भिवानी (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेश कुमार जी ने कहा कि संघ स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देकर राष्ट्रनिर्माण के कार्य में लगा रहा है. संपूर्ण देश में प्रतिदिन लाखों स्वयंसेवक तथा राष्ट्र सेविका समिति की हजारों सेविकाएं राष्ट्र निर्माण में साधनारत हैं. इंद्रेश कुमार जी 20 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य, भिवानी) के समारोप कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महाबीर फौगाट जी उपस्थित थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता निर्मल मिंडा जी ने की.
इंद्रेश जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक सामाजिक संगठन है तथा देश की नींव को मजबूत करने के लिए कार्य कर रहा है. बाहरी मैल को समाप्त करने के लिए पानी, साबुन, तेल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अंदरुनी मैल को समाप्त करने के लिए सत्संग व सत्कार्य जैसी संघ की विचारधारा से जुड़ना होता है. संघ की शाखा में देश प्रेम व देशवासियों के प्रति प्रेम के भाव दिए जाते है. सामाजिक समानता के लिए संघ में छुआछूत को दूर रखा जाता है, यहां सब भारतीय है तथा भारतीयता की भावना से एक साथ एक सूत्र में बंधे हैं. छुआछूत अधर्म है, पाप और अपराध है. छुआछूत मुक्त भारत संघ का लक्ष्य है.
उन्होंने कहा कि संघ में सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका का निर्वहन करने के गुर भी दिए जाते है. भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब सुदामा उनसे मिलने गए तो उन्होंने सबसे पहले दूर खड़े सुदामा से गले लगकर उनकी समस्या का निवारण किया. द्वारकाधीश ने अपने कुशल राजा होने का परिचय दिया था. आज के समय में भी प्रशासकों को भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरणा लेकर एक कुशल प्रशासक के रूप में अपने कार्य में संलग्न रहना चाहिये. जिनका मूल उद्देश्य देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचकर उसकी समस्या का निवारण करना होना चाहिये, ताकि राष्ट्रनिर्माण का कार्य हो सके.
इंद्रेश कुमार जी ने नारी शिक्षा पर भी बल दिया और कहा कि प्रत्येक मनुष्य नारी की कोख से जन्म लेकर आया है तथा उसे नारी का सम्मान करना चाहिये. देश से भ्रूण हत्या, बलात्कार, तलाक, दहेज, घरेलू हिंसा जैसी विकृति को दूर करना चाहिये तथा नारी शक्ति को सम्मान देना चाहिये. नारी के सम्मान के लिए संघ भी निरंतर काम कर रहा है तथा फिलहाल राष्ट्र सेविका समिति से 26 हजार 136 प्रकल्पों के माध्यम से महिलाओं को लाभ पहुंच रहा है. महिलाओं के अब तक 4 हजार प्रशिक्षण केन्द्र चल रहे है. नारी संस्कृति है, संस्कार है. नारी शोषण मुक्त समाज संघ का मिशन है.
गऊ माता के सम्मान के बारे में कहा कि गऊ ऐसा जीव है जो खाने के बाद विषैले पदार्थ अपने शरीर में रख लेती है तथा अमृत प्रदान करती है, जबकि मनुष्य अमृत अपने अंदर रख लेता है तथा विषैले पदार्थो को बाहर निकालता है. फिर भी कुछ लोग गऊ माता के गौश्त का प्रयोग करते है. गऊ की पूजा करनी चाहिये. गाय मानवता की मां है, जैसे मां के दूध से बालक फलता फूलता है, वैसे ही सारा संसार गाय के दूध पर विकास करता है.
उन्होंने कहा कि अब देश में राममंदिर के मुद्दे पर समर्थन बढ़ता जा रहा है. यह हमारे लिए अच्छी बात है कि सभी वर्ग राम मंदिर को लेकर सहमति दर्ज करवा रहे हैं. भगवान राम खुदा है तथा खुदा ही राम है. जो व्यक्ति राम व खुदा में भेद करता है, वह शैतान है. यह समस्या विदेशियों द्वारा खड़ी की गई है. बाबर विदेशी था, उसका हिन्दुस्थान व हिन्दुस्थानियों से कोई लेना देना नहीं था. उसका सेनापति मीरबांकी था, उसने अत्याचार करते हुए भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश ना की होती तो आज अयोध्या में समस्या ही खड़ी ना होती.
उन्होंने कहा कि आज देश में चीनी ताकतें कब्जा करने का प्रयास कर रही हैं. इसके लिए अपना सस्ता व कम गुणवत्तापूर्ण सामान भारत में भेज कर अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं है कि भारतीय लोग अपने देश को कमजोर नहीं होने देंगे. उन्होंने आह्वान किया कि देशवासियों को अपने देश में निर्मित सामान का उपयोग करना चाहिये ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो तथा प्रत्येक गरीब को भरपेट भोजन मिले, कोई भूखा ना सोए. अपने उत्सवों व त्यौहारों को चीनी माल से मुक्त कर चीन को युद्ध के मार्ग से बुद्ध के मार्ग पर लाकर सबक सिखाएं. उन्होंन कहा कि पाकिस्तान, आज भारत से द्वेष व हिंसा के कारण टुकड़े-टुकड़े होने की ओर बढ़ रहा है. पाकिस्तान में पाकिस्तानी मुस्लमानों (पख्तून, बलूच, सिंधी, बालटीस्तानी आदि आजादी के आंदोलन) को गोलियों, बमों से भूना जा रहा है.
कार्यक्रम के अध्यक्ष महावीर फौगाट जी, उद्योगपति निर्मल मिंडा जी ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर वर्ग कार्यवाह प्रदीप कुमार जी, वर्ग अधिकारी पवन जिंदल जी, वर्ग पालक अनम कुमार जी, व्यवस्थापक रमेश कुमार जी सहित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
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