Tuesday, September 25, 2012

स्वर्गीय सुदर्शन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि


स्वर्गीय सुदर्शन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि

Source: VSK- BHOPAL      Date: 9/20/2012 4:21:43 PM
$img_titleभोपाल, 20 सितंबर 2012 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक स्वर्गीय पूज्यनीय सुदर्शन जी की श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन 18 सितंबर की   शाम 6 बजे मानस भवन में किया गया था। सुदर्शन जी की अस्थिकलश के समक्ष हुए इस  कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व भाजपा नेतागण एवं सर्वधर्म गुरुओं ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने सुदर्शन जी को श्रद्धाजंलि देते हुये कहा कि, अभी भी यह विश्‍वास नहीं होता कि सुदर्शन जी हमारे बीच नहीं रहे। वे मौलिक चिन्तक, राष्ट्रवादी विचारक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वो एक सात्विक कार्यकर्ता थे। अहंकार उनमें बिल्कुल नही था और उनका व्यक्तित्व अदभुत था। वे स्वदेशी मॉडल तथा देशज ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने के आग्रही थे। उन्होनें मुझे जैविक खेती कराने का आग्रह किया। हम लोगो ने जैविक नीति बनाई। जो भी विषय उनके दिमाग में रहते थे वे तत्काल बताते थे। हिन्दी विश्‍वविद्यालय का उन्होनें आग्रह किया| मेरा सौभाग्य है कि उनके जीवित रहते यह पूरा कर सका।
 सुदर्शन जी को श्रद्धाजंलि देते हुये वनवासी कल्याण आश्रम के श्री ओम प्रकाश अग्गी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सुदर्शन जी से मार्गदर्शन मिलता था। वो एक बार जिस रास्ते पर चले तो पीछे मुडकर नहीं कभी नहीं देखा। उन्हें जो भी उत्तरदायित्व मिला उसे शास्त्र ही बना दिया। जिन गुणों की आवश्यकता रहती है उन गुणों को वे अपने में समाहीत कर लेते। संगठन और व्यक्ति सभी को उनका मार्गदर्शन मिला। जो उन्होंने हमें बताया, सिखाया यदि हम उसी को पूरा कर लें तो उनके लिए बहुत बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
विद्या भारती के शशिकांत जी फड़के (वरिष्ठ प्रचारक) ने कई वृतान्त देते हुये बताया कि माननीय सुदर्शन जी का मार्गदर्शन हमें प्रारंभ से ही था। उन्होंने हमें एक बार मार्गदर्शन दिया कि सुदूर वनवासी क्षेत्र में भी शिक्षा का प्रचार होना चाहिए। वनवासी क्षेत्र में अभारतीयीकरण का कार्य हो रहा है, इससे हम उसे रोक सकेंगे। उनके इस मार्गदर्शन से एक अच्छी सफलता हमें वनवासी क्षेत्रों में मिली। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान सुदर्शन जी ने किसी को निराश नहीं होने दिया| जेल में सबका उत्साहवर्धन करते थे। स्वयंसेवकों को कार्य और विषय देते थे जिस पर उन्हें चिन्तन करने को कहते थे, जिसके कारण उस समय का पूरा उपयोग हुआ और उस दौरान जो चिन्तन हुआ उससे आगे एक बड़ा काम खडा हो सका|
ओम मेहता जी ने कहा कि सुदर्शन जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित किया। हजारों लाखों लोगो को मार्गदर्शन दिया और राष्ट्र कार्य के लिए प्रेरित किया। 
दैनिक भास्कर के प्रबंध संपादक श्री रमेश चन्द्र अग्रवाल जी ने श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि हम लोग जब जीवन की कल्पना करते है तो चाहते है हमारा जीवन राष्ट्र और समाज के काम आये । सुदर्शन जी उनमें से एक थे। वो बेबाक तरीके से अपने विचार रखते थे। वे हमेशा कहते थे कि आजकल  'हिंग्लिश' का इस्तेमाल हो रहा है। श्री अग्रवाल जी ने कहा कि हम पूरी कोशिश में लगे हैं हिन्दी भाषा का इस्तेमाल अपने समाचार पत्र में यथासंभव कर सके। उन्होंने कहा कि मै श्रद्धांजली देता हूं कि ऐसे महामानव पुन: इस धरती पर जन्म ले।
समाजवादी चिन्तक रघु ठाकुर जी ने पूजनीय सुदर्शन जी के साथ बिताये अपने संस्मरण को याद करते हुये बताया कि लगभग 37 वर्ष पूर्व वे इंदौर के सीआई जेल में आपातकाल के दौरान सुदर्शन जी के साथ रहे। उन्होंने कहा कि सुदर्शन जी का जीवन उत्कृष्ट और सच्चे भारतीय के लिए मार्गदर्शन की तरह था। जेल में लगातार कक्षाएं चलती थी| सभी लोगों को बोलने का अवसर मिलता था। वो देश को ऐसे मुकाम पर ले जाना चाहते थे जहॉ भारत वास्तव में आजाद हो।
वनवासी मजदूर महासंघ के श्री अरविन्द मोघे जी ने कहा कि सुदर्शन जी हर फन में उस्ताद थे| हम उनकी उँचाई नहीं पा सकते। उनका परिश्रम लोगों को प्रभावित करता था। वो जिस कार्य के पीछे लग जाये तो पूर्ण करके ही रहते थे। वो सभी विषयों में परंगत थे। उनके साथ रहनें का मौका मिला ये मेरा सौभाग्य है।
अंत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश जी सोनी ने पूज्यनीय सुदर्शन जी को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुये कहा कि डॉ. हेडगेवार जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जो नींव रखी, उसमें अनेकों पुष्प समर्पित हुये, सुदर्शनजी उनमें से एक थे। उन्होंने बताया कि 1954 में सुदर्शन जी ने टेलीकम्यूनिकेशन में बी.ई की उपाधि प्राप्त की। उस समय देश में काफी उथल-पुथल का दौर था। जिसे देखते हुये उन्होंने राष्ट्र के लिये कार्य करने का निर्णय लिया। वे संघ के सर्वोच्च स्थान पर रहे, परन्तु सहज भाव से पद छोडा जो उनकी सरलता को परिलक्षित करता है।
उन्होंने बताया कि सुदर्शन जी कहते थे कि मानव को विनाश से बचाना है तो भारतीय जीवन मूल्य की ओर लौटना होगा। आज जो दुनिया में आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक उथल-पुथल का दौर चल रहा है उसे देखकर लगता है कि उनका चिंतन मानव को बचा सकता है। उन्होंने अंत में कहा कि जिन बातों का आज इस सभागार में उल्लेख हुआ उनको हम अपने में उतारे और उनके पद चिन्हों पर चले, तो यही श्री सुदर्शन जी के लिये सबसे बडी श्रद्धाजंलि होगी।
पूज्यनीय सुदर्शन जी को श्रद्धांजलि देते हुये स्वदेश के श्री राजेन्द्र शर्मा, सान्ध्य प्रकाश के भरत भाई पटेल,  महापौर श्रीमती कृष्णा गौर, म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कैलाश जोशी, दैनिक जागरण के संपादक श्री राजीव जी ने भी उदबोधन दिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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