Tuesday, December 03, 2013

पृथ्वी-2 प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण

पृथ्वी-2 प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण

Tue, 03 Dec 2013 
बालेश्वर
भारत ने स्वदेश निर्मित परमाणु आयुध ले जाने एवं 350 किमी. दूरी तक मार करने में सक्षम पृथ्वी दो प्रक्षेपास्त्र मंगलवार को बालेश्वर स्थित चांदीपुर परीक्षण रेंज से सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। सूत्रों की माने तो जमीन से जमीन पर मार करने में सक्षम इस पृथ्वी-2 मिसाइल को आज सुबह 10:05 बजे एकीकृत परीक्षण रेंज(आईटीआर) के काम्पलेक्स 3 स्थित एक सचल प्रक्षेपण से साल्वो मोड़ ले छोड़ा गया। यह मिशन 100 प्रतिशत सफल रहा और यह बिल्कुल सटिक प्रक्षेपण था। सूत्रों से पता चला है कि प्रक्षेपास्त्र को निर्माण भण्डार से क्रम रहित चुना गया था। पूरी परीक्षण प्रक्रिया को विशेष रूप से गठित सामरिक बल कमान (एसएफसी) द्वारा अंजाम दिया गया। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी अभ्यास कवायत के रूप में की। प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपण की सफलता की घोषणा करने से पहले प्रक्षेपास्त्र प्रक्षेपण पथ पर डीआरडीओ के रडार इलेक्ट्रो आप्टिकल निगरानी प्रणाली और ओडिशा तट पर स्थित टेली मेट्री स्टेशनों की मदद से नजर रखी गई। बंगाल की खाड़ी में तैनात एक पोत पर स्थित दल इसके प्रदर्शन पर नजर रखे थे। 2003 में भारत के सामरिक बल कमान में शामिल किया गया पृथ्वी दो प्रक्षेपास्त्र का विकास रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा भारत के प्रतिष्ठित समन्वित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत किया गया है। यह अब एक प्रमाणिक प्राद्यौगिक है। रक्षा सूत्रों की माने तो परीक्षण एसएफसी के नियमित प्रशिक्षण अभ्यास का हिस्सा था। इसकी निगरानी डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने की। सूत्रों की माने तो ऐसे प्रशिक्षण परीक्षणों से स्पष्ट रूप से किसी संभावित घटना से निपटने को लेकर भारत की तैयारी जाहिर होती है। इसके साथ ही यह भारत के सामरिक जखीरे की इस प्रतिरोधक प्रणाली की ंिवश्वसनीयता स्थापित करता है। पृथ्वी दो मिसाइल 500 किग्रा. से 1000 किग्रा. तक आयुध ले जाने में सक्षम है। यह तरल इंधन के दो इंजन से संचालित होता है। इसे सही पथ पर ले जाने के लिए एक उन्नत निर्देशित प्रणाली लगाई गई है। आज जैसे ही सुबह यह मिसाइल ऊुपर की ओर उठी जोरदार आवाज के साथ अपने पीछे सफेद रंग का धुआं छोड़़ते हुए लक्ष्य को पहुंच गई। इस धुएं को आकाश में नंगी आंखों से कई घंटों तक देखा गया। पिछली बार पृथ्वी दो का सफल परीक्षण इसी स्थल से इसी साल 7 अक्टूबर को किया गया था।

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