Monday, May 29, 2017

आज पत्रकारिता में नारदीय तत्व की आवश्यकता – हितेश शंकर जी

मेरठ (विसंकें). पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर जी ने कहा कि भारतीय पत्रकारिता में आज नारदीय तत्व की आवश्यकता है. आद्य पत्रकार देवर्षि नारद की पत्रकारिता में स्त्रोत प्रमाणिक और पवित्र होने के साथ ही सर्वव्यापक होते थे. भारत में आधुनकि पत्रकारिता का उदय हिक्की की पत्रकारिता नहीं, वरन् इसका श्रेय कलकत्ता से प्रकाशित होने वाले उदण्त मार्तण्ड को है. उदण्त मार्तण्ड के प्रथम पृष्ठ पर आद्य पत्रकार देवर्षि नारद का चित्र अंकित था. हितेश जी विश्व संवाद केन्द्र, मेरठ द्वारा आयोजित आद्य पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती के उपलक्ष्य में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के बृहस्पति भवन में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि नारद जी के संवाद में चुटीलापन तो था, लेकिन शब्दों का चयन और भाषा में मर्यादा थी. वर्तमान समय की पत्रकारिता में भाषा के स्तर में गिरावट देखी जा सकती है. आज पत्रकारिता व भाषा में नारदीय तत्व की आवश्यकता है. खबरें जहां होती थीं, नारद वहां होते थे. उनकी स्वीकार्यता देवलोक, पृथ्वी और पाताल सभी जगह थी. आज स्वतंत्रता के इतने वर्षों के बाद हम देखते हैं कि पत्रकारिता जहां मिशन थी, उसकी स्वीकार्यता और विश्वसनीयता का संकट बढ़ रहा है. स्वतंत्रता संघर्ष में अधिकांश नेता पत्रकार थे. इसलिये देश के प्रति संवेदनशीलता ने उन्हें कलम उठाने को मजबूर किया. भारत माता की जय बोलकर जो पत्रकारिता की शुरूआत हुयी, आज वह पत्रकारिता भारत तेरे टुकड़े होंगे पर डिबेट करा रही है. यह वास्तव में विचारणीय प्रश्न है कि आज की पत्रकारिता कहीं न कहीं राजनीति के घेरे से बाहर नहीं निकल पा रही. आर्थिक पक्ष भी मीडिया घरानों का एक पहलू है, लेकिन हम इस बात को भी ठीक प्रकार से समझें कि विज्ञापन के रूप में होने वाली आय समाचारों पर ही निर्भर है. लोग समाचार पत्र खरीदते हैं, विज्ञापन पत्र नहीं. समाचार के कारण ही विज्ञापन भी पढ़ा जाता है.
कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनके तनेजा जी ने कहा कि पत्रकारिता एक विमर्श का कार्य करती है. पाठक, श्रोता और दर्शकों की बुद्धिमता पर संदेह नहीं किया जा सकता है. मीडिया से प्रसारित होने वाली साम्रगी से प्रभावित होकर लोग अपना निर्णय नहीं करते, बल्कि वह अपने विवेक और अनुभव की कसौटी पर उसे परखते है. हाल ही का इसका उदाहरण नोटबंदी हो सकता है. इसलिये वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पत्रकारिता से जुड़े लोगों से यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि वह जनसामान्य, समाज हित एवं राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हुए पत्रकारिता करें.
कार्यक्रम में राष्ट्रदेव के सम्पादक एवं वरिष्ठ पत्रकार अजय मित्तल जी ने विश्व संवाद केन्द्र की जानकारी दी, कहा कि आज भारत में 41 विश्व संवाद केन्द्र तथा  एक केन्द्र नेपाल में है जो निरन्तर मीडिया को राष्ट्रहित में कार्य करने की प्रेरणा देते रहते हैं. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मेयर हरिकांत अहलूवालिया जी ने सम्मानित पत्रकारों को बधाई दी व कहा कि आज सकारात्मक करने हेतु जो वातावरण तैयार हुआ है, उसका हमें लाभ लेना चाहिए तथा पत्रकारिता के माध्यम से जनमानस की अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए. कार्यक्रम में 06 पत्रकारों को नारद सम्मान से सम्मानित किया गया. जिनमें ज्ञान प्रकाश जी, रामानुज जी, दीपक शर्मा जी, प्रवीण चौहान जी, ललित शंकर जी, डॉ. दीपिका वर्मा रहे. कार्यक्रम में अतिथियों का धन्यवाद विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष आनंद प्रकाश अग्रवाल जी तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशांत कुमार ने किया.

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