Sunday, September 18, 2011

हिन्दी को व्यवहारिक बनाएं : साहा

राउरकेला, Visakeo संवाददाता :

हिन्दी को राजभाषा नहीं बल्कि राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के साथ साथ व्यवहारिक भाषा के रूप में प्रयोग के लिए संकल्प लेने की जरूरत है। यह काम कठिन नहीं है बल्कि केवल ठान लेने की जरूरत है। दूर संचार भवन स्थित सम्मेलन कक्ष में आयोजित हिन्दी पखवाड़ा के समापन समारोह में मुख्य अतिथि आरएसपी के पूर्व राजभाषा अधिकारी मधुसूदन साहा ने यह बात कही।

दूर संचार भवन परिसर में बीएसएनएल की ओर से आयोजित हिन्दी पखवाड़ा के समापन समारोह में मुख्य अतिथि श्री साहू ने हिन्दी की दशा और दिशा पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर विशेष अतिथि दीपिका इंग्लिश स्कूल के अध्यापक अरविंद सिंह ने भी हिन्दुस्तान में हिन्दी की उपेक्षा एवं हिन्दी दिवस मनाने के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता इस्पात कालेज में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डा. संतोष कुमार श्रीवास्तव ने सरकारी कामकाज में अंग्रेजी के साथ साथ क्षेत्रीय भाषाओं पर करने पर जोर दिया। उन्होंने हिन्दी को संस्कृति का वाहक बताया और कहा कि अंग्रेजी के अनुसरण से संस्कृति में विकृति आ रही हैं। संयुक्त परिवार पर विश्वास रखने वाले अब अपने बुजुर्गो से दूर हो रहे हैं। उन्होंने पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण से राष्ट्र की प्राचीन व श्रेष्ठ संस्कृति को खतरा उत्पन्न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी प्रधान देशों में हिन्दी भाषी भले ही बस गये हैं पर उन्हें दोयम दर्जे का मना जाता है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में भी हिन्दी की अहम भूमिका है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दूर संचार जिला के महाप्रबंधक भरत कुमार जोग ने की। हिन्दी दिवस पर विभाग के अधिकारी, कर्मचारी व उनके बच्चों के बीच हिन्दी वाक, लेखन व काव्यपाठ का आयोजन किया गया एवं समापन समारोह में मुख्य अतिथि के हाथों सभी को पुरस्कृत किया गया।

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