शिमला (विसंकें). भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनाथ चौधरी जी ने कहा कि राष्ट्रहित और किसान हितों में कोई अंतर नहीं है. राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाना किसान को नुकसान पहुंचाने के समान है. भारतीय किसान संघ देश का सबसे बड़ा किसान प्रतिनिधि संगठन है, ऐसे में जो मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में किसान आंदोलन हो रहे हैं और राजस्थान में आंदोलन शुरू होने जा रहा है, उसे लेकर देश में कई भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं.
बद्रीनाथ जी विश्व संवाद केंद्र शिमला में पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि किसानों का कभी भी हिंसक आंदोलनों और राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदर्शनों में हाथ नहीं रहा है. भारतीय किसान संघ 1979 से देश में कार्य कर रहा है, लेकिन आजतक कभी भी किसानों की ओर से हिंसक आंदोलन नहीं किये गये हैं. देश में कुछ ऐसे नीति निर्माता रहे हैं, जिनके कारण किसान को फसलों के समर्थन मूल्य प्राप्त नहीं हो पाते हैं. वर्तमान में भी कुछ ऐसी घटनायें रही हैं, जिनमें फसलों का बंपर उत्पादन तो हो गया, लेकिन समर्थन मूल्यों के कारण किसानों को समस्याएं रहीं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों से दलहन उत्पादन में वृद्धि करने की मांग की थी. गत वर्ष अच्छी मानसून के कारण दलहन का उत्पादन तो बढ़ गया, मगर सरकार ने विदेशों से दालें आयात कर लीं. साथ ही देश में भंडारित फसलों पर किसानों को सही समर्थन मूल्य नहीं मिल पाया. जिसके कारण किसान अपनी मांगों को लेकर देशभर में अहिंसक तरीके से विरोध के रास्ते पर थे. भारतीय किसान संघ ने पूरे देश में अहिंसक तरीके से हर मंच पर किसान के हितों की मांग रखी. दिल्ली के जंतर मंतर में संघ की ओर से देश की ससंद से किसानों की मुश्किलों को दूर करने के लिए विशेष सत्र की मांग भी की गयी, लेकिन सत्र में किसान हितों को हाशिये पर ही रखा गया. उन्होंने मध्य प्रदेश में घटी घटनाओं को दुखद बताते हुए कहा कि वहां पर जो 6 किसानों की गोली लगने से मौत हुई है, वह बहुत दुखद घटना है. ऐसी घटनाओं में किसानों को आगे करके केवल कुछ स्वार्थी तत्व अपने हितों की पूर्ति करना चाहते हैं. किसानों का आंदोलन राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है. वे अपनी मांगे शांति पूर्ण आंदोलनों से सरकार के सामने रखते हैं, जिसमें भारतीय किसान संघ की सकारात्मक भूमिका रहती है. बद्रीनाथ जी ने कहा कि देश में आज किसान के नाम पर जो हालात बने हैं, उसके पीछे किसान नहीं है. बल्कि कुछ ऐसे तथाकथित लोग हैं जो अपने राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करना चाहते हैं.
भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनाथ चौधरी जी का कहना था कि सरकार इतनी सक्षम है कि किसानों को फसलों के वाजिब दाम दिलाये जा सकते हैं, लेकिन सरकारों ने इस ओर अभी तक अपेक्षित ध्यान नहीं दिया है. सरकार के पास किसानों की लागत से लेकर सही मूल्य निकालने के लिए अनेक एजेंसिया मौजूद है, फिर भी किसान के हितों को अनदेखा किया गया है. सरकार आयोग बनाकर भी किसान की समस्याओं को हल कर सकती है, लेकिन यह दुर्भाग्य है कि किसानों को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है.
हिंसा और आगजनी की जांच कर हो कठोर कार्यवाही
भारतीय किसान संघ ने मांग की कि जिस प्रकार 6 किसानों की गोली मारकर हत्या हुई और किसान आंदोलन के नाम आगजनी करके राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. उसकी निष्पक्ष और ठोस जांच की जाए. उन्होंने माना कि शांतिपूर्ण आंदोलन से किसानों और सरकार के बीच चल रहा गतिरोध थम गया था, लेकिन 5 जून के बाद जो किसानों के नाम पर आंदोलन किये गये, उसमें किसान शामिल नहीं थे. कुछ राजनीतिक और स्वार्थी तत्वों ने अपने हितों के साधन के लिए किसानों को मोहरा बनाया जो दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके पीछे के छिपे लोगों को सामने लाने के लिए भारतीय किसान संघ निष्पक्ष जांच की मांग करता है. प्रैस वार्ता में भारतीय किसान संघ के हिमाचल प्रांत के प्रदेशाध्यक्ष भगतराम जी, प्रांत संगठन मंत्री हरिराम जी मौजूद रहे.
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