देश के कुल उत्पादन का ३० फीसदी अनाज होता है बर्बाद
April 12, 2014
चैत्र शुक्ल पक्ष १२, कलियुग वर्ष ५११६
नई दिल्ली : देश में भंडारण क्षमता की कमी के कारण तकरीबन ४० फीसदी अनाजों का रख-रखाव उचित तरीके से नहीं हो पाता है और देश के कुल उत्पादन का २० से ३० फीसदी अनाज इससे बर्बाद हो जाता है।
उद्योग संगठन एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक देश में इस समय साढ़े ३ करोड़ टन भंडारण क्षमता की कमी है। यदि सिर्फ अनाज की बात करें तो इस समय ८० लाख टन भंडारण क्षमता की कमी है।
अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि जब अनाजों की उपलब्धता सर्वाधिक होती है उस समय तकरीबन ३० से ४० फीसदी अनाजों का भंडारण गलत तरीके से किया जाता है।
भंडारण क्षमता की कमी, गोदामों की उपलब्धता में क्षेत्रीय विसंगति और वैज्ञानिक सुविधाओं एवं प्रबंधन की कमी के कारण हर साल इससे २० से ३० फीसदी अनाज नष्ट हो जाता है।
एसोचैम ने बताया कि अनाज की हर बोरी प्रसंस्करण के लिए खोले जाने से पहले कम से कम ६ हाथों से होकर गुजरती है जिस कारण उनका ढुलाई खर्च बढ़ता है और बर्बादी ज्यादा होती है।
रिपोर्ट के अनुसार देश में जल्द से जल्द आधुनिक तथा वैज्ञानिक सुविधाओं से लैस गोदामों का विकास करना आवश्यक है। अध्ययन के अनुसार इस समय देश में गोदामों का बाजार संयुक्त रूप से सालाना लगभग ९ फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
वित्त वर्ष २०१०-११ में यह २२८०० करोड़ रूपए का था और वित्त वर्ष २०१५-२०१६ में इसके ३५००० करोड़ रूपए तक पहुंच जाने की उम्मीद है, लेकिन इसमें से सिर्फ १२ फीसदी गोदामों का उपयोग कृषि उपज के लिए होता है।
ऎसा है औद्योगिक भंडारण
औद्योगिक उत्पादों के लिए है। यदि गोदामों की भंडारण क्षमता की बात करें तो संयुक्त रूप से इसकी सालाना वृद्धि दर लगभग ४ फीसदी है। वित्त वर्ष २०१०-११ में यह १५२ करोड़ वर्गफुट थी, जिसके वित्त वर्ष २०१५-१६ में बढ़कर १८४ करोड़ वर्गफुट होने की उम्मीद है।
इसमें २९ फीसदी का इस्तेमाल कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए किया जाता है। एसोचैम ने बताया कि कमी न सिर्फ भंडारण क्षमता की है, बल्कि गोदामों के डिजाइन हवा के संचार और प्रबंधन के स्तर पर भी है। उनका निर्माण परंपरागत तरीके से कराया है जो आधुनिक पैमानों पर खड़ा नहीं उतरते। यहां तक कि कुछ नए बने गोदाम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के नहीं हैं।
स्त्रोत : राजस्थान पत्रिका
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