जयपुर (विसंकें). संस्कृत भारती राजस्थान की ओर से सोमवार को मानसरोवर स्थित सेन्ट विल्फ्रेड महाविद्यालय में ‘संश्रवः – एक शाम पण्डित वामदेव शास्त्री (ड्रेविड़ फ्रॉलि) के साथ’ नामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में 700 संस्कृत अनुरागियों ने हिस्सा लिया. मुख्य वक्ता पंडित वामदेव शास्त्री (ड्रेविड़ फ्रॉलि) थे. पं. वामदेव जी ने विश्व मंच पर संस्कृत भाषा की प्रतिष्ठा के उपाय एवं भारतीय संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला. हमारे दैनिक जीवन से संस्कृत भाषा किस तरह से जुड़ी हुई है, उस विषय पर शास्त्री जी ने विस्तृत रूप से समझाया. उनका कहना था कि वेदों की ऋचाएं अपने आप में सम्पूर्ण ज्ञान और विज्ञान है, जिन्हें समझकर समाज एवं विश्व का कल्याण किया जा सकता है. शास्त्री जी ने पुरातत्व संरचना पाकइतिहास जैसे गम्भीर गूढ़ विषयों के बारे में जानकारी दी.
संस्कृत विभाग के प्रमुख शासन सचिव संजय दीक्षित ने भी संस्कृत शिक्षा एवं भाषा को अध्यात्म से जोड़कर विश्व मंच पर संस्कृत की आवश्यक्ता को आवश्यक बताया. समारोह के विशिष्ट अतिथि संस्कृत शिक्षा निदेशक डॉ. विमल कुमार जैन जी ने भी कहा कि समूचे भारत में राजस्थान ही एक ऐसा राज्य है, जहां शिक्षा के रूप में संस्कृत अलग से पढ़ाई जाती है. संस्कृत का प्रयोग दैनिक जीवन में अधिकाधिक करने पर बल दिया.
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