भगत का कहना है कि भीड़ के अनुसार सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे। सुरक्षा व्यवस्था मल्टी लेयर होगी। यानी कई स्तरों पर मेटल डिटेक्टर, डीएफएमडी व हाथों से तलाशी लेने के बाद ही किसी को अंदर प्रवेश करने दिया जाएगा। मैदान में आने वाले हर शख्श पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जाएगी। अनुमान है भीड़ अधिक बढ़ सकती है, जिससे पुलिस परेशानी तो महसूस कर रही है। किंतु उसे यह भी भरोसा है कि अन्ना समर्थक अनुशासित हैं। भीड़ का फायदा उठाकर कोई असामाजिक तत्व गड़बड़ी न कर सके इसके लिए दिन से रात में तीन-चार बार मैदान के अंदर व बाहर एंटी सबोटास चेकिंग [बम की जांच] की जाएगी। जगह-जगह मचान व मोर्चा बनाए जाएंगे। सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ की तीन कंपनी [300] महिला पुलिस कर्मी मंगाई गई हैं। कई जिले के आला अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था का नेतृत्व करेंगे।

इतिहास के पन्नों में दर्ज है रामलीला मैदान

-इतिहास के पन्नों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका दिल्ली का रामलीला मैदान एक बार फिर देश-दुनिया में सुर्खियों में है। वर्ष 1975 में यह मैदान जेपी आंदोलन का भी गवाह बना था, जिसकी परिणति इंदिरा गांधी सरकार की हार की रूप में हुई थी। हाल में ही यहां पर काले धन के मुद्दे पर योग गुरु बाबा रामदेव ने बिगुल फूंका।

इतिहास बताता है कि यह मैदान 128 साल का हो चुका है। वर्ष 1883 में अंग्रेजों ने इसे अपने सैनिकों के कैंप के लिए तैयार करवाया था। मैदान में उनके लिए तंबू वाले घर बनाए गए थे। अंग्रेजों ने मैदान में कई आयोजन भी कराए। इसी बीच पुरानी दिल्ली के कई हिंदू संगठनों द्वारा इस मैदान में रामलीलाओं का आयोजन किया जाने लगा। परिणाम स्वरूप इसकी पहचान रामलीला मैदान के रूप में हो गई।

देश की आजादी के बाद दिसंबर 1947 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली की। रैली को संघ के दूसरे सर संघ चालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर ने संबोधित किया था। वर्ष 1949 में फिर संघ ने बड़ी पब्लिक मीटिंग की। दिसंबर 1952 में रामलीला मैदान में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सत्याग्रह किया था। इससे सरकार हिल गई थी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सन् 1956 और 57 में मैदान में जनसभा की।

28 जनवरी, 1961 को ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने रामलीला मैदान में ही एक बड़ी सभा को संबोधित किया था। 26 जनवरी, 1963 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की उपस्थिति में लता मंगेश्कर ने एक कार्यक्रम पेश किया। मार्च 1973 में दलाईलामा ने बुद्धिज्म पर भाषण दिया। वर्ष 1977 में तत्कालीन विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी यहां पर विशाल जनसभा की थी। इसके बाद भी यहां पर कांग्रेस, भाजपा सहित अन्य दलों, संगठनों और धार्मिक संगठनों के कई एतिहासिक कार्यक्रम होते आए हैं।

No comments: