Thursday, May 26, 2016

देवर्षि नारद का अनुगमन करते हुए पत्रकारिता का एक ही लक्ष्य होना चाहिए, वह है सेवा – जे. नंदकुमार जी

VSK / News In Details
देवर्षि नारद का अनुगमन करते हुए पत्रकारिता का एक ही लक्ष्य होना चाहिए, वह है सेवा – जे. नंदकुमार जी
    
 शिमला (विसंकें). विश्व संवाद केंद्र शिमला ने नारद जयंती के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में समाज में सकारात्मक प्रयासों के लिए प्रोत्साहन हेतु पत्रकारों को पुरस्कृत किया. पत्रकार सम्मान समारोह में एपीजी विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति एवं नागालैंड के पूर्व राज्यपाल, पूर्व सीबीआई निदेशक डॉ. अश्वनी कुमार ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. कार्यक्रम की अध्यक्षता डेलीपोस्ट की ब्यूरो प्रमुख अर्चना फुल्ल ने कीजबकि मुख्यवक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नन्द कुमार जी उपस्थित रहे.
इस वर्ष वरिष्ठ पत्रकारिता वर्ग में दैनिक सवेरा के धनंजय शर्मा, महिला वर्ग में दैनिक भास्कर की जया शर्मा, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया में दूरदर्शन चैनल की नीतू वर्मा को सम्मानित किया गया. युवा पत्रकार का पुरस्कार दिव्य हिमाचल के डेस्क फीचर प्रभारी जयप्रकाश को दिया गया. छाया पत्रकार के वर्ग में दैनिक जागरण अखबार के महेंद्र ठाकुर को दिया गया.
मुख्य अतिथि ने वर्तमान में पत्रकारिता के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि आज की पत्रकारिता राष्ट्प्रेम के स्थान पर धन को केंद्र में रखकर की जा रही है. बिना विज्ञापनों के भी कई कार्यक्रम देखे जा सकते हैं जो लोकप्रिय भी हुए हैं. आज पत्रकारिता को विश्वसनीयता के संकट से उबारने में धन लोलुपता के स्थान पर देशसेवा को महत्व देना होगा.
नारद जयंती शिमला (2)मुख्य वक्ता जे. नंद कुमार जी ने कहा कि मीडिया में कुछ ऐसे लोगों का वर्चस्व रहा है. जिन्होंने समाजहित के स्थान पर मीडिया के व्यापारीकरण को सर्वोपरि स्थान दिया, जिससे समाज में पत्रकारिता का स्तर गिरा. उन्होंने पत्रकारिता के स्वर्णिम दौर की चर्चा करते हुए कहा कि आजादी के समय जब संसाधनों का भारी अभाव था, उस दौर में न तो पत्रकारों की कलम रूकी और न झुकी, बल्कि सतत् और अडिग रहते हुए स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाई. महात्मा गांधी का उद्धरण देते हुए नंदकुमार जी ने कहा कि महात्मा गांधी ने आजादी से पूर्व पत्रकारिता के मार्ग को प्रशस्त करते हुए कहा था कि बिना धन के भी पत्रकारिता की जा सकती है और ऐसा उन्होंने करके भी दिखाया. आजादी के बाद पत्रकारिता में सूचना की तकनीक ने भारी मदद की, लेकिन सूचना संप्रेषण में बरती जाने वाली असावधानी के कारण समाज को जोड़ने वाला मीडिया कई बार तोड़ने वाला बन जाता है. उनका कहना था कि पत्रकारिता के सही आदर्श नारद का अनुगमन करते हुए पत्रकारिता का एक ही लक्ष्य होना चाहिए और वह है सेवा. पहले भी पत्रकारिता सेवा भावना को केंद्र में रखकर की जाती थी और आज भी अगर इसे अपनाया जाये तो विश्वसनीयता के संकट से उबरा जा सकता है.
कार्यक्रम अध्यक्ष अर्चना फुल्ल ने पत्रकारिता के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि आज की पत्रकारिता में नकारात्मक खबरों को ही प्राथमिकता दी जा रही है. ऐसा नहीं है कि सकारात्मक खबरों को लोग पढ़ना पसंद नहीं करते, बल्कि पत्रकारों की यह मनोवृति बन गयी है. जिसे दूर किये जाने की जरूरत है. विश्व संवाद के प्रमुख दलेल ठाकुर ने सकारात्मक पत्रकारिता के लिए विश्व संवाद केंद्रों की उपयोगिता का जिक्र करते हुए कहा कि आज घटित घटनाओं में जो छवि और वास्तविकता का अंतर है, उसको पाटने में केंद्रों की भूमिका अग्रणी रही है. विश्व संवाद केंद्र शिमला द्वारा चौथे स्तंभ कहलाने वाले मीडिया के क्षेत्र में कार्यरत पत्रकारोंशोधार्थियोंएवं अध्ययन-अध्यापन करने वाले लोगों एवं संस्थानों के साथ निरंतर समन्वय एवं संवाद स्थापित किया जा रहा है. इस वर्ष इसी कड़ी में पत्रकारिता के क्षेत्र में युवा भागीदारी हेतु भविष्य के पत्रकारों को कार्यक्रम में विशेष रूप से सम्मिलित किया गया है. कार्यक्रम में उत्तर क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमारमातृवंदना संस्थान के अध्यक्ष अजय सूदसचिव राजेश बंसल एवं सह प्रांत प्रचार प्रमुख महीधर तथा मीडिया जगत से आये वरिष्ठ लोगों सहित 100 से अधिक पत्रकार उपस्थित रहे.
नारद जयंती शिमला (4)नारद जयंती शिमला (3)
 
 

No comments: