जैसलमेर (विसंके). तारातरा मठ के स्वामी प्रतापपुरी महाराज ने स्थानीय जनसेवा समिति के सभागार में आयोजित प्रबुद्ध नागरिकों की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिंदू संस्कृति गाय पर टिकी है. हमारे सारे रीति-रिवाज और जीवन से मृत्यु तक के सभी 16 संस्कार गाय के बिना अधूरे हैं परंतु अकाल जैसी विषम परिस्थितियों में पशुपालकों के लिये यह ‘धण’ अब ‘ढोर’ बनने लगा है.
उन्होंने अकाल में चीत्कार कर रही गो माता के संरक्षण के कार्य में जुटी सीमाजन कल्याण समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि गाय का समाज और विज्ञान में महत्व सार्वभौमिक है इसलिये इसे केवल अर्थ से नहीं जोड़ना चाहिये. गाय की सेवा करने से रोग और क्लेश हमसे दूर रहते हैं. समाज के सभी वर्गों को इस अकाल की घड़ी में काल का ग्रास बन रहे गोवंश को बचाने के लिये आगे आना चाहिये.
जैसलमेर के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमाजन कल्याण समिति द्वारा संचालित गो शिविरों के मार्गदर्शक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक श्री बाबूलाल जी ने कहा कि हम संपूर्ण मानव समाज के साथ प्राणियों की रक्षा के लिये चिन्ता करने वाले हैं. गोचर और ओरण की जमीन हमारे यहां रखी जाती है ताकि पशुओं का स्वतंत्र विचरण और संरक्षण हो सके.
जैसलमेर-बाड़मेर के सीमावर्ती गांवों में गोवंश चारे-पानी के संकट से गुजर रहा है. हमने सरकारी अनुदान के बिना ही प्रभावित क्षेत्रों में चारा डिपो शुरू कर दिये थे. इन दिनों जिले में 30 गो शिविरों में 7600 गोवंश का संरक्षण दिया जा रहा है. रामदेवरा और देवीकोट में असहाय नर गोवंश (बैलों) को रखा जा रहा है, ताकि शीत के प्रकोप का शिकार होने और बूचड़खानों में जाने से उन्हें रोका जा सके.
सीमाजन कल्याण समिति के प्रदेश संगठन मंत्री नीम्बसिंह ने अतिथियों का परिचय कराया. संघ के विभाग संघचालक डॉ. दाऊलाल शर्मा ने उपस्थित प्रबुद्धजनों से गोवंश को बचाने के लिये चल रहे इस महायज्ञ में अर्थ की आहुति देने का अनुरोध किया. इस अवसर पर मंच पर सीमाजन कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष अलसगिरी उपस्थित थे. संरक्षक मुरलीधर खत्री ने आभार जताया. मंच संचालन भगवतदान रतनू ने किया.
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