जयुपर (विसंकें). पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइजर के ग्रुप एडिटर जगदीश उपासने जी ने कहा कि पत्रकारिता एक जुनून है. पत्रकार का धर्म है पत्रकारिता. पत्रकार अपने धर्म के लिए जेहाद करता है, यह करना भी चाहिए. यदि वह ऐसा नहीं करता तो अपने धर्म के साथ न्याय नहीं है. पत्रकारिता का उद्देश्य और लक्ष्य पवित्र है, इसलिए हमारे साधन भी पवित्र होने चाहिएं. उन्होंने कहा कि पत्रकार की ड्यूटी अंतरिक्ष से पाताल तक है. वह रविवार को विश्व संवाद केन्द्र की ओर से आयोजित नारद जयंती और पत्रकार सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे.
जगदीश जी ने कहा कि आज नारद को हम आद्य पत्रकार कहते हैं तो कई लोगों की भौहें तन जाती हैं. समाज में नारद की छवि विदुषक, मसखरे, चुगलखोर की बताई गई है. लेकिन नारद की स्मृतियां सूक्त और ग्रंथ बहुत मशहूर है. यह सब संस्कृत में हैं, इसलिए बहुत कम लोग पढ़ पाते हैं. हमारे देश में संस्कृत और नारद को भुला दिया है. पंचांग में नारद जयंती की तिथि अंकित मिलेगी. नारद को आदि पत्रकार के रूप में रूप में वर्षों पहले ही स्वीकार कर लिया गया था. वर्ष 1826 में पहला हिंदी भाषी अखबार उद्दंत मार्तंड नारद जयंती से ही निकाला गया था. इसके पहले अंक में नारद के बारे में लिखा है. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में प्राचीन समय से ही संवाद और विमर्श की परंपरा रही है, यह श्रुतियों और स्मृतियों के रूप में थी. दुर्भाग्य से दो हजार सालों तक समाज को संघर्ष करना पड़ा. इसमें हम विचार और विमर्श की परंपरा को भूल गए. इसलिए हमें जर्नलिज्म की विधा विदेशों से लेना पड़ी. पत्रकारिता वास्तव में भारत की विधा नहीं यह यूरोप से आई है. इसे हमने स्वीकार कर लिया है. पत्रकारिता सूचना तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, यह प्रेरणादायी और शिक्षित करने वाली होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के कारण पूरे मीडिया को खारिज करना ठीक नहीं है. आज परंपरागत मीडिया धराशायी हो रहा है. दुनिया भर में अखबारों की प्रसार संख्या में भारी गिरावट आई है. सोशल मीडिया की ताकत बढ़ रही है. भारत में इंटरनेट का उपयोग करने वाले 46.5 करोड़ लोग है. इनमें से 37 करोड़ मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करते हैं. पत्रकारिता कला के साथ विज्ञान भी है. पत्रकार जिस तरह समाचार को सुसज्जित करता है, ठीक उसी तरह खबर के पीछे छुपे सत्य की खोज भी करता है. नारद की तरह पत्रकार भी सत्य के साधक है. पत्रकारों को कभी नारायण को नहीं छोड़ना चाहिए. सकारात्मक पत्रकारिता समाज का आइना है. उन्होंने कहा कि पाठक, दर्शक और श्रोता बढ़ रहे है. लेकिन वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं है. आज पत्रकार के सामने विश्वसनीय और उपयोगी बने रहने की चुनौती है. आज मीडिया का अति स्थानीयकरण हो रहा है. इसलिए स्थनीय समाचारों को भी अच्छा स्थान मिल रहा है. जो गलत हो रहा है, वह भी समाचार में दिखना चाहिए, तभी समाज को उसके बारे में जानकारी होगी. उन्होंने कहा कि ऑडियंस से दुश्मनी करके कोई भी मीडिया नहीं चल सकता है. इसलिए मीडिया को समाज उपयोगी बनना चाहिए.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि एक लाख तक की आबादी वाले शहर में एफएम रेडियो की शुरूआत की जाएगी. साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी एफएम रेडियो शुरू होगा. यह एक जैसी फ्रीक्वैंसी पर कार्य करेगा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत जयपुर- दिल्ली राष्ट्रीय मार्ग पर इसकी शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि विचार विमर्श होते रहना चाहिए, इससे कई बातें निकलकर आती हैं. मीडिया आंख और कान है, इसके माध्यम से जनता के अधिकार उन तक पहुंचने चाहिए. आज दिल्ली में बैठकर पूरे देशकी पत्रकारिता नहीं हो सकती, अकेला दिल्ली देश नहीं है. बल्कि असली भारत तो गांवों में बसता है. उन्होंने पत्रकारों से आह्वान किया कि वे नारद की तरह कभी नारायण को नहीं भूले. पत्रकारिता एक पेशन है. इसके केन्द्र में देश होना चाहिए. समारोह की अध्यक्षता करते हुए ज्योति विद्यापीठ के संस्थापक पंकज गर्ग ने कहा कि हमारे देश में कीतनी ही चीजें छुपी हुई है, हम लीडर बन सकते है, आवश्यकता है उन चीजों को खोजकर उनका विश्लेषण करने की. पत्रकारिता आज केवल खबर देने का माध्यम बनता जा रहा है और खबरों का विश्लेषण कम होता जा रहा है, जो ठीक नहीं है.
समारोह में प्रिंट मीडिया श्रेणी में मोहनीश श्रीवास्तव और जयंत शर्मा, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया श्रेणी में योगेन्द्र पंचोली व शरद पुरोहित और सोशल मीडिया के लिए अमित शर्मा को सम्मानित किया गया. साथ ही राजस्थान विश्वविद्यालय में वर्ष 2015 में एमजेएमसी में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली छात्रा नमीता कल्ला को भी सम्मानित किया गया.
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