हम सईद के विचारों का स्वागत करते हैं; परंतु प्रश्न यह है कि वे इतने वर्ष उपरांत कैसे बोलने लगे ? इससे पहले उन्होंने भूमिका क्यों नहीं प्रस्तुत की ? साथ ही हिन्दुआें की यह भी अपेक्षा है कि कोई गोहत्या कर रहा हो, तो सईद उसको विरोध करें । – हिन्दूजागृति
दक्षिण भारत के कुछ मौलवियों के समूह का नेतृत्व करनेवाले इस्लामिक विचारक सईद हुसेन मदानी ने एक वृत्तसंस्था से गोहत्या के संदर्भ में अपनी भूमिका प्रस्तुत की । सईद ने कहा, समाज के व्यापक हित में गाय और बैलों की बलि देने की प्रथा रोकें । वर्तमान स्थिति में मुसलमान समाज को भी अपना बडप्पन दिखाना चाहिए और गोवंश की हत्या करने की रूढ प्रथा बंद कर इस्लाम में जिन्हें अनुमति प्राप्त है, ऐसे ही प्राणियों की हत्या करनी चाहिए । इससे किसी की भी भावनाएं आहत नहीं होंगी और देश में भी शांति बने रहने में सहायता होगी ।
सईद ने आगे कहा, मुसलमान कानून को हाथ में न लें और गोहत्या से स्वयं को दूर रखें । इससे इस्लाम की वास्तविक सीख अन्यों को भी मिलेगी । गाय हिंदू धर्म के लिए वंदनीय है । हम जब उसकी हत्या करते हैं, तब हिंदुआें की भावनाएं आहत होती हैं । इससे होनेवाला असंतोष हिंसा के रूप में व्यक्त होता है । प्राणहानि के साथ ही संपत्ति की हानि भी होती है । देश में अस्थिरता उत्पन्न होती है । ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए मुसलमानों को भी गायों की हत्या करनेकी प्रथा बंद करनी चाहिए, ऐसा आवाहन भी उन्होंने किया ।
सईद ने ऐसा भी कहा कि गोहत्या रोकने के लिए सोशल मीडिया, बैठकें और शुक्रवार की एकत्रित नमाज में प्रचार किया जाए ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात
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