भाद्रपद शुक्ल पक्ष षष्ठी, कलियुग वर्ष ५११६
उत्तराखण्ड सरकार का प्रशंसनीय निर्णय
संस्कृत और संस्कृत शिक्षा की बुनियाद मजबूत करने के लिए प्रदेश सरकार ने ४७५ राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय खोलने की योजना बनाई है । योजना के मुताबिक हर ब्लॉक में पांच संस्कृत प्राथमिक स्कूल खोले जाएंगे। प्रदेश में कुल ९५ विकासखंड हैं।
मौजूदा समय में संस्कृत की प्राथमिक शिक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं है। संस्कृत की पढ़ाई छठी कक्षा से ही शुरू होती है। योजना परवान चढ़ी तो यह प्रदेश में अनूठा प्रयोग होगा। कार्मिक विभाग ने इन स्कूलों के संचालन के लिए फिलहाल कुछ सहायक अध्यापकों के पदों को भी मंजूरी दे दी है। अपर सचिव संस्कृत शिक्षा विनोद रतूड़ी ने इस योजना की पुष्टि की है।
प्रदेश सरकार की योजना सारे स्कूल एक साथ खोलने की नहीं है, बल्कि चरणबद्ध तरीके से संस्कृत की राजकीय प्राथमिक पाठशालाएं खोलने की है, क्योंकि इसके लिए भूमि, भवन और अध्यापकों की भी जरूरत होगी। सूत्रों की मानें तो संस्कृत शिक्षा विभाग भवनों की समस्या से निपटने के लिए विद्यालयी शिक्षा विभाग से उन स्कूलों के भवनों को मुहैया कराने का प्रस्ताव बना रहा है, जहां इस वक्त छात्र संख्या शून्य है और स्कूल बंदी की कगार पर हैं। इसी तरह प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम तैयार करने की भी कवायद चल रही है।
इस वक्त प्रदेश में छह राजकीय महाविद्यालयों समेत संस्कृत के करीब 90 शिक्षण संस्थान हैं, जहां मध्यमा, शास्त्री, आचार्य आदि पाठय़क्रमों चलाये जाते हैं। संस्कृत शिक्षा को पूरी तौर पर पारंपरिक शिक्षा माना जाता है। इस वजह से अधिकांश विद्यार्थी इस विकल्प को नहीं चुनते।
संस्कृत शिक्षा से जुड़ी इस कठिनाई से पार पाने के लिए संस्कृत शिक्षा विभाग की योजना है कि संस्कृत शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों को पारंपरिक शिक्षा के साथ आधुनिक विषयों के पाठय़क्रम भी पढ़ाए जाएं, ताकि वे सामान्य विद्यार्थियों से न पिछड़ें। राज्य गठन के बाद प्रदेश में उप्र शिक्षा अधिनियम-१९७३ को ही अपना लिया गया था , जिसके बाद प्रदेश में संस्कृत शिक्षा की परीक्षाएं भी उप्र का संपूर्णानंद संस्कृत विविद्यालय करा रहा था, लेकिन २००५ में उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा अधिनियम पारित किया गया जिसके तहत उत्तराखंड संस्कृत विविद्यालय का गठन किया गया। इस विवि के पास उच्च संस्कृत शिक्षा की जिम्मेदारी है। संस्कृत शिक्षा निदेशालय के पास 12वीं तक की संस्कृत कक्षाओं की जिम्मेदारी है।
२०१० में प्रदेश में संस्कृत शिक्षा परिषद के गठन का फैसला लिया, लेकिन अभी तक इसका गठन नहीं हो पाया है। इसलिए निचली कक्षाओं की बोर्ड परीक्षाएं उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड के जिम्मे हैं। संस्कृत शिक्षा विभाग को उम्मीद है कि उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा अधिनियम के तहत जल्द ही संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन हो जाएगा और २०१६ की संस्कृत की परीक्षाएं संस्कृत शिक्षा बोर्ड की कराएगा।
स्त्रोत : समय लाइव्ह
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