कानपुर. हिन्दू जागरण मंच कानपुर प्रान्त ने भारत को
फिर से अखण्ड बनाने के लिये निरंतर प्रयत्न करते रहने का संकल्प लिया. यह
संकल्प गत 27 जुलाई को ओंकारेश्वर शिक्षा निकेतन, जवाहर नगर कानपुर में
सम्पन्न हुयी की कार्यशाला में लिया गया. इस कार्यशाला में अखण्ड भारत विषय
को लेकर ‘‘और देश बंट गया’’ पुस्तक के एक-एक अध्याय पर चर्चा की गई.
तीन सत्रों में चली इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए हिन्दू जागरण मंच के श्री सुबोध चोपड़ा ने देश विभाजन की त्रासदी को उपस्थित कार्यकर्ताओं के समक्ष रखा. महामंत्री श्री रामप्रकाश व्दिवेदी ने कहा कि ‘वन्देमातरम्’ इस देश का प्राण है. वन्देमातरम् का उद्घोष करते हुए हजारों शहीदों ने अपने प्राण हंसते-हंसते न्योछावर कर दिये. प्रान्त उपाध्यक्ष श्री पीयूष जी ने कहा कि बंगाल का बंटवारा अंग्रेजों की सोची-समझी चाल थी.
महानगर अध्यक्ष श्री प्रवीण जी ने कहा कि आन, बान और शान की लड़ाई को लड़ना पड़ेगा और भारत को अखण्ड बनाने के लिये प्रयत्नशील होना पड़ेगा. प्रदेश संगठन मंत्री श्री राजेश भाई ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत को अखण्ड करने में समय नहीं लगेगा. हम सब जानते हैं कि खण्डित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती. इसलिये खण्डित भारत की पूजा भी तब तक पूर्ण नहीं हो सकती है, जब तक कि वह अखण्ड न हो जाय. सन् 1250 का सांस्कृतिक भारत ही हमारा अखण्ड भारत है. इसको हम पुनः अखण्ड करने का संकल्प लें. इस कार्यशाला का कुशल संचालन वीरांगना वाहिनी की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती अर्चना मिश्रा ने किया.
तीन सत्रों में चली इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए हिन्दू जागरण मंच के श्री सुबोध चोपड़ा ने देश विभाजन की त्रासदी को उपस्थित कार्यकर्ताओं के समक्ष रखा. महामंत्री श्री रामप्रकाश व्दिवेदी ने कहा कि ‘वन्देमातरम्’ इस देश का प्राण है. वन्देमातरम् का उद्घोष करते हुए हजारों शहीदों ने अपने प्राण हंसते-हंसते न्योछावर कर दिये. प्रान्त उपाध्यक्ष श्री पीयूष जी ने कहा कि बंगाल का बंटवारा अंग्रेजों की सोची-समझी चाल थी.
महानगर अध्यक्ष श्री प्रवीण जी ने कहा कि आन, बान और शान की लड़ाई को लड़ना पड़ेगा और भारत को अखण्ड बनाने के लिये प्रयत्नशील होना पड़ेगा. प्रदेश संगठन मंत्री श्री राजेश भाई ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत को अखण्ड करने में समय नहीं लगेगा. हम सब जानते हैं कि खण्डित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती. इसलिये खण्डित भारत की पूजा भी तब तक पूर्ण नहीं हो सकती है, जब तक कि वह अखण्ड न हो जाय. सन् 1250 का सांस्कृतिक भारत ही हमारा अखण्ड भारत है. इसको हम पुनः अखण्ड करने का संकल्प लें. इस कार्यशाला का कुशल संचालन वीरांगना वाहिनी की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती अर्चना मिश्रा ने किया.
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