Tuesday, May 16, 2017

पाठ्य पुस्तकों में शामिल होगा महाराजा सुहेलदेव का इतिहास – योगी आदित्यनाथ

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने रविवार को घोषणा की कि महाराजा सुहेलदेव पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगे. उत्तर प्रदेश सरकार महाराजा सुहेलदेव, लखनऊ के महाराजा लाखन पासी, महारानी लक्ष्मीबाई और महारानी झलकारी बाई समेत जिन महापुरूषों का देश के उत्थान में योगदान रहा, उन्हें पुस्तकों में शामिल करेगी. उन्होंने कहा कि हमने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. अब महापुरूषों के नाम पर छुट्टियां नहीं होंगी, बल्कि उनके जीवन के बारे में विद्यालयों में कार्यक्रम होंगे और छात्रों के बीच प्रतियोगिताएं होंगी. मुख्यमंत्री विश्व हिन्दू परिषद द्वारा महाराजा सुहेल के विजयोत्सव पर कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थों के लिए भारत के वास्तविक इतिहास को तोड़मरोड़कर पेश किया गया और जानबूझकर दबाकर रखा गया. हमारे स्वाभिमान को कुचलने का प्रयास किया गया. आजादी के बाद से ही यह शरारत शुरू हो गयी थी. महाराज सुहेलदेव महान थे. उन्होंने आस-पास के 27 राजाओं को संगठित कर सालार मसूद की तीन लाख की सेना को मौत के घाट उतारा था. इसके बावजूद इतिहास में जो सम्मान महाराजा सुहेलदेव को मिलना चाहिए, वह नहीं मिला. महापुरूषों की प्रेरणा ही देश व धर्म की रक्षा कर पाती है. महापुरूषों की प्रेरणा समाज को एक दिशा देती है. महाराजा सुहेलदेव का हमने भुला दिया. इसका परिणाम समाज को भुगतना पड़ा.
गजनी गोरी के साथ संबंध जोड़ने वालों के लिए समाज में जगह नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग गजनी, गोरी, बाबर और अलाउद्दीन खिलजी के साथ अपना संबंध जोड़ेंगे, उनके लिए कोई स्थान नहीं है. हर मजहब में राष्ट्रवादी होते हैं. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अशफाक उल्ला खां, परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पर लोगों को गर्व है.
कौन हैं महाराजा सुहेलदेव
महाराज सुहेलदेव दसवीं शताब्दी में श्रावस्ती के राजा थे. इनके राज्य का विस्तार नेपाल से कौशांबी और वैशाली से गढ़वाल तक था. सन् 1088 में स्थानीय राजाओं को संगठित कर उन्होंने सालार और सालार मसूद को कड़ी शिकस्त दी. हमलावरों के दो सैनिकों को छोड़ कोई जीवित नहीं बचा. सुहेलदेव सामाजिक समरसता के भी प्रतीक थे. उस समय की विषम सामाजिक व भौगोलिक स्थिति में विदेशी आक्रांता के खिलाफ 27 राजाओं का सहयोग लेना इसका सुबूत है.
महाराज लाखन पासी – माना जाता है कि दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी में वह लखनऊ के राजा थे. किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी जिस टीले पर बना है, वहां उनका किला था. उनकी पत्नी का नाम लखनावती था. लखनऊ का नामकरण उनके ही नाम पर हुआ है.
झलकारी बाई  – महारानी लक्ष्मी बाई की विश्वस्त सहयोगी, उनकी हमशक्ल और सेना के दुर्गा दल की सेनापति थीं. दुश्मन को छकाने के लिए वह भी लक्ष्मी बाई के ही वेश में रणभूमि में जाती थीं. बुंदेलखंड में इनके वीरता की चर्चा आम है. केंद्र सरकार इनके नाम पर डाक टिकट भी जारी कर चुकी है.
निःस्वार्थ भाव काम कर रहा संघ
मुख्यमंत्री ने कहा कि सांप्रदायिकता व राष्ट्रवाद पर बहस होनी चाहिए. राजनीतिक स्वार्थ के लिए समाज को जाति, धर्म व क्षेत्र में बांटने वाले और बहुसंख्यकों को गाली देने वाले खुद को मानवतावादी कहते हैं. अगर वे मानवतावादी हैं तो कन्याकुमारी से कश्मीर तक पूरे सेवाभाव एवं समर्पण से समाज के हर क्षेत्र में काम करते हुए देश को परमवैभव की ओर ले जाने की मंशा रखने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा संगठन कैसे सांप्रदायिक है? कौन क्या है, जनता के सामने बेनकाब करने के लिए यह बहस जरूरी है.
इस मौके पर क्षेत्र प्रचारक शिव नारायण जी, प्रान्त प्रचारक कौशल किशोर जी, सह प्रान्त प्रचारक रमेश जी, विहिप के सह प्रान्त संगठन मंत्री भोलेन्द्र, सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे.

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