फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी, कलियुग वर्ष ५११५
क्या अमेरिकाके न्यायालयोंके समान भारतके न्यायालय कभी निर्णय देते हैं ?
जिहादी आतंकवादियोंको ढूंढने हेतु सदैव एवं विश्वमें सर्वत्र मस्जिदोंकी ही जांच क्यों करनी पडती है ?
न्युयार्क, २१ फरवरी – यहांके न्यायालयने २१ फरवरीको निर्णय दिया है कि गुप्त पुलिसद्वारा न्युयार्ककी मस्जिदें, मुसलमान व्यावसायिकोंके कार्यालय एवं मुसलमान विद्यार्थियोंकी जांच करनेसे अमेरिकाकी राज्यघटनाका किसी भी प्रकारसे उल्लंघन नहीं होता । यहांके मुसलमानोंने न्यू जर्सीके न्यायालयमें याचिका प्रविष्ट की थी, जिसमें कहा गया था कि उन्हें केवल उनके धर्मके कारण लक्ष्य किया जा रहा है ।
इसपर जिला न्यायाधीश विल्यम मार्टिनने इसमें कोई अवैधता न होनेका खुलासा देते हुए यह याचिका निरस्त की ।
१. अमेरिकाके ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’पर हुए ११ सितंबर २००१ के आक्रमणके उपरांत गुप्त पुलिसद्वारा यहांके इस्लामी संगठनोंकी कसकर जांच होनेके संदर्भमें यहांके माध्यमोंके लेखोंके माध्यमसे प्रथम स्पष्ट हुआ था ।
२. यहांके सय्यद फरहाज हसनने ‘इस गुप्त स्वरूपसे की जानेवाली जांचके कारण अपने व्यक्तिस्वतंत्रतापर आंच आ रही है तथा धार्मिक सेवा भी प्रतिबंधित होकर व्यावसायिक कार्यकालपर भी संकट आ गया है’, इस आशयका परिवाद किया था । परंतु न्यायाधिशने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि इस जांच एवं गुप्तचरीका उद्देश्य मुस्लिमविरोध नहीं, अपितु आतंकवादविरोध है । (वस्तुस्थिति ज्ञात न होते हुए भी दबावतंत्रका उपयोग करनेवाले झूठे धर्मांध ! जिहादी आतंकवादियोंके विरुद्ध कभी मुंह नहीं खोलते; परंतु जिहादी आतंकवादियोंपर कार्यवाही होने लगी, तो विविध कारण बताते हुए विरोध करते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. परिणाम घोषित करते हुए न्यायाधीशने कहा कि संभवतः इस जांचके कार्यक्रमसे यहांके मुसलमानोंपर परिणाम हुआ होगा; परंतु इस जांचका उद्देश्य कानूनका पालन करनेवाले सज्जन मुसलमानोंमें छिपे मुसलमान आतंकवादी ढूंढना है ।(क्या सज्जन मुसलमानद्वारा कभी छिपे जिहादी आतंकवादीकी जानकारी दी गई है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
इसपर जिला न्यायाधीश विल्यम मार्टिनने इसमें कोई अवैधता न होनेका खुलासा देते हुए यह याचिका निरस्त की ।
१. अमेरिकाके ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’पर हुए ११ सितंबर २००१ के आक्रमणके उपरांत गुप्त पुलिसद्वारा यहांके इस्लामी संगठनोंकी कसकर जांच होनेके संदर्भमें यहांके माध्यमोंके लेखोंके माध्यमसे प्रथम स्पष्ट हुआ था ।
२. यहांके सय्यद फरहाज हसनने ‘इस गुप्त स्वरूपसे की जानेवाली जांचके कारण अपने व्यक्तिस्वतंत्रतापर आंच आ रही है तथा धार्मिक सेवा भी प्रतिबंधित होकर व्यावसायिक कार्यकालपर भी संकट आ गया है’, इस आशयका परिवाद किया था । परंतु न्यायाधिशने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि इस जांच एवं गुप्तचरीका उद्देश्य मुस्लिमविरोध नहीं, अपितु आतंकवादविरोध है । (वस्तुस्थिति ज्ञात न होते हुए भी दबावतंत्रका उपयोग करनेवाले झूठे धर्मांध ! जिहादी आतंकवादियोंके विरुद्ध कभी मुंह नहीं खोलते; परंतु जिहादी आतंकवादियोंपर कार्यवाही होने लगी, तो विविध कारण बताते हुए विरोध करते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
३. परिणाम घोषित करते हुए न्यायाधीशने कहा कि संभवतः इस जांचके कार्यक्रमसे यहांके मुसलमानोंपर परिणाम हुआ होगा; परंतु इस जांचका उद्देश्य कानूनका पालन करनेवाले सज्जन मुसलमानोंमें छिपे मुसलमान आतंकवादी ढूंढना है ।(क्या सज्जन मुसलमानद्वारा कभी छिपे जिहादी आतंकवादीकी जानकारी दी गई है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
स्त्रोत : सनातन प्रभात
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