नई दिल्ली/दुबई. भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद शुरू कर शरीयत लागू करने के अल कायदा प्रमुख के ऐलान के बाद देशभर में अलर्ट जारी कर दिया गया है. अल कायदा के प्रमुख अयमान अल जवाहिरी का यह वीडियो सामने आने के बाद केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, आईबी और रॉ प्रमुखों के साथ बैठक की और सुरक्षा पर जानकारी ली.
अल कायदा की आधिकारिक मीडिया वेबसाइट ‘अस-सहाब’ पर जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में ‘कायदात अल जिहाद’ नाम से अल कायदा की नई शाखा खोलने का ऐलान किया. इस शाखा की कमान पाक आतंकी आसिम उमर को दी गई है.
यू ट्यूब, सोशल मीडिया पर मौजूद जवाहिरी के वीडियो को जांच के बाद एजेंसियों ने सही पाया. वीडियो में जवाहिरी ने कहा है कि अल कायदा की नई शाखा पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में जिहाद का परचम बुलंद करेगी, इस्लामी शासन वापस लायेगी और अल्लाह की शरीयत को मजबूत बनायेगी.
ऑनलाइन पोस्ट किए गये अपने 55 मिनट के वीडियो में जवाहिरी ने अफगिस्तान के तालिबान नेता मुल्ला उमर के प्रति अपनी वफादारी को दोहराया है. जवाहिरी के ऐलान से साफ हो गया है कि अल कायदा अपनी पुरानी ताकत को फिर से हासिल कर आईएस के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती भी देना चाहता है.
साल 2011 में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अल कायदा के मुखिया बने अल जवाहिरी ने इस कदम को बर्मा, बांग्लादेश, असम, गुजरात, अहमदाबाद और कश्मीर के मुस्लिमों के लिये अच्छी खबर बताया है. जवाहिरी ने कहा कि अल कायदा की यह नई शाखा मुस्लिमों को अन्याय और जुल्म से बचायेगी.
इस बीच, जवाहिरी और अल कायदा के इस कदम को आतंकवाद से लड़ाई को समझने वाले विशेषज्ञ दूसरे नजरिये से ही देख रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक अल कायदा के नेता इस वक्त नये लड़ाकों की भर्ती के संकट से जूझ रहे हैं. सीरिया-इराक के संघर्ष में आईएस ने मुस्लिम युवाओं को जोश से भर दिया है.
इस्लामिक स्टेट (आईएस) नेता अबु अबु बकर अल बगदादी ने भी खुद को ‘खलीफा’ बताकर और मुस्लिमों से उसके प्रति वफादारी दिखाने को कहा है. इन सब कारणों से आईएस की ताकत दुनिया में बढ़ रही है और कभी सबसे खतरनाक संगठन रहा अल कायदा कमजोर पड़ता गया.
जवाहिरी से अलग होकर साल 2013 में आईएस ने सीरिया तक अपनी अलग पहचान बनाई. आतंकी संगठन ने इस देश में सिर कलम करने, फांसी देने और सामूहिक हत्याओं का एक नया दौर शुरू कर दुनिया में दहशत पैदा की.
भारत में आईएस का वजूद भले न हो लेकिन जवाहिरी का ऐलान नई सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिये बड़ी चुनौती बन सकता है. हालांकि, अफगान-पाक सीमा तक सिमट चुका अल कायदा भारत में अपना नेटवर्क फैला सकेगा, यह कहना जल्दबाजी होगी. स्थानीय आतंकवादी संगठनों से तुलना करने पर अल कायदा को लड़ाकों की संख्या और क्षेत्रीय भाषा की समझ जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
No comments:
Post a Comment