इलाहाबाद. गंगा की निर्मलता व अविरलता को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े गंगा-समग्र संगठन के केन्द्रीय पदाधिकारियों की दो दिवसीय बैठक शनिवार को अलोपीबाग स्थित शंकराचार्य आश्रम में शुरु हुई. बैठक का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने किया. डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिए गंगा किनारे बसे लोगों को जागरूक करने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि गंगा किनारे बसे लोगों में गंगा के प्रति श्रद्धा व समर्पण का भाव जगाना जरूरी है. उसके किनारे के लोग गंगा मईया के लिए सजग प्रहरी की भूमिका अदा करें. उन्होंने गंगा किनारे वृक्षारोपण अभियान चलाने की वकालत की और कहा कि गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा के दोनों किनारे पर्याप्त वृक्षारोपण किया जाए. गंगा में शहर के गिर रहे कचरे व मलमूत्र पर तुरन्त रोक लगाने की मांग की और कहा कि गंगा को मां कहने वाले गंगाभक्त पहले अपने मलमूत्र को गंगा में जाने से रोंके.
डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने गंगा किनारे के गंगा प्रेमियों व मठ-मन्दिरों में रहने वालों व साधु-सन्तों को उसकी निर्मलता व अविरलता में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया. बैठक में एक दशक के अन्दर गंगा को पूरी तरह से स्वच्छ करने की रणनीति पर विशेष चर्चा की गयी और जनजागरण, साहित्य प्रकाशन, प्रवास तय किये गये. गंगा घाट पर बसने वाले समाज का सहयोग, श्मशान घाटों की साफ-सफाई को लेकर भी चर्चा हुई. इसके साथ कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये. साहित्य प्रकाशऩ हेतु चार सदस्यीय सम्पादक मण्डल का गठन किया गया. जिसमें सोरों के डॉ. राधा कृष्ण, काशी प्रान्त के हरेन्द्र राय, प्रयाग से डॉ. सतपाल तिवारी एवं मुराज जी त्रिपाठी के नामों की घोषणा की गयी. प्रमुख रूप से गंगा समग्र के सौ के करीब कार्यकर्ता बैठक में शामिल रहे.
No comments:
Post a Comment