Kota, Rajasthan: RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat has addressed a gathering of Swayamsevaks at Maharaj Udaya Sing Stadium of Kota in Rajasthan on  the January 19th. RSS Sarasanghachalak Mohan Bhagwat, RSS Kshethreeya Sanghachalak Purushottham Paranjape, Pranth Sanghachalak Bhagawati Prasad, Vibhag Sanghachalak Prabhash Chandra and several other senior RSS functionaries were present during the occasion.
Mohan Bhagwat at Kota Jan 19-2014.
Mohan Bhagwat at Kota Jan 19-2014.
कोटा।  19 जनवरी 2014 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोटा विभाग के कोटा महानगर, कोटा जिला एवं बून्दी जिले के स्वयंसेवक का एकत्रिकरण महाराव उम्मेदसिंह स्टेडियम कोटा में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में हजारो की संख्या में गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया। स्वयंसेवक नेकर, कमीज, टोपी के साथ पूर्ण गणवेश में थे। कार्यक्रमें सर्व प्रथम संघ प्रार्थना एवं ध्वज प्रणाम के साथ प्रारम्भ हुआ।
मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक माननीय मोहन जी भागवत, क्षेत्रीय संघचालक पुरुषोत्तम पंराजपे, प्रान्त संघचालक भगवती प्रसाद एवं विभाग संघ चालक प्रभाष चन्द्र जी तैलंग मंचासीन थे।
कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने सर्वयोग, सूर्यनमस्कार सहित अनेक योगों को प्रदर्शित किया। आकर्षित शारीरिक प्रदर्शन घोष (बेण्ड) की धुन पर किया गया। सभी स्वयंसेवकों ने सुभाषितम एवं स्वामी विवेकानन्द के द्वारा कहे अमृत वचन ‘‘अपना सारा ध्यान एक ही ईश्वर पर लगाओ हमारा देश ही, हमारा जागृत देवता है।’’ उसके बाद सामूहिक गीत गान किया जिसमें प्रमुख गान ‘‘व्यक्ति-व्यक्ति में जगाये – राष्ट्र चेतना’’
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक माननीय मोहन जी भागवत  ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि यहां पर सिर्फ स्वयंसेवकों को कार्यक्रम है। स्वयंसेवक यहां सुनने नहीं कार्य करने के उद्देश्य से आये है। स्वयं का आत्म चिंतन करते हुये संघ कार्य को आगे बढ़ाने हेतु सोचना पड़ेगा। जिस चिंत के लिये हम आये है। उसको पूरा करने हमारा धैर्य होना चाहिये।  कुछ करने की आवश्यकता होगी तभी विचार मन आयेगें। हम हिन्दु राष्ट्र के अंग है। यह गौरव की बात है। विपरित परिस्थितियां हो हमें अपना कार्य सजगता से पूर्ण करना हमारा लक्ष्य हो। हमारे राष्ट्र में ऐसी बूरी प्रवृत्तियां आयी है किन्तु हमारे सामने टिक नहीं पायेगें।
मा. भागवत जी ने कहा कि पहले हम स्वयं को राष्ट्र सेवा के लिये तैयार करे फिर दूसरे को कहे। राष्ट्र को भाग्य उदय करना ही हमारा दायित्व होना चाहिये। भारत को संवारना है तो हिन्दु समाज को आगे बढ़ाना ही होगा। स्वार्थ भावना हो छोड़कर हिन्दु यदि भारत के बारे में विचार करेगा तभी भारत देश, विश्व में सर्वेच्च स्थान प्राप्त करेगा।  संघ कार्य ईश्वरीय कार्य मानकर चलना ही हमारा उद्देश्य है। हमें समाज मेें सावधान रहकर हमारे आचरण को स्वच्छ रखना चाहिये। पूर्ण अनुशासन में रहते हुये हमें अपने कार्य को करेगें तभी हमारे धैर्य को पा सकेगें । राष्ट्र को बनाने का कार्य ही हम करते है।मा. भागवत जी ने कहा हमारी शक्ति का उपयोग हिन्दु राष्ट्र के लिये करे। तभी हमारी सेवा राष्ट्र के प्रति होगी। तेरे वैभव असर रहे मां हम रहे या ना रहे यह विचार मन में लेकर हमें अपने कार्य के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञ होना होगा