Wednesday, May 31, 2017

वनवासी कल्याण आश्रम वनवासी बंधुओं के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध – अजय जी


नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख अजय जी ने कहा कि वनवासी बंधुओं के कल्याण के लिए सतत् प्रयास करने की जरूरत है और वनवासी कल्याण आश्रम इस दिशा में लगातार प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है. वन बंधुओं के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के लिए वनवासी कल्याण आश्रम लंबे समय से काम करता आ रहा है. स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि वह नर की सेवा करते हैं क्योंकि नर ही नारायण है. इसी भावना के साथ वनवासी कल्याण आश्रम भी वनवासियों के बीच देश भर में कार्य कर रहा है. अजय जी वनवासी कल्याण आश्रम दिल्ली के वार्षिक उत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. वार्षिक उत्सव का आयोजन दिल्ली के शाह सभागार में 28 मई, रविवार को किया गया था.
अजय जी ने कहा कि आश्रम का ध्येय वाक्य ‘तू मैं एक ही’ इस बात का परिचायक है​ कि समाज में सबको साथ लेकर काम करना होगा. वार्षिक उत्सव में कल्याण आश्रम के तहत संचालित छात्रावास के छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए. कवि ‘राजेश जैन’ जी ने अपनी रचना ‘वनवासी राम’ के माध्यम से मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में दिल्ली  में नरेला स्थित संगठन के छात्रावास के छात्रों ने सामाजिक समरसता पर आधारित एक लघु नाटक का मंचन किया.
दर्शन सिंह जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा सांसद व दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. कार्यक्रम के विशेष अतिथि डॉक्टर अश्वनी अग्रवाल तथा सुशील गर्ग ने भी उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया.


News Paper cutting Sangh Shiksha Varg –Pratham & Ditiya varsha - 2017
































अभाविप राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने दो प्रस्ताव पारित किये

षि शिक्षा को मुख्यधारा में लाने की मांग
केरल में कम्युनिस्ट हिंसा रोकने के लिये केन्द्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग
लखनऊ (विसंकें). अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में नई राष्ट्रीय कृषि एवं शिक्षा नीति बनाये जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में कृषि शिक्षा को मुख्यधारा से जोड़ने की बात की गई. आजादी के बाद कृषि को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है. किन्तु ऐसा हुआ नहीं. विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद ने इसके मद्देनजर सरकार को सुझाव दिये हैं. इसके अनुसार कृषि को प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा में अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करना चाहिए.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय मंत्री सीमांतदास, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुश्री शहजादी व केरल प्रांत मंत्री पी श्यामराज ने मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के डीपीए सभागार में प्रेसवार्ता के दौरान जानकारी दी.
राष्ट्रीय मंत्री सीमांत दास ने कहा कि कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने से भावी पीढ़ी में कृषि के प्रति लगाव व जानकारी बढ़ेगी. आधुनिक विधि, तकनीक, शोध आदि की जानकारी विद्यालयों को मिलनी चाहिए. कृषि बहुल जिलों में कृषि महाविद्यालय खोले जाएं, मातृभाषा में कृषि शिक्षा दी जाए, राष्ट्रीय कृषि शिक्षा नीति बनाई जाए. उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों के परिवीक्षण हेतु राष्ट्रीय कृषि शिक्षा परिषद की स्थपना की जाए, आईआईटी, आईआईएम की तर्ज पर कृषि संस्थान खोले जाने की आवश्यकता है.
प्रस्ताव में चिकित्सा शिक्षा की कमियों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया. चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में शिक्षकों की कमी को दूर करना चाहिए. इसका पाठ्यक्रम सुसंगत व भारत केन्द्रित होना चाहिए. गरीबों तक इसका लाभ पहुंचना चाहिए, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र होने चाहिए.
केरल में वामपंथी हिंसा के खिलाफ निंदा प्रस्ताव
केरल के प्रदेश मंत्री पी. श्यामराज ने बताया कि केरल की वामपंथी सरकार बनने के बाद राजनीतिक विरोधियों का हिंसक दमन चल रहा है. वामपंथी कार्यकर्ता नृशंसता से विरोधियों की आवाज दबाना चाहते है. वहां की सरकार इस पर खामोश रहती है. विद्यार्थी परिषद ने केन्द्र सरकार से केरल में बिगड़ती कानून व्यवस्था के मद्देनजर हस्तक्षेप करने की मांग की है.
उन्होंने कहा कि केरल में शैक्षिक वातावरण भी ठीक नहीं है. परिसरों में अनेक खमियां है. लेकिन हमारी आवाज को दबाने का प्रयास किया जाता है. जो अभी केरल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा सरेआम गाय काटने की निर्मम घटना और वामपंथियों द्वारा बीफ पार्टी आयोजित की गई, वह जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के लिए आयोजित की गई थी.
अंग्रेजों ने गोहत्या को बढ़ावा दिया तथा इसे मुसलमान हिन्दुओं के बीच भेदभाव उत्पन्न करने का माध्यम बनाया. केरल में दो सौ स्थानों पर बीफ पार्टी की गई, इसी से कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं की मानसिकता का अनुमान लगाया जा सकता है. कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने जानबूझकर हिन्दुओं की भावनाएँ आहत की हैं.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैदराबाद की शोधार्थी शहजादी ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संविधान पर पूरा विश्वास करती है. इसमें समानता की बात कही गयी है. तीन तलाक भेदभावपूर्ण है. यह मुस्लिम-महिलाओं के अधिकार का हनन करता है. अतः मुस्लिम महिलाओं की मांग के अनुसार इसे प्रतिबन्धित करना चाहिए. इसी प्रकार मुसलमानों को आरक्षण का भी विद्यार्थी परिषद विरोध करती है. कर्नाटक सहित जो राज्य सरकारें या पार्टियां इसकी मांग कर रहे हैं, वह ड्रामा से अधिक नहीं है. मुसलमानों को शिक्षित करना होगा.
सेल टूर नामक एबीवीपी के कार्यक्रम के माध्यम से एक-दूसरे प्रदेशों की संस्कृतियों को जानने समझने का मौका मिलता है. खासकर पूर्वोत्तर के छात्र-छात्राएं एक माह के लिए यूपी व अन्य प्रदेशों में परिवारों में रहकर वहां के तौर तरीके सीखते हैं. परिषद पूर्वोत्तर के सभी प्रान्तों में राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम भी चलाते हैं. जिससे देश विरोधी तत्वों के हौसले परास्त किये जा सकें.

Tuesday, May 30, 2017

आज सोशल मीडिया सूचना का प्रभावी माध्यम बन गया है – रोहित सरदाना

नागपुर (विसंकें). जी न्यूज़ के कार्यकारी संपादक रोहित सरदाना ने कहा कि आज सोशल मीडिया नाराजगी व्यक्त करने का शक्तिशाली माध्यम बन गया है, इससे मतभिन्नता और नाराजगी में गफलत होती है. अभिव्यक्ति की आज़ादी पर खतरे का शोर मचता है. दस-पंद्रह कैमरे लगाकर लोग ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी पर खतरा’ विषय पर भाषण देते हैं, चर्चा करते हैं. यह सब प्रसार माध्यमों पर दिखाया जाता है. समाचार पत्रों में भी प्रकाशित होता है. सरकार के विरुद्ध बोलने के कारण किसी को देश छोड़कर भागना नहीं पड़ता, या विदेश में शरण नहीं लेनी पड़ती और न ही सरकार कहती है कि कल समाचार पत्र नहीं छपेंगे. फिर भी अभिव्यक्ति की आज़ादी पर खतरे का शोर चलता रहता है. वास्तव में यह अभिव्यक्ति की आज़ादी पर खतरे का नहीं, अपितु अभिव्यक्ति की आज़ादी का सबूत है. रोहित सरदाना विश्‍व संवाद केन्द्र नागपुर द्वारा आयोजित नारद जयंती पुरस्कार वितरण समारोह में संबोधित कर रहे थे. समाचारपत्र ‘लोकशाही वार्ता’ के संपादक लक्ष्मणराव जोशी जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.
रोहित सरदाना ने कहा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में भारत को 136वां स्थान दिया गया है. इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का क्रमांक 133 था. इसलिए अब तक सब बहुत अच्छा था और आज ही अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बड़ा खतरा निर्माण हुआ है, यह शोर बेमानी है. उन्होंने कहा कि बिजनेस हाऊसेस द्वारा संचालित मीडिया का व्यावसायिकरण हो गया है, वहां कुछ भी संतुलित नहीं होता, जो बिकता है वो बेचा जाता है. सोशल मीडिया पर कहा कि यह सूचना का प्रभावी माध्यम बन गया है. इससे लोगों को विविध स्रोतों से किसी भी घटना की जानकारी मिलती रहती है. इसमें कई बार गलत जानकारी भी होती है. इसलिए संदेहजनक प्रतीत होने पर सूचना/समाचार के तथ्यों को जान लेना चाहिए. क्योंकि, इसके आधार पर लोग घटनाओं के संदर्भ में अपनी राय बनाते है. घटना की सही जानकारी मिलेगी तो ही लोग उस पर अपनी सही राय बना सकेंगे.
ध्येयवादी पत्रकारिता मुद्रित माध्यमों का प्राण
लक्ष्मणराव जोशी जी ने कहा कि टेलीविजन प्रसार माध्यमों की भीड़ में भी मुद्रित माध्यमों ने ध्येयवादी पत्रकारिता का दामन नहीं छोड़ा तो उनका महत्व अबाधित रहेगा. स्वाधीनता के बाद – स्वराज से सुराज का ध्येय रखकर पत्रकारिता की जाती तो उसका पतन नहीं होता. किसी भी उद्योग में व्यावसायिकता का महत्व होता ही है और मूल्यों का पालन करते हुए व्यवसाय करने में कोई बुराई नहीं. व्यवसाय में कुछ समझौते भी करने पड़ते हैं, लेकिन दु:ख के साथ कहना पड़ता है कि मुद्रित माध्यमों का बड़ी मात्रा में बाजारीकरण हो चुका है. ‘पेड न्यूज’ इस बाजारीकरण के पतन का ही परिणाम है. समाचारपत्रों में संपादक की नियुक्ति करते समय उनसे विज्ञापन का टार्गेट – कितने रुपयों के विज्ञापन लाओगे, पूछा जाता है और दुर्भाग्य यह कि संपादक भी यह शर्त स्वीकार करते हैं.
कार्यक्रम में अखिलेश हळवे, लोकशाही वार्ता के वाशिम संवाददाता नितीन पगार, और इसी वर्ष से वृत्त छायाचित्रकार और व्यंग चित्रकारों के वर्ग में ‘लोकसत्ता’ समाचारपत्र की छाया चित्रकार मोनिका चतुर्वेदी को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का प्रास्ताविक विश्‍व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष सुधीर पाठक जी, अतिथियों का स्वागत केन्द्र के सह प्रमुख प्रसाद बर्वे जी, संचालन नीलय चौथाईवाले और आभार प्रदर्शन केन्द्र के सचिव रविजी मेश्राम ने किया.

बिन पानी सब सून या जलसंकट का समाधान जल संरक्षण

3290 लाख हेक्टेयर कुल भू-क्षेत्र वाला भारतविश्व का सातवां सबसे बड़ा देश है। प्रकृति ने हमें विविध प्रकार की जलवायु और मृदा (मिट्टी) प्रदान की है। हमारे देश में भूमि के विविध रूप जो प्रत्येक प्रकार के जीव-जन्तुओं का पालन करने में सक्षम है। मौसम ऐसामानो फसलों की जरूरतों के हिसाब से गढ़ा गया हो। वनस्पतियों की भांति प्राणियों की आनुवांशिक विविधता भारत में भरी पड़ी है। क्या फिर भी वर्तमान बदलते वातावरण में हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकने में सदैव समर्थवान बने रहेंगेप्रदूषित वातावरणकटते वनघटती हुई वर्षा एवं वर्षा के दिनों की संख्याबढ़ता हुआ पारा वर्तमान की सबसे बड़ी चुनौती है।
जनसंख्या का बोझ और बदलते परिवेश में विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कृषि में निरन्तर गुणवत्तापूर्ण बदलाव आवश्यक है। ऐसी कृषि पद्धतियां एवं फसलों का विकास करने की भी आवश्यकता है जो कम से कम पानी में अधिक से अधिक गुणवत्तायुक्त उपज दे सकें। आज देश में जितनी बारिश होती है उसका मात्र 29 प्रतिशत हिस्सा ही संग्रहित हो पाता है। पिछले 10 वर्षों में वर्षा के आंकड़ों के अनुसार वार्षिक वर्षा का लगभग 92 प्रतिशत भाग तेज बौछारों के रूप में जून से सितम्बर तक प्राप्त हो जाता है। ऊंची-नीची प्राकृतिक बनावट के साथ ही भूमि संरक्षण तकनीकों के अभाव के कारण वर्षा का पानी अबाधगति से बहता हुआ ढेर सारी उपजाऊ मिट्टी एवं पोषक तत्वों के साथ छोटे-बड़े नालों से होता हुआ नदियों में जा मिलता है। जो हमारे उपयोग से परे हो जाता है। इसकी वजह से खरीफ में बोई गई फसलों में भी नमी की कमी हो जाती है। वर्षाधारित क्षेत्रों में भूमि कटाव के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती है।
खेत का पानी खेत मेंगांव का पानी गांव में’ संकल्प के साथ एक जनान्दोलन द्वारा ही हम इस गंभीर संकट से निपट सकते हैं। इसके लिये आवश्यक जल प्रबंधन पर अनुसंधान एवं परंपरागत जल स्रोतों का पुनर्जीवन एवं विकास पर पुरजोर प्रयास करने होंगे। वर्षा जल प्रकृति प्रदत्त अमूल्य संसाधन है। जनभागीदारी के माध्यम से इसका संचय और प्रबंधन होगा, तभी ग्रामीण विकास की कल्पना की जा सकती है। कृषि किसी भी देश की सुदृढ़ अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है जो उपयुक्त भूमि एवं जल के बगैर संभव नहीं है। अतः वर्तमान में इसका संरक्षण तथा प्रबंधन प्राथमिकता के आधार पर किया जाना आवश्यक हो गया है। भूमि एवं जल हमारी अमूल्य प्राकृतिक सम्पदा है। भूमि आधार प्रदान करने के साथ-साथवनस्पतियों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का प्रमुख साधन भी है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बहुत सूझ-बुझ के साथ करना होगा।
जल संकट का कारण
ऊंची-नीची प्राकृतिक बनावट के कारण भूमि का अत्यधिक क्षरण हुआ है। दूसरी ओर भोगवादी वृत्ति ने जंगलों के लिये गहरा संकट खड़ा कर दिया है। चरोई की जमीन पर अवैध अतिक्रमण ने जानवर को चारे की तलाश में वनों में जाने के लिये मजबूर कर दिया है, जिसके कारण नये पौधों के विकसन में बाधा खड़ी होने लगी। शहरीकरणऔद्योगिकरण एवं बढ़ती जनसंख्या जलजंगलजमीन तीनों के लिये संकट का कारण बन गये हैं। अनुपयुक्त फसलें भी जलसंकट का बड़ा कारण हैं। केन्द्रीय भूमि एवं जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थानकोटा में अनुसंधानों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर एक किग्रा. दाने के उत्पादन हेतु ज्वारसोयाबीनमूंगफलीगेहूंसरसों एवं चना क्रमशः 926, 1700, 2141, 856, 1929 व 999 लीटर पनी की आवश्यकता होती है। पानी के अभाव से फसलोत्पादन प्रभावित हुआ है।
जलसंरक्षण एवं भूमि संरक्षण
जलसंरक्षण की संरचनायें बनाते समयपहाड़ी क्षेत्रमैदानी क्षेत्रबंजर एवं अनुपयोगी भूमिचरोखर एवं पडत भूमि एवं कृषि भूमि के अनुसार अलग-अलग उपाय योजना करने होंगे।
पहाड़ी क्षेत्र में कण्टूर ट्रेन्चिंग. (10 फीट लम्बी 2 फीट चौड़ी 2 फीट गहरी खाई)बहुउद्देशीय एवं फलदार पौधों का रोपण एवं कण्टूर ट्रेन्च की मेड़ एवं खाली बेकार पड़ी जगह पर चारा एवं अन्य वनस्पतियों को उगाने से भूमि का कटाव रूक सकेगा साथ ही ढलान पर तेजी से बहते पानी को भी रूकने का अवसर मिलेगा एवं मिनी परकोलेशन टैंक (रिसन तालाब) वर्षा के बहते पानी को जमीन में ले जाने में सहायक होंगे।
पहाड़ी नालों पर बोल्डर के बंधान से तेज पानी के बहाव को रोककर जमीन के कटाव को रोका जाता है (लूज बोल्ड बांध) एवं वानस्पतिक अवरोधनालाबन्धानजिन नालों में पानी की गति तेज होती है, गेवियन पद्धति (तारों के चौकोर नाले में बोल्डर से बनी दीवार) के बंधान से पानी की गति को कम कर मिट्टी के कटाव को रोकते हैं। स्टाप डैम जैसी संरचनाओं द्वारा भी जल स्तर बढ़ता है। बंजर एवं अनुपयोगी भूमि पर कण्टूर ट्रेन्चिंगपौध रोपणचारेपेड़-पौधे एवं वनस्पतियों के बीज की बुवाईचरोखर एवं पड़त भूमि पर चारागाह विकसित करने होंगे। उसी तरह कृषि योग्य भूमि पर मेड़बन्दीसमतलीकरणखेत में तालाबचारा उत्पादनकृषि वानिकी एवं फसल उत्पादन के सफल उपाय है।
भूमि एवं फसल प्रबंध
भूमि एवं फसल प्रबंध के अन्तर्गत भूमि की उर्वराशक्ति को बनाये रखनापौधों की प्रति इकाई उचित संख्याफसलों की बुवाई का समयखरपतवार नियंत्रणगर्मी में गहरी जुताई इत्यादि सम्मिलित है। फसलें उन भूमियों को अच्छी तरह ढक लेती हैं तथा अपनी जड़ों के जाल में अच्छी तरह बांधें रखती हैं, जिनकी उर्वरता अपेक्षाकृत अधिक होती है। फसलों की प्रति इकाई आदर्श संख्या भी भूमि एवं जल संरक्षण में सहायक होती है। उर्वरकों की कमी की वजह से भी फसलें जमीन को पूरी तरह ढक नहीं पाती हैं। ग्रीष्म कालीन जुताई से वर्षा जल का अधिक से अधिक भाग जमीन में ही सोख लिया जाता है।
समय से बुवाई होने पर फसलों में समय पर वानस्पतिक वृद्धि होती है जो भूमि एवं जल संरक्षण में सहायक होती है। अतः भूमि एवं जल संरक्षण के साथ-साथ भरपूर उत्पादन के लिए भूमि एवं जल प्रबंध नितान्त आवश्यक है।
चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान ने सतना जिले के मझगवां विकासखंड में इन संरचनाओं के माध्यम से सफल प्रयोग किये हैं। जिसका परिणाम यह हुआ कि उस क्षेत्र के 20 गांवों में जंगल पर निर्भर रहने वाले परिवार खेती से अच्छा उत्पादन कर रहे है।
रिज टू वैली’ पद्धति से वर्षा के जल का प्रबंधन करने का यह परिणाम हुआ कि 82 फीट गहरे कुंए जो इसके पूर्व मई-जून में सूख जाते थे, अब अल्प वर्षा में भी भरे रहते हैं। महज 5-6 फीट के रस्सी से पानी निकाला जा सकता है। वहीं हेण्डपंप एवं नलकूप से पूरे वर्षभर पेयजल प्राप्त हो पा रहा है।
इस क्षेत्र में जलस्तर 1996 से 2012 के बीच में मई माह 0.3 मि.ली. दिसम्बर में 1.80 मि.ली. रहता था। 2003 में क्रमशः 3.09, 4.36  एवं 2012 के मई में 3.96 एवं दिसंबर 4.58 मि.ली. तक पहुंच गया। इस प्रकार मई के जल स्तर में 3.00 मि.ली. एवं दिसंबर के जलस्तर में 2.82 मि.ली. की वृद्धि दर्ज की गई। इसी प्रकार इन 20 गांवों में फसल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। जहां सन् 1996 में धान का प्रति हेक्टेयर पर उत्पादन मात्र 10.35 क्विंटल होता था, 2015 में वह 36.71 क्विंटल तक बढ़ गया। इसी प्रकार अरहर का उत्पादन 7.40 से 11.30 क्विंटलचना 8.50 क्विंटल से 15.55, ज्वार 6.34 से 12.45, गेंहू 15.78 क्विंटल से 34.50, जौ 12.78 से 25.24 क्विंटलसरसों 5.17 से 17.57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर करना संभव हो सका है।
मध्यप्रदेश के सतना जिले के वनवासी बाहुल्य विकासखण्डमझगवां के अन्तर्गत 20 गांवों में ग्रामीणजनों की पहल एवं पुरूषार्थ के आधार पर भूमि एवं जल संरक्षण कार्यों के कारण भूमिगत जल स्तर में वृद्धि परिलक्षित हुई है। सिंचाई क्षेत्र में विस्तार हुआ है। उर्वरकों की खपत भी बढ़ी है। ग्रामीणों को अपने ही गांव में खेतों पर कार्य का अवसर प्राप्त हुआ है। रहन-सहनखान-पान एवं व्यवहार में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुआ है। अतः स्पष्ट है कि प्राकृतिक संसाधन ही ग्रामीणजनों के समृद्धि व खुशहाल जीवन का टिकाऊ आधार है।
डा. वेद प्रकाश सिंह
दीनदयाल शोध संस्थानकृषि विज्ञान केन्द्र, सतना

विदेशी संगठन भी विद्यार्थी परिषद के संस्कारों से ले रहे प्रेरणा – डॉ. नागेश ठाकुर जी

लखनऊ (विसंकें). अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक का उद्घाटन सोमवार को बक्सी का तलाब स्थित एसआर कॉलेज में राष्ट्रीय अध्यक्षय डॉ. नागेश ठाकुर, महामंत्री विनय बिद्रे, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री सुनील आम्बेकर जी ने किया. डॉ. नागेश ठाकुर जी ने कहा कि शिक्षा, सामजिक कुरितियों, अन्याय के निराकरण हेतु लोग परिषद की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं. संगठन की 70 वर्ष की विचार यात्रा में अनेक लोगों ने त्याग, तप से विद्यार्थी परिषद को मुकाम तक पहुंचाया, इसे आगे बढ़ाना हम सब की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, सशक्त विदेश नीति, घोटाला मुक्त शासन व्यवस्था से विश्व में भारत का महत्व बढ़ा है. लेकिन कश्मीर में सीमापार का आतंकवाद, और नक्सलवादी वारदातें चिंतित करती हैं.
उन्होंने बताया कि बैठक में कई प्रस्तावों पर चर्चा होगी. जैसे यूजीसी की भूमिका, उसमें सुधार, नक्सलवाद को बढ़ावा देने में लगे तथाकथित शहरी बुद्धिजीवी, मेडिकल शिक्षा, पश्चिम बंगाल, केरल में राजनीतिक हिंसा, यूपी की स्थिति, वर्तमान राष्ट्रीय परिस्थिति जीएसटी बिल पर भी चर्चा होगी. कृषि शिक्षा को भारत केंद्रित बनाने की दिशा में विद्यार्थी परिषद् प्रयास कर रहा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि मेडिकल क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा, आईआईटी में थिंक इंडिया, जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि शिक्षा के व्यापारीकरण का भी परिषद् विरोध करता है. इसके लिए आंदोलन किये गए. सुदूर गाँव में समाज दर्शन कार्यक्रम अनुभूति चलाया गया. ग्रामीण वनवासी क्षेत्रों की समस्याएं व जीवन मूल्यों की जानकारी प्राप्त की.
राष्ट्रीय महामंत्री विनय बिद्रे जी ने कहा कि परिसरों में देश विरोधी तत्व शैक्षिक योजना, नीति, परिसरों में संघर्ष, संगठनात्मक विकास, सदस्यता, संपर्क अभियान, कार्यक्रमों का विभिन्न स्तरों पर स्वरूप, मीडिया, सोशल मीडिया, छात्रसंघ चुनाव, प्रकाशन, अनुभूति, पर्यावरण, राष्ट्रीय सुरक्षा, आगामी योजनाएं आदि विषय बैठक के लिये प्रस्तावित है.

समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाना ही संघ का उद्देश्य – सुनील भाई मेहता

देवगिरी (विसंकें). देवगिरी प्रांत के प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का समापन समारोह 27 मई को लातूर में हुआ. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम क्षेत्र कार्यवाह सुनील भाई मेहता ने कहा कि समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर राष्ट्र को परम वैभव पर ले  जाना ही संघ का उद्देश्य है. संघ के बारे में समाज में दो तरह की धारणा बनी हुई है. एक जिसमें लोग कहते हैं कि संघ समाज में विघटन निर्माण करने का काम करते हैं, हिन्दू युवाओ को भड़काता है, हिन्दू आतंकवादी संगठन है. दूसरी ओऱ जिन्होंने संघ को नजदीक से देखा है, वे कहते हैं कि संघ अनुशासन, संस्कार सिखाता है, बिना किसी स्वार्थ के समाज की सेवा करता है, समाज के प्रत्येक घटक की सेवा करता है और समाज को एकजुट करने का कार्य कर रहा है. समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए जब पिछले साल लातूर में अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई, उस वक्त संघ ने बिना किसी सरकारी सहायता के समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर धन संग्रह करके नदी बेसिन को बढ़ाने के लिये कार्य किया. संघ का एक ही ध्येय है, समाज के सभी घटकों की समस्याओं का समाधान कर समाज को संगठित कर देश को परम वैभव तक ले जाना. उन्होंने सभी उपस्थित जनों से आह्वान किया कि घर, परिवार में चीनी उत्पादों का उपयोग बंद करें और स्वदेशी को स्वीकार करें.
समारोह के मुख्य अतिथि इसरो के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक भाऊ साहेब हाके जी ने कहा कि मैंने संघ के किसी कार्यक्रम में पहली बार भाग लिया है,. लेकिन मैं जानता हूं कि संघ राष्ट्र विरोधी विचार और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के प्रति समाज को हमेशा से ही जागरूक कर रहा है. संघ ने आज तक सभी क्षेत्रों में अपने स्वयंसेवक समाज को दिये हैं. उन्होंने कहा कि सरकार सौर ऊर्जा और समुद्र का पानी मीठा करके गोदावरी नदी बेसिन में छोड़कर मराठवाडा क्षेत्र की पानी की समस्या का समाधान कर सकती है.
वर्ग कार्यवाह दत्तात्रेय पत्की जी ने वर्ग के बारे में जानकारी दी. वर्गाधिकारी योगेश्वर गर्गेजी ने सभी मान्यवारों का स्वागत किया और किशोर जी पवार ने आभार प्रदर्शन किया.

Monday, May 29, 2017

प्रिंट, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया एवं डिजिटल मीडिया समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं – पद्मश्री विष्णुभाई पंड्या

गुजरात (विसंकें). गुजरात में देवर्षि नारद जयंती की स्मृति में  “पत्रकार सम्मान समारोह ” का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक मुकेशभाई मलकान, मुख्य वक्ता पद्मश्री विष्णुभाई पंड्या (अध्यक्ष,गुजरात साहित्य परिषद) तथा विसंकें गुजरात के न्यासी हरेश भाई ठक्कर जी ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पद्मश्री विष्णुभाई पंड्या का शाल ओढ़ाकर मुकेशभाई मलकान ने सम्मान किया. सम्मानित महानुभावों में भवेनभाई कच्छी (सुप्रसिद्द स्तंभकार), ज्योतिबहन उनडकट (स्तंभकार), ब्रजेश कुमार सिंह (ABP Asmita, Gujarati), विकास उपाध्याय (TV 9), आरती बोरिया (RJ, Redio City 91.1) शामिल हैं.

इस अवसर पर मुख्य वक्ता पद्मश्री विष्णुभाई पंड्या ने कहा कि सभी सम्मानित पत्रकारों को मेरा अभिनंदन. आज 21वीं सदी के युग में विणाधारक श्री नारद का आदर्श रखना एक कौतुक पैदा करता है. नारदजी के विषय में नारद पुराण में 25,000 श्लोक हैं. नारदजी ब्रह्मा के मानस पुत्र थे. श्री नारद मुनि सकल ब्रह्माण्ड की जानकारी रखते थे और Free Lancer थेदृष्टा थे, Mind of God थेपुण्य प्रकोपी भी थे. अन्याय सहन न करनायह पत्रकार का स्वभाव है. शिक्षण एवं मनोरंजन के साथ 64 विधाओं के जानकर थे. आज जिस नवजीवन प्रेस ट्रस्ट के संकुल में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. उस पर दो बार प्रतिबंध आया,
वास्तव में आज यह सम्मान पत्रकारों का सम्मान नहीं, वरन शब्दों का सम्मान है. लगातार विचार प्रक्रिया से उत्पन्न शब्दों का यह सम्मान है. वास्तव में लेखक को शब्दों द्वारा ही विश्वभर में सम्मान मिलता है. किसी को भी वाचननिरीक्षण एवं उसमें से जन्मे विचारों के बिना पत्रकारिता के क्षेत्र में नहीं आना चाहिये. यह अग्निपथ की यात्रा है. प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया एवं डिजिटल मीडिया वास्तव में एक दूसरे के दुश्मन नहीं, बल्कि पूरक हैं. ये तीनों मिलकर बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं. पत्रकारों से समाज को विशेष अपेक्षा है क्योंकि Truth speaking पत्रकारों का धर्म है.
कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि मुकेश भाई मलकान (प्रांत संघचालकगुजरात प्रांत) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से पत्रकारों से राष्ट्र सेवा का आह्वान किया. इस अवसर पर यशवंत भाई चौधरी (प्रांत कार्यवाहगुजरात प्रांत)शैलेष भाई पटेल (सह प्रांत कार्यवाहगुजरात प्रांत)विजय भाई ठाकर (प्रांत प्रचार प्रमुख)सहित अनेक पत्रकार तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.

समाज भगवान श्रीराम के सर्वप्रिय वनवासी समाज के कल्याण हेतु आगे आए – विहिप

नई दिल्ली. भगवान श्रीराम का सर्वप्रिय समाज, जिनके साथ चौदह वर्ष रहकर उन्होंने उनके कल्याण हेतु कार्य किया, दुर्भाग्य से वह आज अभावग्रस्त अवस्था में जी रहा है. विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल जी ने समाज का आह्वान करते हुए कहा कि सभी राम भक्त मिलकर भगवान श्रीराम के आदर्शों पर चलते हुए समाज के हर दलित या पिछड़े व्यक्ति की सेवार्थ तन मन धन से आगे आएं. सृष्टि के आदि ग्रंथ वेदों के मंत्रों को सर्वग्राह्य व आसान तथा रोचक तरीके से पाठकों तक पहुंचाने के उद्देध्य से कच्छ (गुजरात) के युवा संत दर्शनाचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती तथा वैदिक विदुषी विमलेश बंसल “आर्या” द्वारा लिखित साम अथर्ववेद शतक नामक पुस्तक का विमोचन किया गया.
अखिल भारतीय दयानंद सेवाश्रम संघ के 36वें वनवासी वैचारिक क्रांति शिविर के समापन अवसर पर राष्ट्रीय जनजाति आयोग की उपाध्यक्षा अनुसुइया उड़के जी ने कहा कि वनवासी क्षेत्रों के लोगों को अधिकार दिलाने में अभी तक अनेक प्रयास हुए हैं, किन्तु अभी भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है. भारत के सुदूर वनवासी गिरिवासी व अति पिछड़े क्षेत्रों में भोले-भाले लोगों के धर्मांतरण की गतिविधियों पर भी समाज को सचेत रहना होगा, जिससे कोई उनका शोषण न कर सके. वनवासी कल्याण आश्रम, एकल विद्यालय तथा स्वामी दयानंद के शिष्यों की निगरानी में शिक्षा व सेवा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण का जो कार्य चल रहा है, उसके परिणाम अब दिखने लगे हैं.
नई दिल्ली के मावलंकर सभागार में विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल जी ने कहा कि वेदों के मन्त्रों का सरल भाषा में प्रस्तुति का जो काम लेखकों ने किया है, वह एक अनुकरणीय पहल है. भाषा की सरलता और काव्य की रोचकता के साथ मन्त्रों की सटीक व्याख्या इस पुस्तक की विशेषता है. इस तरह की पुस्तकें जब सर्व सुलभ होंगी, तभी सच्चे अर्थों में चारों वेदों के ज्ञान को हम विश्व के कोने कोने में ले जाने में समर्थ होंगे.
बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, असम व अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों से आये लगभग 200 छात्र छात्राओं ने संस्कार शिक्षा राष्ट्रभक्ति एवं चरित्र निर्माण हेतु 15 दिन तक भाग लिया. इस अवसर पर वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश कुलकर्णी जी, दयानंद सेवाश्रम संघ के प्रधान महाशय धर्मपाल आर्य जी, महामंत्री जोगेंद्र खट्टर जी, शिविर संयोजक आचार्य दया सागर व जीव बर्धन शास्त्री, सहित अनेक संगठनों के पदाधिकारी व अनेक राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे. शिविर प्रतिवर्ष की भांति पश्चिमी दिल्ली के रानी बाग स्थित आर्य समाज मन्दिर में सम्पन्न हुआ.

समाज में एकता, बंधुता का निर्माण समरसता के बिना संभव नहीं है – डॉ. सुनील भाई बोरिसा

गुजरात (विसंकें). भावनगर के अकवाडा गुरुकुल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग (कच्छ विभाग, सौराष्ट्र विभाग तथा कर्णावती) का समारोप कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में अकवाडा गुरुकुल के मार्गदर्शक पू. श्री विष्णु स्वामी तथा मुख्य अतिथि के रूप में महेश भाई गाँधी (सेवानिवृत्त उप नियामक तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक CSMCRI, भावनगर) उपस्थित रहे.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. सुनील भाई बोरिसा (सह संपर्क प्रमुख, रा.स्व. संघ गुजरात प्रांत) ने कहा कि व्यक्ति निर्माण द्वारा राष्ट्र निर्माण अपनी संस्कृति की परंपरा रही है. उसी परंपरा को संघ ने पिछले 90 वर्षों से व्यवहार में रखा है. जब Hand और Head की Training में Heart आता है, तब व्यक्ति निर्माण होता है. समाज और राष्ट्र को मार्गदर्शन देने वाले संघ कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण का यह समारोप कार्यक्रम है. संघ कार्य में किसी का विरोध नहीं, परन्तु सबके साथ मित्रता ही संघ मंत्र है. उन्होंने श्री गुरूजी का उदाहरण देते हुए कहा कि Extreme Love ही अपनी सफलता का रहस्य है. वर्तमान समय में विश्व में सर्वत्र हिन्दू विचारधारा स्वीकार हो रही है. जैसे कि योग, आयुर्वेद, Inclusive Thought, Interdependence, पर्यावरण आदि हिन्दू विचारधारा ही है.
उन्होंने कहा कि अपने देश में वर्तमान में आंतरिक सुरक्षा को लेकर राष्ट्रद्रोही कार्य, आतंकवाद, नक्सलवाद, बंगाल – केरल में सांस्कृतिक संगठनों पर अत्याचार आदि राजकीय सहयोग के कारण चल रहे हैं. संघ द्वारा किये जा रहे राष्ट्र जागृति के कार्य के विषय में कहा कि संघ द्वारा समाजोपयोगी विविध विषयों पर कार्य हो रहा है. विश्व शांति का आरंभ परिवार से ही होता है, समाज में एकता, बंधुता का निर्माण राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है जो समरसता के बिना संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह वर्ष पू. श्री रामानुजाचार्य का सहस्त्राब्दी वर्ष, श्री गुरु गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाश वर्ष, भगिनी निवेदिता का 150वां जन्मजयंती वर्ष, पंडित दीनदयाल जन्म शताब्दी वर्ष है. इन सभी के जीवन में जो समानता देखने को मिलती है, वह है समरसता तथा एकात्मभाव. सुनीलभाई ने कहा कि हम सब अपने क्षेत्र में समरसता और एकात्म भाव को जागृत करें, संघ को प्रासंगिक सहयोग करें और दैन्दिन शाखा को पुष्ट करने में सहयोग कर संघ विचार को सर्वसमाज में पहुचाएं यही अपेक्षा है. वर्ग में 214 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया.

आज पत्रकारिता में नारदीय तत्व की आवश्यकता – हितेश शंकर जी

मेरठ (विसंकें). पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर जी ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता में आज नारदीय तत्व की आवश्यकता है. आद्य पत्रकार देवर्षि नारद की पत्रकारिता में स्त्रोत प्रमाणिक और पवित्र होने के साथ ही सर्वव्यापक होते थे. भारत में आधुनकि पत्रकारिता का उदय हिक्की की पत्रकारिता नहीं, वरन् इसका श्रेय कलकत्ता से प्रकाशित होने वाले उदण्त मार्तण्ड को है. उदण्त मार्तण्ड के प्रथम पृष्ठ पर आद्य पत्रकार देवर्षि नारद का चित्र अंकित था. हितेश जी विश्व संवाद केन्द्र, मेरठ द्वारा आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती के उपलक्ष्य में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बृहस्पति भवन में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि नारद जी के संवाद में चुटीलापन तो था, लेकिन शब्दों का चयन और भाषा में मर्यादा थी. वर्तमान समय की पत्रकारिता में भाषा के स्तर में गिरावट देखी जा सकती है. आज पत्रकारिता व भाषा में नारदीय तत्व की आवश्यकता है. खबरें जहां होती थीं, नारद वहां होते थे. उनकी स्वीकार्यता देवलोक, पृथ्वी और पाताल सभी जगह थी. आज स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद हम देखते हैं कि पत्रकारिता जहां मिशन थी, उसकी स्वीकार्यता और विश्वसनीयता का संकट बढ़ रहा है. स्वतंत्रता संघर्ष में अधिकांश नेता पत्रकार थे. इसलिये देश के प्रति संवेदनशीलता ने उन्हें कलम उठाने को मजबूर किया. भारत माता की जय बोलकर जो पत्रकारिता की शुरूआत हुयी, आज वह पत्रकारिता भारत तेरे टुकड़े होंगे पर डिबेट करा रही है. यह वास्तव में विचारणीय प्रश्न है कि आज की पत्रकारिता कहीं न कहीं राजनीति के घेरे से बाहर नहीं निकल पा रही. आर्थिक पक्ष भी मीडिया घरानों का एक पहलू है, लेकिन हम इस बात को भी ठीक प्रकार से समझें कि विज्ञापन के रूप में होने वाली आय समाचारों पर ही निर्भर है. लोग समाचार पत्र खरीदते हैं, विज्ञापन पत्र नहीं. समाचार के कारण ही विज्ञापन भी पढ़ा जाता है.
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके तनेजा जी ने कहा कि पत्रकारिता एक विमर्श का कार्य करती है. पाठक, श्रोता और दर्शकों की बुद्धिमता पर संदेह नहीं किया जा सकता है. मीडिया से प्रसारित होने वाली साम्रगी से प्रभावित होकर लोग अपना निर्णय नहीं करते, बल्कि वह अपने विवेक और अनुभव की कसौटी पर उसे परखते है. हाल ही का इसका उदाहरण नोटबंदी हो सकता है. इसलिये वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पत्रकारिता से जुड़े लोगों से यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह जनसामान्य, समाज हित एवं राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए पत्रकारिता करें.
कार्यक्रम में राष्ट्रदेव के सम्पादक एवं वरिष्ठ पत्रकार अजय मित्तल जी ने विश्व संवाद केन्द्र की जानकारी दी, कहा कि आज भारत में 41 विश्व संवाद केन्द्र तथा  एक केन्द्र नेपाल में है जो निरन्तर मीडिया को राष्ट्रहित में कार्य करने की प्रेरणा देते रहते हैं. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मेयर हरिकांत अहलूवालिया जी ने सम्मानित पत्रकारों को बधाई दी व कहा कि आज सकारात्मक करने हेतु जो वातावरण तैयार हुआ है, उसका हमें लाभ लेना चाहिए तथा पत्रकारिता के माध्यम से जनमानस की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए. कार्यक्रम में 06 पत्रकारों को नारद सम्मान से सम्मानित किया गया. जिनमें ज्ञान प्रकाश जी, रामानुज जी, दीपक शर्मा जी, प्रवीण चौहान जी, ललित शंकर जी, डॉ. दीपिका वर्मा रहे. कार्यक्रम में अतिथियों का धन्यवाद विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष आनंद प्रकाश अग्रवाल जी तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशांत कुमार ने किया.

देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए संस्थानों की विदेशी फंडिंग पर रोक लगानी होगी – मधु किश्वर जी

टना (विसंकें). मानुषी की संस्थापक संपादक एवं विख्यात लेखिका प्रो. मधु किश्वर जी ने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए संस्थानों की विदेशी सहायता पर रोक लगानी होगी. जब तक देश की पत्रकारिता, शैक्षणिक संस्थानएनजीओ आदि विदेशी फंडिंग से चलेगी, तब तक आंतरिक सुरक्षा की बात करना बेमानी होगा. आज विदेशी फडिंग का ही नतीजा है कि देश विरोधी पत्रकारिता सम्मानित हो रही है. अमेरिकापाकिस्तान के गेम प्लान को जमीन पर उतारने वाले लोग हमारे मीडियाशिक्षारक्षाव्यवसाय जैसे क्षेत्रों में घुसे हुए हैं. इनके रहते आंतरिक सुरक्षा की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी. मधु जी शनिवार 27 मई को विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद स्मृति कार्यक्रम में देश की आंतरिक सुरक्षा’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि आज विदेशी फंडिंग का ही नतीजा है कि फासीवादी जैसे नकारात्मक शब्द को यहां की मीडिया द्वारा बात-बात पर उछाला जाता है और इतना ही नहीं भारत के लिए इस शब्द का उपयोग वैश्विक मंचों पर किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट मानना है कि देश की आंतरिक सुरक्षा सुढृढ़ रहनी चाहिए. आज जम्मू कश्मीर के हालात बेहद खराब हैं. कुछ-कुछ ऐसी ही स्थिति पश्चिम बंगाल की भी है. दुःख की बात है कि मीडिया में निष्पक्ष रूप से कश्मीर या बंगाल की हिंसक घटनाओं का प्रकाशन-प्रसारण नहीं हो पा रहा है. बंगाल समस्या के पीछे मूल कारण विदेशी घुसपैठ है. इस घुसपैठ पर वहां की राज्य सरकारों की तुष्टिकरण एवं वोट बैंक की नीति का कुप्रभाव रहा है. यही कारण है कि बंगाल एवं पूर्वोत्तर भारत में पिछले 30 वर्षों में करोड़ों विदेशी घुसपैठियों का जमावड़ा हुआ है. इस कारण वहां के स्थानीय लोगों को विस्थापित होना पड़ा. आर्थिक संरचनाएं ध्वस्त हो गयी और कानून व्यवस्था की जो स्थिति खराब हुर्ह, उसका असर पूरे देश पर हुआ.
कार्यक्रम अध्यक्ष पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश वीएन. सिन्हा जी ने कहा कि देश की सुरक्षा को अक्षुण्ण रखने के लिए पर्याप्त कानून हैं, जिनका निष्पक्ष रूप से अनुपालन हो तो एक सशक्त भारत की छवि बरकरार रखी जा सकती है. लेकिन समस्या तब उत्पन्न होती है, जब उपलब्ध कानून का अपने फायदे के लिए दुरूपयोग होने लगता है. देश की आंतरिक सुरक्षा के मामले में भी यह बात लागू होती है. संविधान की मूल आत्मा के विपरीत जाकर व्यवस्था स्थापित करने और निजी लाभ के लिए उसको परंपरा का रूप देने के कारण ही कश्मीर की समस्या ने एक नासूर का रूप धारण कर लिया है. बंगाल की स्थिति तो उससे भी बुरी है क्योंकि राष्ट्रीय परिदृश्य पर बंगाल में हो रही हिंसक घटनाओं का जिक्र न के बराबर होता है.
प्रो. दीप्ति कुमारी ने कहा कि आज के समय में संगोष्ठी का यह विषय इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि बंगाल में हो रही हिंसक घटनाओं का सही विवरण पारंपरिक मीडिया देने में नाकाम रहा है. ऐसे में यह जरूरी है कि देशहित में कार्य करने वाली संस्थाएं सामने आकर आम जनमानस तक देश में हो रही हिंसक घटनाओं का सही विवरण प्रस्तुत करें.
कार्यक्रम में विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह जी ने गणमान्यजनों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम के आरंभ में सुपर कॉप के नाम से मशहूर पूर्व डीजीपी केपीएस गिल के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. अतिथियों द्वारा विश्व संवाद केंद्र द्वारा प्रकाशित स्मारिका बिहार में मीडिया’ का विमोचन किया गया. देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान’ वरिष्ठ पत्रकार रवीन्द्र कुमार, ‘केशवराम भट्ट पत्रकारिता सम्मान’ रामाशंकर मिश्र तथा बाबूराव पटेल रचनाधर्मिता सम्मान’ छायाकार अजीत कुमार को प्रदान किया गया. पाटलिपुत्र सिने सोसायटी द्वारा आयोजित डॉक्युमेंट्री एवं शॉर्ट फिल्म प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया.