Tuesday, July 01, 2014

हिंदुओं की एकता सभी समस्याओं का समाधान: सरसंघचालक

हिंदुओं की एकता सभी समस्याओं का समाधान: सरसंघचालक

ककाडकुई (भरूच). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदुओं को संगठित करने का कार्य यदि इसी गति से चलता रहा तो वर्ष 2025 तक भारतीय समाज और भी संगठित हो जायेगा.
10405555_238164519725888_2575534675893012684_nउन्होंने कहा, “भारत में हिंदुओं की एकता, देश की सभी आंतरिक और बाह्य समस्याओं का समाधान है. दुनिया के जिस किसी भी देश की धरती पर हिंदू गये, उन्होंने शांति व सौहार्द का प्रचार किया. दूसरी ओर, जिन्होंने भारत माता से अलग रहने का निर्णय लिया, वे आज कष्टमय जीवन जी रहे हैं. पाकिस्तान, तिब्बत, म्यांमार, श्री लंका, नेपाल और बंगलादेश की स्थिति से हम सभी अवगत हैं. इन देशों के लोगों की बेहतरी के लिये उनको भारत के निकट आने की आवश्यकता है.”
सरसंघचालक ने उक्त विचार 29 जून को भरूच जिले में नेत्रांग तालुका के ककाडकुई ग्राम में विद्या भारती के नवनिर्मित छात्रवास भवन के उद्घाटन से पूर्व कुछ लोगों से बातचीत के दौरान व्यक्त किये. इस भवन में भगवान श्री राम के मंदिर का भी निर्माण कराया गया है. भरूच और सूरत से सरसंघचालक से मिलने आये इन लोगों ने उनसे समान नागरिक संहिता, संविधान के अनुच्छेद 370 और पूर्वोत्तर की वर्तमान समस्याओं पर बातचीत की.
10514752_238164626392544_5605399547686156480_n (2)वनवासी परिवारों के लगभग 300 छात्रों को संबोधित करते हुए डा. भागवत ने वनवासी बंधुओं की दक्षता की सराहना की और कहा, “जब हम आज की शिक्षा पर दृष्टि डालते हैं, तो स्थिति बहुत सुखद दिखाई नहीं देती. वे विज्ञान एवं प्रगति पढ़ाते हैं, लेकिन भारतीय मूल्य व राष्ट्रवाद के बारे में शिक्षा नहीं देते. यही वह रिक्त स्थान है जिसे विद्याभारती को भरना है.”
पूर्वोत्तर में विद्याभारती के विद्यालय स्थापित करने पर जोर देते हुए डा. भागवत ने कहा, “पांच वर्ष पूर्व हमने नगालैण्ड में विद्याभारती का विद्यालय प्रारम्भ किया था. वहां आज, बच्चे हिंदी में बोलते हैं और हमें प्रसन्नता है कि हम राष्ट्रवाद की भावना फैलाने में सफल रहे. कल, वे भयमुक्त होकर देश की हर इंच भूमि की रक्षा करेंगे. हमारी दृष्टि केवल इन्हीं क्षेत्रों तक सीमित नहीं है. यह हमारा देश है और यहां जो कुछ हो रहा है, उसके प्रति हमें संवेदनशील रहना होगा.”
उद्घाटन समारोह में गुजराती भाषा में छपा एक पत्रक वितरित किया गया जिसमें कहा गया है कि दुर्भाग्यवश विद्याभारती को ‘हिंसक’ संगठन के रूप में देखा जाता है जो असत्य है. विद्याभारती का उद्देश्य हिंदू जीवन शैली के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना है.
इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता, केंद्रीय मंत्री एवं भरूच के सांसद मनसुख वसवा, राज्यसभा सदस्य भारत सिंह परमार, गुजरात के मंत्री गनपत वासवा, क्षत्र सिंह मोरी और बाबू वनानी उपस्थित थे.

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