सीतापुर (विसंकें). के न्यूज़ चैनल के सीईओ अमिताभ अग्निहोत्री जी ने कहा कि जो पत्रकारिता लोकमंगल के लिए की जाए, वही वास्तविक पत्रकारिता है. जबकि निज मंगल के लिए किया गया काम पत्रकारिता की श्रेणी में नहीं आता. देवर्षि नारद की पत्रकारिता पूरी तरह से लोकमंगल की ही थी. वह जिस लोक में जाते थे, वहां सिर्फ और सिर्फ उन्हीं सूचनाओं का आदान प्रदान करते थे जो लोकमंगल की हों. अमिताभ जी आदि पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि 30 वर्षों की पत्रकारिता में अगर मैंने कुछ सीखा है तो वह केवल समाज के लिए ही कार्य करना है. मैंने इन वर्षों में जाना कि अगर पत्रकारिता करनी है तो कबीर को समझना होगा. सत्ता भुवन मोहिनी की तरह होती है, उसके चक्कर में जो फंसा वह फंसता ही चला गया. माया से घिरी सत्ता के दुष्प्रभाव से बचना बहुत मुश्किल है. हम पत्रकारों पर मीडिया ट्रायल का आरोप लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है. मुझसे प्रशांत भूषण ने कहा कि आप लोग किसी को आतंकवादी कैसे दिखा देते हो, जबकि यह कार्य न्यायालय का है. मैंने उनको जवाब दिया – तू कहता कागज की लेखी, मैं कहता आंखन की देखी, बस यही अंतर है. उन्होंने मीडिया के एक वर्ग पर भी प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि लोग स्टिंग ऑपरेशन करते हैं, जबकि मैं इसमें विश्वास नहीं रखता. इससे लोगों के बीच संवाद ही नहीं होगा, लोग सिर्फ इशारे से ही बात करेंगे. अंगूठी में कैमरा, पेन में कैमरा, बैग में कैमरा यह परंपरा ठीक नहीं है. हम लोगों को अपने अंदर झांकना होगा. पत्रकारिता क्षेत्र में अच्छे लोगों को आना होगा, तभी सुधार संभव हो सकेगा.
गायत्री परिवार आचार्य श्रीराम शर्मा कहते हैं कि हम सुधरेंगे युग सुधरेगा… हम पत्रकारों को इस बारे में विचार करना होगा. सुधार की परंपरा हमें अपने से शुरू करनी होगी. अक्सर हम पत्रकारों को गलतफहमी हो जाती है कि अगर हम नहीं बताएंगे तो कोई कुछ जान नहीं सकेगा. लेकिन ऐसा नहीं है. क्षेत्र के विधायक के बारे में जनता सब कुछ जानती है कि उनका विधायक कैसा है. केवल महान पीढ़ी से जुड़ने से काम नहीं चलेगा कि हम उस परंपरा के हैं, जिसमें गणेश शकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी हुए. हमें उनके आदर्शों को अपनाना होगा.
मुख्य अतिथि आईबीएन सेवन चैनल के पूर्व स्टेट हेड व उत्तर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी जी ने कहा कि जब देव व दानवों का यु़द्ध हो रहा था, तब देवर्षि नारद ने देवताओं का साथ दिया. लेकिन वर्तमान में कुछ पत्रकार दानवों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. जेएनयू व कश्मीर में देश विरोधी नारे लगाने वालों के साथ खडे हैं. आज बड़े पत्रकार कहते हैं कि कश्मीर में आतंकवादियों को जिंदा पकड़ा जा सकता है, जबकि आतंकवादियों को मार दिया जाता है. तब मैने उनसे पूछा कि अगर किसी सैनिक के सामने कोई आतंकी हमलावर हो तो क्या करना चाहिए, तो वे कुछ बोल नहीं सके.
कार्यक्रम अध्यक्ष हिन्दी सभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेश मंगल वाजपेयी जी ने कहा कि मैंने कई धर्म ग्रंथ पढ़े, जिनमें नारद जी का वर्णन हर ग्रंथ में मिलता है. अध्ययन के दौरान पता चला कि नारद जी जो भी सूचनाएं एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने का काम करते थे, वह लोकमंगल के लिए था. उन्होंने ध्रुव, प्रह्लाद आदि को धर्म के मार्ग पर चलाया. पत्रकारिता क्षेत्र में उनके सिद्धांतों को सभी पत्रकारों को अपनाना चाहिए. जिससे समाज का भला हो सके.
कार्यक्रम में पत्रकारों का सम्मानित भी किया गया, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार स्वतंत्र भारत के जिला प्रभारी नरेश मिश्र, ईटीवी के जिला प्रभारी नीरज श्रीवास्तव, युवा पत्रकार पायनियर के संवाददाता अनुपम सिंह, छायाकारों में ईटीवी से सुरेश सिंह, आईबीएन सेवन से मेराज, नेशनल वॉयस से अवनीश मिश्र, पायनियर से गौरव शुक्ला गोल्डी को सम्मानित किया गया.
No comments:
Post a Comment