Saturday, December 31, 2016
Wednesday, December 28, 2016
वनवासी कल्याण आश्रम के स्थापना दिवस समारोह
भुवनेश्वर : वनवासी कल्याण आश्रम के स्थापना दिवस समारोह में सोमवार की शाम मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेते हुए झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आदिवासी एक संपदा हैं, जिनका सही उपयोग करने एवं दिशा देने की जरूरत है। खेल आदिवासियों के जीन में है। इनके विकास के लिए सरकार अकेले कुछ नहीं कर पाएगी सबको सहयोग करने की जरूरत है। जहां से हम आएं हैं, उस समाज को उठाने का दायित्व भी हमारा ही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी आज भी खुद को भगवान श्रीराम का उत्तराधिकारी मानते हैं। उन्हें आज भी कानून के संदर्भ में ज्ञान नहीं है, जिस प्रकार से वह बचते हैं, उसी को वह अपना नीति व नियम समझते हैं। आदिवासियों में आत्मसम्मान कूट- कूट कर भरा है। वे कभी भी किसी से कुछ मांगते नहीं है, क्योंकि उन्हें अधिकार का ज्ञान नहीं है तथा वे शांति के प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा कि हमने झारखंड सरकार को आदिवासियों के विकास के लिए नीति बनाने का सुझाव दिया। जिसका फायदा आज वहां के आदिवासियों को मिल रहा है। रांची में 26 आदिवासी गांव है जिसमें एक भी बिजनेस मैन नहीं हैं।
वनवासी कल्याण आश्रम के जरिए वनवासी बच्चों को राजधानी में लाकर शिक्षा देने की उन्होंने सराहना की और कहा कि आप लोगों की ही तरह यदि मुझे किसी का सहयोग नहीं मिला होता तो मैं आज यहां नहीं होती। इस अवसर पर चंदन मुर्मू को वनयोगी स्मृति सम्मान से राज्यपाल ने सम्मानित किया।
समारोह का संचालन करते हुए राज्य कोषाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रकाश बेताला ने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम आदिवासियों के विकास के लिए नियमित प्रयासरत है। उनकी शिक्षा से लेकर खेलकूद, नृत्य संगीत के प्रति आश्रम की तरफ से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आश्रम का मिशन वनवासी क्षेत्रों में काम करना है।
वनवासी कल्याण आश्रम के नगर मंत्री वीरेंद्र बेताला ने बताया कि भारत की एकता व अखंडता तथा समृद्धि के लिए वनवासियों को मुख्य धारा में लाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद ने कहा कि वनों में रहने वाला समाज हमारी धरोहर है। किसी भी देश की महानता उसके सांस्कृतिक परिवेश में होती है। गांव जंगल बचेगा तो यह देश बचेगा। हम इसी भाव से सेवा करते हैं। हमने 11 लाख 67 हजार रोगियों की सेवा इस संस्था के जरिए की है। 365 दिन में से कुछ समय वनवासियों के लिए निकालने के लिए उन्होंने अनुरोध किया। एक नया भारत वनवासी क्षेत्र में बनाने की कोशिश वनवासी कल्याण आश्रम कर रहा है। कोई भी ग्रंथ वनवासियों के बिना अधूरा है। प्रांतीय अध्यक्ष इंजीनियर जगदीश मिश्र ने कहा कि वनवासी पिछड़े नहीं हैं, उन्हें पिछड़ा बनाकर रखा गया है। समारोह के दौरान वनवासी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया।
Sunday, December 25, 2016
हदुत्व ही देश का भविष्य है:प्रदीप जोशी
हदुत्व ही देश का भविष्य है:प्रदीप जोशी
भुवनेश्वर: ¨हदुत्व ही देश का भविष्य है। इसके आधार पर ही भारत का विकास संभव है। इससे संघ ¨हदुत्व को अपने साधना में मूल आधार के रूप में चाहता है। संघ नित्य शाखा के जरिए राष्ट्र के लिए जरूरी व्यक्ति निर्माण साधना पिछले 91 साल से करते आ रहा है। शारीरिक, बौद्धिक, सेवा एवं संस्कारी व्यक्ति का निर्माण शाखा के जरिए किया जाता है। इसीलिए संघ शाखा को इतना महत्व देने की बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व क्षेत्र प्रचारक प्रदीप जोशी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दो दिवसीय शाखा कार्यकर्ता शिविर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेते हुए कही। शिविर के समापन समारोह शैलश्री विहार एफेयर कॉलोनी मैदान में आयोजित शिविर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रदीप जोशी ने कहा कि शाखा में कबड्डी खेलने वाले, संगीत पेश कर रहे नन्हें स्वयंसेवक आगामी दिनों में समाज के विभिन्न क्षेत्र का नेतृत्व लेते हैं। इससे शाखा ही संघ एवं समाज की वास्तविक शक्ति का केंद्र व राष्ट्र निर्माण का आधार है। भुवनेश्वर नगर निगम के 50 से अधिक शाखा से 500 से अधिक स्वयंसेवक इस कार्यक्रम में भाग लेकर योगासन व व्यायाम किए। इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुनील पदगोस्वामी एवं नगर कार्यवाहक प्रसन्न सेनापति भी मुख्य रूप से उपस्थित थे।
‘SAKHA IS CENTRAL POINT OF NATION BUILDING’:‘Pradeep Joshi
Bhubaneswar,25/12:Hindutva is the future of Bharat as the latter’s development depends on Hinduism. For this, the Rashtriya Swayamsevak Sangha (RSS) has accepted Hindutva as basis of its functioning and kept up producing required good characters for the country through Sakhas for the last 91 years uninterruptedly, said RSS eastern region Pracharak Pradeep Joshi here on Monday.
Joshi said this while gracing as chief guest at the concluding ceremony of the two-day RSS Sakha Karyakarta Sibir held at Shailashree Vihar here.
“Individuals with good health, intellectuality, service mentality and good attitude are produced through Sakhas from childhood days, and they take leadership in different fields of the society. Hence, Sakha is the central point of nation building,” said Joshi. Over 500 RSS activists from 50 Sakhas of the city displayed various physical exercises and yoga activities.. - See more
video:https://www.facebook.com/golak.das.92
By Golakha Chandra Das
Sunday, December 18, 2016
भारतीय परंपरा विश्व की सर्वश्रेष्ठ परंपरा है:कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी महाराज
भारतीय परंपरा विश्व की सर्वश्रेष्ठ परंपरा है:कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी महाराज
भुवनेश्वर,18/12:इनेसिएटिव फॉर मोरल एंड कल्चरल ट्रे¨नग फाउडेशन (आइएमसीटीएफ) की तरफ स्थानीय बरमुंडा खेल मैदान में आयोजित चार दिवसीय हिंदू अध्यात्मिक सेवा मेला रविवार देर शाम हरिद्वार के महामंडलेश्वर पूज्य 1008 श्रीश्री कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी महाराज के आशीवर्चन के साथ बड़े ही धूमधाम के साथ संपन्न हो गया।
इस अध्यात्मिक मेले के दौरान हिन्दू अध्यात्म, सेवा विषय पर जहां चर्चा हुई तो वहीं मेले के दौरान पर्यावरण रक्षा, गौमाता का पूजन, वैतरणी पूजन, वृक्ष पूजन, मातृ-पितृ पूजन करने का संकल्प लिया गया। मेले के आखिरी दिन परमवीर वंदना कर अपने वीर जवानों की कुर्बानी एवं इतिहास को याद किया गया। इस मेले के दौरान 120 स्कूलों के बीच देशभक्ति विषय पर विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। समारोह में बच्चों ने अपने हैरतअंगेज करतब से उपस्थित हजारों लोगों का दिल जीत लिया।
आइएमसीटीएफ के कार्यकारी अध्यक्ष मुरली मनोहर शर्मा ने बताया कि समारोह के तहत मेला के छह विषयों पर विद्यालय के छात्रों के बीच 40 प्रतियोगिता आयोजित की गई। समारोह के अंतिम शाम को विशेष रूप से वनवासी कल्याण आश्रम के बच्चों के देशभक्ति गीत संगीत एवं विभिन्न प्रकार के करतब को देख उपस्थित हजारों की संख्या में लोग झूमने एवं तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।
समारोह के अंतिम सत्र के मुख्य आकर्षण हरिद्वार के महामंडलेश्वर पूज्य 1008 श्रीश्री कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी महाराज रहे। कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी महाराज के मुखर¨वदु से अध्यात्मिकवाणी सुनने के लिए हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ा। महाराज ने अपनी शुरूआत जगत के नाथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ के जयकारे से करते हुए भगवान शिव के ताडव लीला से लेकर हिंदू धर्म एवं इसके महत्व पर विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के शिवाय कोई ऐसा धर्म नहीं है जो मानवता को समझता हो। केवल हिंदू धर्म ही अनादि काल से है और आदि काल तक रहेगा। भारत में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति भाग्यशाली होता है। पूरी दुनिया में भारत ही एक अकेला राष्ट्र है जिसे मां कहा जाता है। दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है जहां मां का सम्मान भगवती की तरीके किया जाता है, पिता का सम्मान देवता की तरीके से किया जाता है, गुरु का सम्मान भगवान के तरीके से किया जाता हो वह केवल भारत है। महाराज ने कहा कि जो योग कभी मनुष्यों के लिए दुर्लभ था, जिस योग की परिकल्पना महर्षि पतंजलि, महर्षि चवन, महर्षि कश्यप ने की थी वह आज भारत के जनजन तक पहुंच गई है। वाणी और गुण का कथन करने वाला व्यक्ति भारत का ही नहीं विश्व का धनी व्यक्ति है। उन्होंने प्रलोभन दिखाकर धर्मातरण के संदर्भ में कहा कि यह हिंदू धर्म ही है जो मानवता, नैतिकता, सेवाभाव और संबंध को समझता है। यदि ऐसा अन्य कोई ऐसा धर्म हो तो मुझे बताएं मैं उस धर्म को स्वीकार कर लूंगा। लेकिन ऐसा कोई धर्म संसार में नहीं है। भारतीय परंपरा विश्व की सर्वश्रेष्ठ परंपरा है। समारोह के अंत में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।
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