Thursday, May 26, 2016

व्यक्ति के बौद्धिक उन्नयन पर ही समाज का बौद्धिक विकास संभव – राकेश सिन्हा जी

व्यक्ति के बौद्धिक उन्नयन पर ही समाज का बौद्धिक विकास संभव – राकेश सिन्हा जी
    
 वाराणसी (विसंकें). वर्तमान में पत्रकारिता की प्रयोग धर्मिता को जीवित करने की जरूरत है. देश के प्राचीन चिन्तन और आत्मा को बचाना है. देश के बौद्धिक समूह के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है. भारतीय मीडिया अभी भी पश्चिमी चिन्तन के दबाव में है. उसको इस दबाव से मुक्त करना और भारतीय चिन्तन धारा को प्रवाहित करना जरूरी है. विश्व संवाद केन्द्र काशी एवं पत्रकारिता एवं जनसम्प्रेषण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय सभागार में आदि पत्रकार देवर्षि नारद जयंती की पूर्व संध्या पर पत्रकार सम्मान समारोह एवं ‘‘राष्ट्रीय विमर्श और मीडिया’’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी  में वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए. इस अवसर पर समाचार जगत से जुड़े 08 पत्रकारों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए अंग वस्त्र, सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता भारत नीति प्रतिष्ठान के निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा जी ने कहा कि आजादी के दौर में पत्रकारिता राष्ट्रीय मूल्यों से जुड़ी रही. उसकी दृष्टि दूरगामी तथा राष्ट्रीय विचार प्रवाह के अनुरूप रही. वैचारिक मतभिन्नता के बाद भी तत्कालीन राजनेताओं और पत्रकारों में भारतीय संस्कृति एवं मूल्य के प्रति परस्पर समन्वय रहा. लेकिन स्वतंत्रता के बाद विशेषकर वर्तमान दशकों में वह चरित्र हमें राजनीति और मीडिया में नहीं दिखाई देता है. वर्तमान समय में टेलीविजन पर चलने वाली घण्टों की निरर्थक बहसों को सुनने में समय व्यर्थ करने की अपेक्षा यह श्रेष्ठ है कि हम उस समय टेलीविजन प्रसारण को म्यूट कर भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन एवं उत्कृष्ट साहित्य को पढ़कर समय का सदुपयोग करें. यह प्रयोगधर्मिता हमारे बौद्धिक उन्ययन के लिए जरूरी है, क्योंकि व्यक्ति के बौद्धिक उन्ययन पर ही समाज का बौद्धिक विकास सम्भव है. अतः हमें बौद्धिक ज्ञान संवर्धन के लिए मीडिया पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, क्योंकि मीडिया का लक्ष्य सूचना देना मात्र है, न कि बौद्धिक ज्ञान एवं दर्शन का विकास करना.
नारद जयंती काशी (2)माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व कुलपति समारोह  के मुख्य अतिथि प्रो. अच्युतानंद मिश्र ने कहा कि मूल्यों के संरक्षण में पत्रकारिता का बड़ा योगदान है. जो दुनिया पर कब्जा करना चाहते हैं. वे ही मीडिया के संचालक हैं. उन्होंने कहा कि जनसंचार के माध्यम से तकनीक को सहारा बनाकर मीडिया पर वैश्विक कब्जे की तैयारी है. इस खतरे को समझना होगा. संचार व संवाद हमारी संस्कृति के प्राण तत्व हैं. महर्षि नारद शास्त्र और लोक, देव और मनुष्य के बीच सेतु हैं. ये विदेशी आर्थिक समूह वैश्विक स्तर पर कल्पित पत्रकारिता को संचालित कर रहे हैं. जिसका प्रमाण हमें ईराक युद्ध में मिला, यही नहीं अगस्तालैण्ड हेलिकाप्टर सौदे में कम्पनी ने दिल्ली के पत्रकारों पर हर महीने लाखों रूपये व्यय किए, जो पत्रकारिता के लिए खतरे की घण्टी है. इतना ही नहीं पेड न्यूज का अभिशाप भी पूर्व के चुनावों में सामने आ चुका है. इससे हमें बचना होगा.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि इतिहास संकलन योजना के संगठन मंत्री डॉ. बाल मुकुन्द पाण्डेय जी ने कहा कि नारद जी की पत्रकारिता लोक कल्याण आधारित थी. उसका अनुसरण वर्तमान समय में पत्रकारिता को करना चाहिए. इसी से पत्रकारिता शुभ और लोकमंगल को बढ़ावा दे सकेगी.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता को वर्तमान समस्याग्रस्त स्थिति से उबारने के लिए आत्म चिन्तन को बढ़ावा देना जरूरी है. आत्म चिन्तन से प्राप्त दृष्टि द्वारा पत्रकारिता सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा दे सकेगी और समाज का विकास भी करने में सहायक बनेगी. इसलिए जरूरी है कि पत्रकार अध्ययन करें, संवदेनशील बनें, निर्भीक और निस्वार्थ दृष्टि से कार्य करें.
विश्व संवाद केन्द्र के सचिव डॉ. वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि मीडिया को सभी प्रकार के दवाबों से मुक्त होकर भारतीय मूल्यों और विचारों को बढ़ावा देना चाहिए. साथ ही मीडिया में राष्ट्रवादी दृष्टि आवश्यक है. मीडिया जन सामान्य की आवाज बने. जिससे लोकतंत्र की रक्षा हो सके.
महामना मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान के प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि आदि पत्रकार देवर्षि नारद ने लोक कल्याण के लिए महर्षि वाल्मीकि, वेदव्यास, ध्रुव और प्रहलाद को प्रेरित किया. भारत में राष्ट्रीय विमर्श और मीडिया के सम्बन्धों में निरन्तर बदलाव और विकास का क्रम जारी रहा, लेकिन वर्तमान में मीडिया की दृष्टि पर वैश्वीकरण का प्रभाव है. इस अवसर पर चेतना प्रवाह के स्वच्छता के विविध आयाम विषयक विशेषांक का विमोचन हुआ. इस विशेषांक का परिचय पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक नागेन्द्र द्विवेदी ने प्रस्तुत करते हुए कहा कि चेतना प्रवाह राष्ट्र जागरण पत्र है जो 2001 से लगातार प्रकाशित हो रहा है.
कार्यक्रम में समाचार जगत से जुड़े 08 पत्रकारों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए अंग वस्त्र, सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. पत्रकारिता जगत की जिन विभूतियों को सम्मानित किया गया, उनमें प्रदीप नारायण जी (एसोसिएट एडीटर, कैमूर टाइम्स, नई दिल्ली), डॉ. ओंकारनाथ उपाध्याय (दैनिक जागरण, वाराणसी), अमित सिंह (जी न्यूज, वाराणसी), गिरीश दूबे (एएनआई वाराणसी), विजय सिंह ‘जूनियर’ (दैनिक जागरण, चन्दौली), अभिनव भट्ट (स्वतंत्र पत्रकार, वाराणसी), अमित सिंह (दैनिक भास्कर, वाराणसी) एवं प्रमिला तिवारी (आज, वाराणसी) शामिल हैं.

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