Wednesday, December 28, 2016

वनवासी कल्याण आश्रम के स्थापना दिवस समारोह

भुवनेश्वर : वनवासी कल्याण आश्रम के स्थापना दिवस समारोह में सोमवार की शाम मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेते हुए झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आदिवासी एक संपदा हैं, जिनका सही उपयोग करने एवं दिशा देने की जरूरत है। खेल आदिवासियों के जीन में है। इनके विकास के लिए सरकार अकेले कुछ नहीं कर पाएगी सबको सहयोग करने की जरूरत है। जहां से हम आएं हैं, उस समाज को उठाने का दायित्व भी हमारा ही है। उन्होंने कहा कि आदिवासी आज भी खुद को भगवान श्रीराम का उत्तराधिकारी मानते हैं। उन्हें आज भी कानून के संदर्भ में ज्ञान नहीं है, जिस प्रकार से वह बचते हैं, उसी को वह अपना नीति व नियम समझते हैं। आदिवासियों में आत्मसम्मान कूट- कूट कर भरा है। वे कभी भी किसी से कुछ मांगते नहीं है, क्योंकि उन्हें अधिकार का ज्ञान नहीं है तथा वे शांति के प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा कि हमने झारखंड सरकार को आदिवासियों के विकास के लिए नीति बनाने का सुझाव दिया। जिसका फायदा आज वहां के आदिवासियों को मिल रहा है। रांची में 26 आदिवासी गांव है जिसमें एक भी बिजनेस मैन नहीं हैं।
वनवासी कल्याण आश्रम के जरिए वनवासी बच्चों को राजधानी में लाकर शिक्षा देने की उन्होंने सराहना की और कहा कि आप लोगों की ही तरह यदि मुझे किसी का सहयोग नहीं मिला होता तो मैं आज यहां नहीं होती। इस अवसर पर चंदन मुर्मू को वनयोगी स्मृति सम्मान से राज्यपाल ने सम्मानित किया।
समारोह का संचालन करते हुए राज्य कोषाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रकाश बेताला ने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम आदिवासियों के विकास के लिए नियमित प्रयासरत है। उनकी शिक्षा से लेकर खेलकूद, नृत्य संगीत के प्रति आश्रम की तरफ से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आश्रम का मिशन वनवासी क्षेत्रों में काम करना है।
वनवासी कल्याण आश्रम के नगर मंत्री वीरेंद्र बेताला ने बताया कि भारत की एकता व अखंडता तथा समृद्धि के लिए वनवासियों को मुख्य धारा में लाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद ने कहा कि वनों में रहने वाला समाज हमारी धरोहर है। किसी भी देश की महानता उसके सांस्कृतिक परिवेश में होती है। गांव जंगल बचेगा तो यह देश बचेगा। हम इसी भाव से सेवा करते हैं। हमने 11 लाख 67 हजार रोगियों की सेवा इस संस्था के जरिए की है। 365 दिन में से कुछ समय वनवासियों के लिए निकालने के लिए उन्होंने अनुरोध किया। एक नया भारत वनवासी क्षेत्र में बनाने की कोशिश वनवासी कल्याण आश्रम कर रहा है। कोई भी ग्रंथ वनवासियों के बिना अधूरा है। प्रांतीय अध्यक्ष इंजीनियर जगदीश मिश्र ने कहा कि वनवासी पिछड़े नहीं हैं, उन्हें पिछड़ा बनाकर रखा गया है। समारोह के दौरान वनवासी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया।

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