नवंबर 1966 के गौ भक्त शहीदों को श्रद्धांजलि हेतु जुटे संत, समाजशास्त्री, राजनेता व गौ भक्त
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्या जी जोशी ने कहा कि गौ सेवा, गौ रक्षा तथा गौ संवर्धन एक तपस्या है. जिसके साधकों का मार्ग निष्कंटक रहे, इस हेतु सभी गौ भक्तों, समाज शास्त्रियों, राजनेताओं के साथ धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को कार्य करना पड़ेगा. कानून से अधिक महत्त्वपूर्ण गौ रक्षा हित समाज का संकल्पबद्ध होना है. कृषि को रसायन से मुक्त कर भूमि को सुजलाम् सुफलाम् बनाने का विश्वास गौ माता ही दिलाकर सब प्रकार के जीवों की रक्षा करती है.
07 नवंबर 1966 को संसद के बाहर गौ रक्षार्थ प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों गौ भक्त शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि इस प्रकार की घटना सदैव हृदय में चुभती रहती है. गौ पालन लाभ हानि के हिसाब से नहीं, बल्कि कामधेनु के भाव से किया जाता है. इस बात पर कोई संघर्ष करता है तो निश्चित रूप से पीड़ा होती है. भारत का किसान और असंख्य गौ भक्त गौ माता की रक्षा मानव कल्याण हेतु करता है. इस अवसर पर विहिप महामंत्री चंपत राय जी ने उपस्थित जनसमूह को मन, वचन और कर्म से गौ रक्षा, गौ संवर्धन व गौ सेवा का संकल्प भी दिलाया.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने कहा कि गौ रक्षा का मामला आस्था, संस्कृति व आध्यात्मिक भावना से जुड़ा होने के साथ-साथ उसके आर्थिक, सामाजिक व वैज्ञानिक पहलू और अधिक महत्त्वपूर्ण हैं. जहां वैदिक काल से गौ ह्त्या प्रतिबंधित थी, वहीं मुगल शासकों ने भी निषेध का प्रयास किया. वैज्ञानिक तथ्यों ने पुष्टि की है कि गाय में पाए जाने वाले 80% जीन्स वही हैं जो मनुष्य में पाए जाते हैं. एक पौण्ड बीफ में 1800 गैलन पानी लगता है तथा पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत ही घातक है. उन्होंने कहा कि संविधान के नीति निदेशक तत्वों की मूल भावना को समझकर अनेक राज्यों ने कानून बनाए हैं तथा हमने बंगलादेशी सीमा पर बड़े पैमाने पर होने वाली गौ तस्करी को रोका है, किन्तु अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है.
संतों ने अपने उद्बोधन में कहा कि सवा सौ करोड़ नागरिकों के इस देश में लगभग सवा लाख गौओं का प्रतिवर्ष वध क्या इसलिए किया जाता है कि वह केवल हिन्दुओं की माँ है? वेदों में गौ हत्यारे को शीशे की गोली से मारने की आज्ञा है. गौ हत्यारे व उनके समर्थक-पोषक हिन्दू समाज के धैर्य की परीक्षा न लें. बाल्मीकि संत श्री रवि शाह जी महाराज ने कहा कि दलित समाज ने गौ रक्षा हेतु सदैव बलिदान दिए हैं, किन्तु कुछ लोग आज साजिश के तहत समाज तोड़ने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गाय जोड़ती है तोड़ती नहीं. युवा गौ भक्त मुहम्मद फैज़ खान ने कहा कि क़ुरान से लेकर मुहम्मद साहब तक सभी ने गौ दुग्ध को अमृत व गौ मांस को ज़हर की संज्ञा दी है. आज इस सभा में बड़ी संख्या में मौजूद मुस्लिम महिला व पुरुष गौ रक्षक इस बात को भली भाँति जानकर गौ रक्षार्थ जुटे हैं.
बलिदानी गौ भक्तों को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष मुंबई से पधारे पूज्य स्वामी विश्वेश्वरानंद जी, पू स्वामी गोविन्द देव गिरी जी, मंच संचालक वृन्दावन के संत पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी, अखिल भारतीय धर्माचार्य सभा के महामंत्री स्वामी परमात्मानंद जी, जैन मुनि श्री लोकेश मुनि जी, श्री राजेन्द्र मुनि जी व विवेक मुनि जी, सिख संत भूपेन्द्र सिंह जी, मलूक पीठ वृन्दावन के पूज्य राजेंद्रदास जी अग्रदेवाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी (सीकर, राजस्थान), वृन्दावन के पूज्य रामप्रवेशदास जी, आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर के शिष्य स्वामी परमतेज जी व गौडीय मठ के महायोगी जी तथा सुधांशु जी महाराज सहित अनेक श्रेष्ठ संतों ने उपस्थित गौ भक्तों को संबोधित कर गौ संवर्धन हेतु जुटने का आह्वान किया.
इस अवसर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी, प्रान्त कार्यवाह भारत जी, विहिप के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंहल, संगठन महामंत्री दिनेश चन्द्र जी, संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन जी, सहित अनेक धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों के पदाधिकारी, गौशालाओं के प्रतिनिधि तथा अन्य गौभक्त उपस्थित थे.
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