Tuesday, December 23, 2014

अच्छा साहित्य मानव के लिए भोजन व प्राणवायु जितना जरूरी : रामगोपाल


0001जालंधर. अच्छा साहित्य मानव जीवन के लिये उतना ही जरूरी है- जितना कि भोजन और प्राणवायु, क्योंकि भोजन मानव के शरीर का निर्माण करता है तो सद्साहित्य से विचारों व संस्कार का निर्माण होता है जो जीवन संचालन के लिये अत्यावश्यक है. यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंजाब प्रांत के प्रचार प्रमुख श्री रामगोपाल सरस्वती विस्तार योजना के समापन पर व्यक्त किये. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत पूरे पंजाब में 20 और 21 दिसंबर को संघ के स्वयंसेवकों ने चौक-चौराहों, बस अड्डों व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जाकर साहित्य बेचा. इन दो दिनों में कुल 25000 पुस्तकों की बिक्री की गई.
सरस्वती विस्तार योजना के बारे जानकारी देते हुए श्री रामगोपाल ने बताया कि सूचना और क्रांति के युग में आज साहित्य निर्माण के क्षेत्र में जितनी क्रांति आई है, उतनी ही सद्साहित्य की कमी महसूस की जाने लगी है. मानव जीवन को संस्कारित बना परिवार को संस्कारित करने और संस्कारित परिवारों से आगे समाज को संस्कारवान बनाने के लिये संघ की ओर से यह प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि लोग अच्छे साहित्य को घर के अन्य जरूरी सामान की तरह अपने साथ लेकर जा सकें इसके लिये संघ के स्वयंसेवकों ने राज्य भर में जगह-जगह खड़े हो कर साहित्य बेचा.
0002इस योजना के अंतर्गत महापुरुषों के प्रेरक जीवन, आओ मकान को घर बनायें, सफलता और सार्थक जीवन का आधार सेवा, बाल कथायें और भारत का गौरव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नामक पांच शीर्षकों से पुस्तकों का प्रकाशन किया गया. दो दिन सभी कार्यकर्ताओं ने मिल कर इस साहित्य को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास किया. उन्होंने बताया कि समय-समय पर पूरे देश में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और पंजाब के लिये 20 और 21 दिसंबर के दिन तय किए गये थे. संघ के प्रचार प्रमुख श्री रामगोपाल ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे और समाज को संस्कारवान बनाने का यज्ञ जारी रहेगा. उन्होंने बताया कि राज्य के सभी 144 नगरों व कस्बों में यह कार्यक्रम चला.
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