Dangerous conspiracy against Hindus going on in the world!
February 21, 2014
Falgun Krishna Sshti side, Kaliyuga year 5115
किसी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि उस राष्ट्र के बहुसंख्यक सुरक्षित व शक्तिशाली हों। यदि बहुसंख्यक कमजोर हो गये तो उस राष्ट्र का लोकतंत्र तथा वह राष्ट्र भी शक्तिहीन हो जाएगा। अमरीका, यूरोप इत्यादि देश, जहां बहुसंख्यकों का ही शासन है और वहां पूर्णत: शांति व समृद्धि है। लेकिन बहुसंख्यक हिंदू समाज को नष्ट करके भारत देश को गुलाम बनाने के लिए विदेशी शक्तियां आज भारत की देश विरोधी सेकुलर शक्तियों के साथ मिलकर निरंतर कई षड्यंत्र कर रही हैं। ये षड्यंत्र जिहादी आतंकवाद से भी अधिक खतरनाक हैं।
अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के लिए स्वार्थी सेकुलरवादी नेताओं ने ९० करोड़ हिन्दुओं के साथ विश्वासघात करके देश को पवित्र 'हिंदू राष्ट्र' बनाने के बजाय एक अपवित्र, धर्महीन, चरित्रहीन सेकुलर धर्मशाला बना दिया है। जहां बहुसंख्यक हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक हो गए हैं। दिन-प्रतिदिन उनके धार्मिक, लोकतांत्रिक व मानवाधिकार कुचले जा रहे हैं।
कश्मीर में हिंदूओं पर इतना भयंकर अत्याचार किया गया, जितना हिटलर ने यहूदियों पर भी नहीं किया था पर संयुक्त राष्ट्र तक ने कश्मीर शरणार्थियों की कोई मदद नहीं की। भारत में हिंदूओं के खिलाफ यह षड्यंत्र कई तरीकों से चल रहा है। सबसे पहला तो राजनीतिक षड्यंत्र, जिसके चलते देश के कई प्रांतों में ईसाई मुख्यमंत्री हैं तथा देश के अधिकतर महत्वपूर्ण पदों पर ईसाइयों को बैठाया गया है ताकि पोप के आदेशानुसार भविष्य में भारत को एक ईसाई बहुल स्थान बनाया जा सके। इसी तरह मुसलमान भी सेकुलरवादी नेताओं से चुनाव के समय ऐसी शतंर्मनवाते हैं जो कि सिर्फ और सिर्फ उनके हित में होती हैं और हिंदूओं के खिलाफ। इसे मुस्लिम तुष्टीकरण की हद ही कहेंगे कि बंगलादेश से आये दिन हजारों घुसपैठियों को उनके वोट के लिए स्वागत के साथ भारत आने दिया जा रहा है, जो देश में आतंकवाद व गरीबी बढ़ा रहे हैं,जबकि बंगलादेश में हिंदूओं को मुसलमान चुन-चुन कर मार रहे हैं। अपने ही देश के साथ इतना बड़ा विश्वासघात दुनिया में कहीं भी नहीं है।
दूसरी ओर सभी कानून हिंदू धर्म के विरुद्ध बना कर हिंदू धर्म को नष्ट करने का भी गहरा षड्यंत्र प्रगति पर है। विदेशों से अपार धन भारत में आ रहा है,जिससे लाखों हिंदूओं का इस्लाम और ईसाइयत में लालच देकर या फिर जबरन मतपरिवर्तन कराया जा रहा है। मुसलमान और ईसाइयों के प्रति बढ़ती उनकी प्रेम भावना का ही उदाहरण है कि दक्षिण में मंदिरों की सैकड़ों करोड़ की जमीन ईसाइयों में बांट दी गई,वहां के मंदिरों की करोड़ों की आमदनी को भी सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। इस पैसे का उपयोग वहां की सरकारें इन उन्मादियों को पालने और पोसने पर खर्च कर रही हैं। इसी तरह देश के अन्य प्रान्तों में भी यह दुष्चक्र चल रहा है। ऐसा अन्याय और अपमान दुनिया की किसी भी जाति पर नहीं होता देखा गया होगा।
मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते सेकुलर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि मुसलमान गरीब , अत: देश की आमदनी पर पहला अधिकार मुसलमानों का है,जबकि पहले से ही उनको अनेक प्रकार की सुख-सुविधायें मिल रही हैं, लेकिन हिंदूओं के दुख और सुख से किसी भी पार्टी या राजनेता को कोई मतलब नहीं है। इस तरह हिंदूओं को चारों तरफ से लूटकर अपना मुस्लिम और ईसाई वोट बैंक बनाया जा रहा है। आखिर सवाल यह है कि आज हिंदू समाज का पतन क्यों हो रहा है? भारत में जहां हिंदू आबादी का ८४ प्रतिशत है वहां विश्व कल्याणकारी हिंदू धर्म राष्ट्र धर्म क्यों नहीं है? स्कूल में हिंदू विद्यार्थियों को वेद, गीता,रामायण क्यों नहीं पढ़ाये जाते?
दूसरा विश्वबंधुत्व की अति से हिंदू समाज में कभी धर्मबंधुत्व की भावना उदय नहीं हो सकी क्योंकि इसे संकुचित माना गया अत: पाकिस्तान, बंगलादेश और कश्मीर में करोड़ों हिंदूओं का कत्ल कर दिया गया पर कोई भी नहीं बोला, लेकिन वहीं कुछ मुसलमान या ईसाई मारे जाएं तो सारी दुनिया के मुसलमान या ईसाई चिल्लाने लगते हैं, क्योंकि उनमें धर्मबंधुत्व और उससे उत्पन्न एकता है। इससे उनकी राजनीतिक शक्ति दिन-रात बढ़ रही है।
अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के लिए स्वार्थी सेकुलरवादी नेताओं ने ९० करोड़ हिन्दुओं के साथ विश्वासघात करके देश को पवित्र 'हिंदू राष्ट्र' बनाने के बजाय एक अपवित्र, धर्महीन, चरित्रहीन सेकुलर धर्मशाला बना दिया है। जहां बहुसंख्यक हिन्दू दोयम दर्जे के नागरिक हो गए हैं। दिन-प्रतिदिन उनके धार्मिक, लोकतांत्रिक व मानवाधिकार कुचले जा रहे हैं।
कश्मीर में हिंदूओं पर इतना भयंकर अत्याचार किया गया, जितना हिटलर ने यहूदियों पर भी नहीं किया था पर संयुक्त राष्ट्र तक ने कश्मीर शरणार्थियों की कोई मदद नहीं की। भारत में हिंदूओं के खिलाफ यह षड्यंत्र कई तरीकों से चल रहा है। सबसे पहला तो राजनीतिक षड्यंत्र, जिसके चलते देश के कई प्रांतों में ईसाई मुख्यमंत्री हैं तथा देश के अधिकतर महत्वपूर्ण पदों पर ईसाइयों को बैठाया गया है ताकि पोप के आदेशानुसार भविष्य में भारत को एक ईसाई बहुल स्थान बनाया जा सके। इसी तरह मुसलमान भी सेकुलरवादी नेताओं से चुनाव के समय ऐसी शतंर्मनवाते हैं जो कि सिर्फ और सिर्फ उनके हित में होती हैं और हिंदूओं के खिलाफ। इसे मुस्लिम तुष्टीकरण की हद ही कहेंगे कि बंगलादेश से आये दिन हजारों घुसपैठियों को उनके वोट के लिए स्वागत के साथ भारत आने दिया जा रहा है, जो देश में आतंकवाद व गरीबी बढ़ा रहे हैं,जबकि बंगलादेश में हिंदूओं को मुसलमान चुन-चुन कर मार रहे हैं। अपने ही देश के साथ इतना बड़ा विश्वासघात दुनिया में कहीं भी नहीं है।
दूसरी ओर सभी कानून हिंदू धर्म के विरुद्ध बना कर हिंदू धर्म को नष्ट करने का भी गहरा षड्यंत्र प्रगति पर है। विदेशों से अपार धन भारत में आ रहा है,जिससे लाखों हिंदूओं का इस्लाम और ईसाइयत में लालच देकर या फिर जबरन मतपरिवर्तन कराया जा रहा है। मुसलमान और ईसाइयों के प्रति बढ़ती उनकी प्रेम भावना का ही उदाहरण है कि दक्षिण में मंदिरों की सैकड़ों करोड़ की जमीन ईसाइयों में बांट दी गई,वहां के मंदिरों की करोड़ों की आमदनी को भी सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। इस पैसे का उपयोग वहां की सरकारें इन उन्मादियों को पालने और पोसने पर खर्च कर रही हैं। इसी तरह देश के अन्य प्रान्तों में भी यह दुष्चक्र चल रहा है। ऐसा अन्याय और अपमान दुनिया की किसी भी जाति पर नहीं होता देखा गया होगा।
मुस्लिम तुष्टीकरण के चलते सेकुलर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि मुसलमान गरीब , अत: देश की आमदनी पर पहला अधिकार मुसलमानों का है,जबकि पहले से ही उनको अनेक प्रकार की सुख-सुविधायें मिल रही हैं, लेकिन हिंदूओं के दुख और सुख से किसी भी पार्टी या राजनेता को कोई मतलब नहीं है। इस तरह हिंदूओं को चारों तरफ से लूटकर अपना मुस्लिम और ईसाई वोट बैंक बनाया जा रहा है। आखिर सवाल यह है कि आज हिंदू समाज का पतन क्यों हो रहा है? भारत में जहां हिंदू आबादी का ८४ प्रतिशत है वहां विश्व कल्याणकारी हिंदू धर्म राष्ट्र धर्म क्यों नहीं है? स्कूल में हिंदू विद्यार्थियों को वेद, गीता,रामायण क्यों नहीं पढ़ाये जाते?
दूसरा विश्वबंधुत्व की अति से हिंदू समाज में कभी धर्मबंधुत्व की भावना उदय नहीं हो सकी क्योंकि इसे संकुचित माना गया अत: पाकिस्तान, बंगलादेश और कश्मीर में करोड़ों हिंदूओं का कत्ल कर दिया गया पर कोई भी नहीं बोला, लेकिन वहीं कुछ मुसलमान या ईसाई मारे जाएं तो सारी दुनिया के मुसलमान या ईसाई चिल्लाने लगते हैं, क्योंकि उनमें धर्मबंधुत्व और उससे उत्पन्न एकता है। इससे उनकी राजनीतिक शक्ति दिन-रात बढ़ रही है।
स्त्रोत : पाञ्चजन्य
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