राज्यस्तरीय विशाल जनजातीय अधिकार सम्मेलन
'मौलिक अधिकार से वंचित हैं आदिवासी'
भुवनेश्वर : वनवासी कल्याण आश्रम की तरफ से रविवार को राजधानी भुवनेश्वर में राज्यस्तरीय विशाल जनजातीय अधिकार सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में राज्य भर से तकरीबन 50 हजार जनजातीय-आदिवासी समाज के लोगों ने भाग लिया। मास्टर कैंटीन चौक पर आयोजित सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि देश को आजाद हुए 66 साल हो गया है, मगर जनजातीय-आदिवासी समाज (एसटी) आज भी मौलिक अधिकारों से वंचित है।
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सम्मेलन में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि वनांचल इलाकों में आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य तथा यातायात की व्यवस्था एवं जल जमीन जंगल पर जनजाति अधिकार की मान्यता, विस्थापितों के पुनर्वास तथा पुनर्वास का अधिकार, कर्म नियुक्ति, जनजातियों को संविधान के अनुसार सुरक्षा का अधिकार, जनजातियों के आस्था, विश्वास तथा संस्कृति की सुरक्षा, खदान संपत्ति के लाभांश से 26 प्रतिशत स्थानीय इलाकों के विकास में खर्च किया जाने जैसी 7 सूत्री मांग को लेकर आज यह सम्मेलन राजधानी में किया गया है। वनवासी कल्याण आश्रम के 61 साल पूरे होने तथा पूज्य वनयोगी बालासाहेब देशपाण्डे के जन्म शतवार्षिकी एवं स्वामी विवेकानंद के 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित यह विशाल कार्यक्रम आयोजित किया गया। अपने पारंपरिक वेश भूषा में सज्जिात होकर हजारों की संख्या में वनवासी नाच गाना करते हुए श्रीराममंदिर चौक, मास्टर कैंटीन चौक होते हुए पीएमजी चौक पहुंचे। यहां पर जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष दिलीप सिंह भूरिया मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए कहा कि जनजाति समाज के लोग अपने अधिकार के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं, मगर उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे मजबूर होकर आज यहां एकत्र हुए हैं। इस अवसर पर वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद सिंह, लक्ष्मन नायक आदि ने सभा को सम्बोधित किया।
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