Tuesday, January 22, 2013

पांच हजार वर्ष पुरानी है कोणार्क रथ यात्रा


पांच हजार वर्ष पुरानी है कोणार्क रथ यात्रा

भुवनेश्वर,  : कोणार्क में पूरी की तरह भगवन सूर्य देव की रथ निकला जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र शाम्भ एक ऋषि के अभिशाप के कारण कोढ़ से पीड़ित हो गये थे। तब नारद मुनि ने उन्हें इससे छुटकारा पाने के लिए पांच हजार वर्ष पहले कोणार्क में आ कर सूर्य उपासना करने की सलाह दी थी। इसी कारण शाम्भ कोणार्क के चन्द्रभागा संमुद्र तट पर उगते हुए सूरज की पूजा करने के बाद कोढ़ से मुक्त हुए थे। उसी समय से कोणार्क में पौष दशमी के दिन से शाम्भ दशमी का पालन किया जाता है। शाम्भ दशमी ओडिशा के गांव-गांव में पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। शाम्भ द्वारा कोणार्क में पहला सूर्य मंदिर बनाया गया था। बाद में कई मंदिर बनाये गए एवं टूटते गए। 800 वर्ष पहले तत्कालीन पूरी के राजा लागुला नरसिंह देव ने आज के विश्व प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर का निर्माण किया था। उनके माता द्वारा चन्द्र भागा में सूर्य उपासना के समय पुत्र प्राप्ति होने पर भव्य मंदिर बनाने की कामना की गयी थी। तभी से पूरी के राजाओं द्वारा कोणार्क में सूर्य देव का रथ यात्रा एवं 27 दिन के बाद माघ सप्तमी के दिन वाहुडा यात्रा की जा रही है। इस वर्ष चन्द्र भागा से कोणार्क मंदिर तक वाहुडा रथ यात्रा 17 फरवरी को निकाली जाएगी। माघ सप्तमी के दिन पांच लाख से भी ज्यादा लोग कोणार्क पहुंचते है। उसी दिन प्रथकल में चन्द्र भगा समुद्र में स्नान करने के बाद उगते हुए सूर्य के पहले किरण शरीर में पड़ने से सभी तरह के चर्म रोग ठीक हो जाने का लोगो में विश्वास है। शाम्भ दशमी से 27 दिन तक लोग चन्द्र भगा में रथ यात्रा, भगवान सूर्य की उपासना एवं स्नान करने के बाद भगवन सूर्य देव को अ‌र्घ्य का प्रचलन है।

http://www.jagran.com/odisha/bhubaneshwar-10065821.html

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