पत्रकारिता क्षेत्र के लिए भी भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून बनाने की आवश्यकता – डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी जी
नागपुर (विसंकें). राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में कुछ वरिष्ठ पत्रकार भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. इसलिए पत्रकारिता क्षेत्र के लिए भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून बनाने की आवश्यकता है. वह नागपुर विश्व संवाद केन्द्र द्वारा चिटणवीस सेंटर सिविल लाईन्स में आयोजित ‘देवर्षि नारद पुरस्कार वितरण समारोह’ में संबोधित कर रहे थे.
पूर्व सांसद बनवारीलाल पुरोहित की अध्यक्षता में संपन्न कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार जी थे. इस वर्ष का देवर्षि नारद पुरस्कार ‘तरुण भारत’ समाचारपत्र के कार्यकारी संपादक बबन वाळके तथा नारद युवा पुरस्कार झी 24 तास के अकोला वाहिनी के प्रतिनिधि जयेश जगड को प्रदान किया गया.
डॉ. स्वामी ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में अवांछित तत्त्वों के साथ ही अयोग्य व्यक्तियों का प्रवेश भी चिंता का विषय है, इसलिए पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए, मैं इस संदर्भ में सरकार को सुझाव दूंगा. टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला पायोनियर के पत्रकार गोपीकृष्ण की खोजी पत्रकारिता के कारण सामने आया. उसी रिपोर्ट के आधार पर मैंने यह मामला न्यायालय में दाखिल किया. आज के जाने-माने पत्रकारों में बहुतेरे कॉंवेंट में पढ़े होने के कारण मॅकॉले की शिक्षा पद्धति के शिकार होते हैं. उन्हें इस देश की संस्कृति एवं इतिहास की न सही जानकारी होती है और न ही उससे लगाव होता है. इस कारण वे समाज का सही मार्गदर्शन नहीं कर सकते. उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा भड़काऊ या राजनीति का है ही नहीं. नरसिंहराव सरकार के समय ही न्यायालय में दाखिल शपथपत्र में कहा गया है कि वहां मंदिर होने के सबूत मिले तो वह स्थान हिन्दुओं को देना होगा. वहां मंदिर होने के सबूत मिले हैं. लेकिन आज जब भी यह मुद्दा उठाया जाता है तो आलोचना होती है कि चुनावों को ध्यान में रखकर, राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह मुद्दा उठाया जा रहा है. आक्षेप किया जाता है कि 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनाव हैं, इसलिए इसकी चर्चा की जाती है. वर्ष 2017 के बाद यह मुद्दा उठाया तो आक्षेप होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ उठाने के लिए यह मुद्दा उठाया जा रहा है. देश में चुनाव तो होते ही रहते है, तो क्या इस मुद्दे की चर्चा ही नहीं होनी चाहिए?
उन्होंने कहा कि देश के इतिहास के संदर्भ में भी ऐसी ही भ्रामक स्थिति है. सैकड़ों वर्षों के मुगलों और अंग्रेजों (ईसाइयों) के राज के बाद भी विजयनगरम्, चोल, ओहम्, महाराणा प्रताप, गुरु गोविंदसिंहजी, शिवाजी, रानी चेन्नमा के संघर्ष के कारण देश में हिंदूओं की संख्या कायम रही, यह देश हिंदुओं का बना रहा. लेकिन, आज इस देश के इतिहास में मुगल और अंग्रेजों का इतिहास विस्तार से पढ़ाया जाता है और हिंदू राजाओं का इतिहास दो-चार परिच्छेदों में समाप्त हो जाता है. पत्रकारिता के संदर्भ में कहा कि संविधान में दी गई अभिव्यक्ति स्वतंत्रता अर्निबंध नहीं है. व्यक्ति की मानहानि या देश की अखंडता को बाधित करना या ऐसा प्रयास करना अपराध है. इसलिए जेएनयू में दिये गए देश को तोड़ने के नारे अपराध की श्रेणी में आते हैं.
प्रमुख अतिथि जे. नंदकुमार जी ने कहा कि समाज तक सही जानकारी पहुंचाना पत्रकारों का काम है. पत्रकारों का स्वयं को बुराईयों से दूर रखकर समाज की सेवा करना अपेक्षित है. लेकिन कुछ पत्रकार अज्ञान, गलत विचारों या आर्थिक प्रलोभनों में फंसकर बौद्धिक कर्करोग फैलाने का काम करते है. भूतपूर्व सांसद बनवारीलाल पुरोहित ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज पत्रकारिता उद्योग की तकनीक में बहुत विकास हुआ है. लेकिन, पत्रकारिता का स्तर गिरा है. इस क्षेत्र में गंदे लोगों को स्थान नहीं मिलना चाहिए. अतिथियों का स्वागत विदर्भ प्रचार प्रमुख अतुलजी पिंगळे, समीर गौतम ने किया. प्रास्तावना विश्व संवाद केन्द्र के प्रमुख सुधीर पाठक, संचालन नीलय चौथाईवाले और आभार प्रदर्शन प्रसाद बर्वे ने किया.
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