Monday, November 21, 2016

देश में चरित्र और राष्ट्र मूल्यों पर आधारित शिक्षा आवश्यक – अरुण कुमार जी

इंदौर (विसंकें). इंदौर में राष्ट्र चेतना शिविर के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख अरुण कुमार जी उपस्थित रहे. समापन सत्र में उद्बोधन के पहले व्यक्तिगत गीत “ध्येय  साधना अमर रहे, अखिल जगत को पवन करती“ सोहन जी परमार ने गाया. उन्होंने कहा कि देश में चरित्र और राष्ट्र मूल्यों पर आधारित शिक्षा आवश्यक है.
अरुण कुमार जी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का सम्मान तब तक नहीं हो
सकता, जब तक उसका देश संकट में हो. हम भारत का विचार करते हैं तो ध्यान आता है कि हम प्राकृतिक संसाधनों से भरे पड़े हैं. दुनिया के सर्वाधिक केन्द्रों में हम हैं. भारत के मूल्य ऐसे हैं कि दुनिया में जहां जाते हैं, वहां उनकी संस्कृति में रच-बस जाते हैं. हमारा देश आधुनिक हो रहा है, जिस देश में पचास वर्ष पूर्व कोई बेटियों को शिक्षा नहीं देता था, आज वह पुरुषो से कंधे से कंधे मिला कर आगे बढ़ रही हैं, यह गौरव की बात है.
उन्होंने कहा कि हमारा देश कैसा होना चाहिए, हमारा देश ऐसा हो, जिसमें रहने वाले लोग अपने देश के लिए उसके स्वर्णिम विकास के लिए सपना देखें. इसलिए युवाओं का ध्येय, ध्येयवाद, ध्येयवादी जीवन जीना आवश्यक है. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस का उदाहरण देते हुए बताया कि 23 वर्ष की आयु में नेता जी आईसीएस बन गए थे. तब उनके पिताजी ने कहा कि अब सुभाष को एक सुख समृद्ध जीवन मिलेगा, परन्तु सुभाष चन्द्र बोस घर आ कर बोले मुझे कल से देश की आज़ादी के लिए कार्य करना है. इस प्रकार का समर्पण देश के लिए युवाओं का होना चाहिए. इस देश के अन्दर ऐसा वातावरण बन गया है कि देश की बात करना या तो राजनेताओं का काम है या सरकार का. उन्होंने कहा कि युवाओं को ध्यान रखना होगा कि देश का चिंतन हम सभी का विषय है. ऐसे राष्ट्र मंदिर का निर्माण करना होगा, जिसकी नींव, उसका पत्थर, उसके स्तम्भ हम बन सकें. मैं क्या बनूँगा, इससे ज़यादा हमें क्या करना है, इस पर ध्यान देना चाहिए, महत्त्वपूर्ण यह है कि युवा देश के लिए चल रहे कार्य में अपना योगदान अवश्य दे. समापन सत्र के पहले क्षेत्र संघ चालक अशोक जी सोनी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक सूर्यनारायण जी राव को श्रद्धांजली अर्पित की.

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