Sunday, February 02, 2014

मौलिक अधिकारों के लिये वनवासियों ने उठाई आवाज

'Fundamental rights are denied tribal'














 Bhubaneswar  -02/02-विशाल जनजातीय अधिकार सम्मेलन में राज्य के वनवासियों ने कल यहां एकत्र होकर वनवासी कल्याण आश्रम के संस्थापक स्वर्गीय बालासाहेब देशपाण्डे को उनकी जन्म शतवार्षिकी पर अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की और संकल्प लिया कि वे पूज्य वनयोगी देशपाण्डे के दिशाबोध से निरंतर अभिप्रेरित होते हुए वनवासियों के कल्याण के will continue to work. The conference corner of the state - about 50 thousand dwellers came from the corner while addressing Most speakers monotone deeply regretted the fact that 66 years after Independence, tribal society is deprived of fundamental rights. Additionally, he won his legal rights had vowed to stay until the ongoing conflict.
वनवासी कल्याण आश्रम के 61 साल पूरे होने और पूज्य वनयोगी बालासाहेब देशपाण्डे की जन्म शतवार्षिकी के आयोजन पर आयोजित सम्मेलन में वनवासियों अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सज्जित होकर पारंपरिक नृत्य-गान करते हुए श्रीराममंदिर चौक, मास्टर कैंटीन चौक होते हुए पीएमजी चौक पहुंचे.
सम्मेलन के मुख्य अतिथि अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री दिलीप सिंह भूरिया ने कहा कि जनजाति समाज के लोग अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए पिछले कई सालों से संघर्ष कर रहे है, मगर उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, which forced've gathered here today. While critical of the government on the recommendation of a committee constituted by the 'PESA Act was made. At the village level meeting of forest dwellers by the law were given decision-making powers. Mr Bhu the jungle so he began to demand for their rights and their legitimate demands no one can deny.   
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सम्मेलन के मुख्य वक्ता वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष श्री कृपा प्रसाद सिंह ने अपने उद्बोधन में वनयोगी बाला साहेब देशपाण्डे के सुख-सुविधाओं के त्याग का श्रद्धापूर्ण स्मरण करते हुए बताया कि किस प्रकार उन्होंने वनवासियों को संगठित किया और आत्म-निर्भर बनकर खोया आत्मसम्मान again to get them motivated. 
Shri Lakshmi Nayak Prantay dwellers for their rights in the future - their Sthanen called upon to unite in struggle. 
Vananchal areas of education, health and transport system recognizes the rights of forest dwellers on forest land and water, the right to rehabilitation and rehabilitation, work placement, according to the Constitution, the right to security, faith, faith and culture protection, mine property लाभांश से 26 प्रतिशत स्थानीय इलाकों के विकास में खर्च किया जाने जैसी सात सूत्री मांगों के ज्ञापन को वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष श्री कृपा प्रसाद सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने उड़ीसा के राज्यपाल डॉ. एस. Jamir presented.




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