Monday, September 10, 2012

पाकिस्तान ने ऐसी दुर्दशा की कि भागने को मजबूर हो गए हिन्दू!

पाकिस्तान ने ऐसी दुर्दशा की कि भागने को मजबूर हो गए हिन्दू!

Source: VSK- JODHPUR Date: 9/10/2012 4:14:53 PM

जोधपुर, 10 सितम्बर 2012 : पाकिस्तान के सिंध व हैदराबाद प्रांत में रहने वाले हिंदू परिवारों के 171 लोग पलायन कर भारत आ गए हैं। सीमा पर तारबंदी के बाद यह पहला मौका है जब एक साथ इतने लोग पाकिस्तान छोड़ कर आए हैं। थार एक्सप्रेस से रविवार सुबह ये लोग जोधपुर पहुंचे। इनमें सौ से ज्यादा महिलाएं व बच्चे हैं।

फिलहाल उन्होंने डाली बाई मंदिर के पास खुले आसमान के नीचे अस्थायी डेरा डाला है। ये सभी धार्मिक वीजा लेकर आए हैं, मगर पाकिस्तान लौटना नहीं चाहते। इन लोगों ने बताया कि आने वाले फेरों में और भी लोग पाकिस्तान छोड़ कर आने वाले हैं। पाक विस्थापित संघ ने उनके खाने-पीने का इंतजाम किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी इसकी जानकारी दी गई है।

पाक में हिंदू तहसीलदार की जमीन पर कब्जा
पाक में जमींदारों के जुल्म की दास्तां बयां करते हुए इन्होंने बताया कि उनका एक रिश्तेदार अचलदास मीरपुर खास में तहसीलदार हैं, मगर चपरासी उसे पानी तक नहीं पिलाता। पटवारी उस पर हुक्म चलाता है। यही नहीं वहां के लोगों ने तहसीलदार की जमीन पर भी कब्जा कर लिया।

100 से अधिक महिलाएं और बच्चे आए
सीमा पर तारबंदी के बाद यह पहला मौका है जब एक साथ इतने लोग पाकिस्तान छोड़ कर आए हैं। थार एक्सप्रेस से रविवार सुबह ये लोग जोधपुर पहुंचे। इनमें सौ से ज्यादा महिलाएं व बच्चे हैं।

कभी काउंसलर रहा, अब खानाबदोश
चेतनदास ने बताया कि वह दो बार मटियारी प्रांत में काउंसलर रहा है, मगर अब खानाबदोश है। भारत आने के लिए उसका परिवार तीन माह तक इधर-उधर छुपता रहा। वह धार्मिक यात्रा पर जाने की बात कहकर आए हैं। रिश्तेदार भी भारत आने के लिए वीजा मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

शरणार्थियों का दर्जा दिया जाए
प्रदेश में करीब सवा लाख पाक विस्थापित हिंदू हैं, मगर सरकार ने कोई पॉलिसी नहीं बनाई। इन लोगों को शरणार्थियों का दर्जा मिलना चाहिए। हमने मुख्यमंत्री को इसकी सूचना दी है। हम चाहते हैं कि कलेक्टर सरकार को रिपोर्ट भेजे।

पत्थर खाने से अच्छा है पत्थर ढोना
मटियारी प्रांत से एक पूरा परिवार पाकिस्तान छोड़ आया है। चार भाई व मां सहित इस परिवार के 23 लोगों ने पलायन किया है। उसने बताया कि जब पाकिस्तान अलग देश नहीं था, तब वे लोग बाड़मेर से ही रोजी-रोटी के लिए सिंध गए थे। उस दौर में वहां के जमींदार उनके साथ न्याय करते थे, मगर अब वे ही अत्याचार कर रहे हैं। अत्याचार से तंग आकर भारत लौटे हैं। वहां पत्थर खाने से अच्छा है यहां पत्थर ढोकर परिवार पाल लेंगे।

http://www.bhaskar.com/article/RAJ-JOD-hindus-from-pakistan-arrived-in-india-3763480.html?prev=y&img=2012/09/10/23.jpg&seq=2&imgname=23.jpg#photo_bm

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