Tuesday, December 01, 2015

भारत में विवाह एक संस्कार, जबकि विदेशों में अनुबंध है – सुब्रमण्यम जी

जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख सुब्रमण्यम भट्ट ने कहा कि हिन्दू संकल्पना के अनुसार विवाह एक शाश्वत संबंध है. धर्म, प्रजा और रति ये तीनों विवाह के उद्देश्य माने गए हैं. धर्म के आधार पर कुटुम्ब को खड़ा किया गया, जिससे भारत में कुटुम्ब एक सुदृढ़ संस्था बन गई. भारत में विवाह एक संस्कार है, जबकि विदेशों में केवल अनुबंध है.
सुब्रमण्यम जी सोमवार को भारती भवन पर आयोजित नव दम्पति सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि गृहस्थाश्रम सब आश्रमों को अपने यहां आश्रय देता है, इसलिए सभी आश्रमों में श्रेष्ठ माना गया है. अनेक विदेशी आक्रमणों के बाद भी भारतीय संस्कृति अभी भी बनी हुई है तो इसका मुख्य कारण परिवार संस्थान ही हैं. उन्होंने कहा कि हमारा मकान धीरे धीरे संस्कार देने वाला घर बने ऐसा प्रयास करना चाहिए. परिवार को दिन में कम से कम एक बार साथ बैठकर भोजन या सन्ध्या करनी चाहिए. परिवार में नकारात्मक एवं निराशाजनक चर्चा न होकर सकरात्मक एवं प्रेरणादायक चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि युवा दंपति ही भारत के भविष्य की दिशा और दशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर सकते हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने परिवार प्रबोधन अभियान के माध्यम से परिवारों में सांस्कृतिक चेतना का अलख जगाने का अभियान शुरू किया है. संघ की ओर से विगत कई वर्षों से देश में परिवार प्रबोधन शिविरों का आयोजन किया जा रहा है एवं इससे संबंधित साहित्य भी तैयार किया जा रहा है. कौटुम्बिक एकता को सुदृढ़ बनाकर, परिवार को स्वस्थ, संस्कारात्मक बनाना एवं राष्ट्र व समाज हित के प्रति परिवार को जागरूक रखना, यह परिवार प्रबोधन का निहित उद्देश्य है.

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